यंत्र तंत्र और मंत्र...!
यंत्र तंत्र और मंत्र...!
अलीबाग में चल रहे इस आध्यात्मिक आयोजन के दूसरे दिन ओशो उर्फ़ आचार्य रजनीश पीठासीन थे। उनके अत्यंत आधुनिक विचारों ने संसार का ध्यान अपनी ओर बहुत जल्दी खींच लिया है। वे बोल रहे थे "दो परिपक्व और समझदार व्यक्तियों के बीच प्रेम होता है तो जीवन का सबसे बड़ा विरोधाभास घटता है, एक बहुत ही सुंदर घटना घटती है -- दोनों साथ-साथ होते हैं, लेकिन अपरिसीम रूप से अकेले।
वे एक साथ होते हैं इतने गहरे जुड़े हुए कि वे लगभग एक हो जाते हैं। उनकी एकता से उनका निजी व्यक्तित्व ध्वस्त नहीं होता, बल्कि वास्तविक रूप से उनकी निजता बढ़ जाती है।
दो समझदार व्यक्तियों के प्रेम से एक-दूसरे को अधिक स्वतंत्र रहने में मदद मिलती है। इसमें कोई राजनीति नहीं होती, कोई कूटनीति नहीं होती, एक-दूसरे पर हावी हो जाने का कोई प्रयास नहीं होता। जिससे तुम प्रेम करते हो, उसके ऊपर तुम आधिपत्य कैसे जमा सकते हो?
अपरिपक्व और गैर-समझदार लोग जब प्रेम में होते हैं तो वे एक-दूसरे की स्वतंत्रता को ध्वस्त कर देते हैं, गुलामी उत्पन्न करते हैं, कैद बना देते हैं।
समझदार व्यक्ति प्रेम में एक-दूसरे को स्वतंत्र रहने में सहायक होते हैं। वे हर तरह से एक-दूसरे की गुलामी को समाप्त करने में एक-दूसरे की मदद करते हैं।
और जब स्वतंत्र रूप से प्रेम का प्रवाह होता है, तो इसमें सौंदर्य होता है। जब प्रेम का प्रवाह निर्भरता से होता है, तो इसमें कुरूपता होती है।
याद रखो, स्वतंत्रता का मूल्य प्रेम से अधिक है। यदि प्रेम स्वतंत्रता को नष्ट कर रहा है तो प्रेम को छोड़ा जा सकता है, स्वतंत्रता को बचाना होगा। स्वतंत्रता का मूल्य अधिक है, और स्वतंत्रता के बिना तुम कभी भी खुश नहीं रह सकते -- यह असंभव है।
स्वतंत्रता हर स्त्री-पुरुष की आंतरिक और मूलभूत इच्छा होती है, पूर्ण स्वतंत्रता -- और इसी स्वतंत्रता में प्रेम के फूल खिलते हैं !"
के के. मन्त्रमुग्ध होकर इन महापुरुषों की अमृत वाणी का हर सत्र में रसपान कर रहे थे। उनको यह आभास हो रहा था कि मानो अभी तक उन्होंने अपने जीवन में सिर्फ़ भोगवादी संसाधनों को ही जाना समझा है, जीवन के ढेर सारे रहस्य अभी खुलने शेष रह गये हैं। उधर मुम्बई में स्क्रिप्ट राइटर अतुल त्रिपाठी अपनी स्क्रिप्ट के अंतिम हिस्सों पर तेजी से काम कर रहे थे। अचानक उनके लैंड लाइन फोन की घंटी बज उठी। "हेलो ! क्या त्रिपाठी जी बोल रहे हैं?" किसी अजनबी की आवाज़ थी। "जी !आप कौन?" त्रिपाठी ने पूछा। "जी, मैं देहरादून से अभिनय कान्त बोल रहा हूं। आपके साथ आकाशवाणी गोरखपुर में रह चुका हूं। त्रिपाठी जी आपने आकाशवाणी गोरखपुर के बारे में कुछ सुना ? "गोरखपुर..? नहीं तो..क्या हुआ ?.....आश्चर्यचकित होकर त्रिपाठी बोले। "वहां आकाशवाणी का प्रसारण ठप हो गया है। महानिदेशक ने ट्रांसमीटर बंद करने का आदेश जारी कर दिया है।" उधर से अभिनय ने बता रहे थे और अपनी चिंता भी व्यक्त कर रहे थे।" अरे?.." चौंकते हुए त्रिपाठी आगे बोल पड़े," यह तो बहुत ही बुरा समाचार है। हम सभी को कुछ करना होगा। "इसके बाद दोनों में इस बात पर सहमति बनी कि वे अपने अपने स्तर पर इसके विरुद्ध जनमत जागरण और सरकार का ध्य्नाकर्षण कराने का काम करेंगे।
अतुल भी वर्षों तक आकाशवाणी गोरखपुर से जुड़े थे। इस समाचार से वे भी आहत हुए। मन ही मन सरकार को कोसने लगे।
इधर उनके एक पत्रकार मित्र रमाशंकर ने ठीक ही वर्तमान सरकार को भी कांग्रस के ही रास्ते पर चलने वाली सरकार बताया था। ........सरकारी जिम्मेदारी खत्म करो, सिक यूनिट को बेच दो, पूजी पतियों को बैंक लोन देकर भाग जाने दो और किसी तरह पब्लिक को बेवकूफ बनाते रहो। उसने तो बाकायदा आधुनिक पंचतन्त्र कथाएँ भी लिख डाली हैं और उसका नाम दे रखा है - पंचतन्त्र रिटर्न। उसकी छोटी छोटी कहानियों की सीख है
1 लाख. = 1 पेटी , 1 करोड़ = 1 खोखा , 900 खोखा. = 1 लालू , 5 लालू = 1 मधु कोड़ा , 2 मधु कोड़ा = 1 वि.माल्या , 1.5 माल्या = 1 नीरव मोदी , 1.5 नीरव = 1 चिदम्बरम , 3 चिदम्बरम = 1 खड़गे , 3 खड़गे = 1 डी. के . शिवकुमार , 10 डी. के = 1 शरद पवार, 10 शरद पवार = 1 जनपथ , 10 जनपथ = 1 इटालियन
इतना ही नहीं उसकी कहानियों में इस इक्कीसवीं शताब्दी में आपके व्यक्तित्व का मूल्यांकन उस बात से होता है कि ट्विटर और इनस्टाग्राम पर आपके कितने फालोवर हैं ,आपके फेसबुक पोस्ट पर कितनी लाईकिंग आ रही है ...आप पर बैंक का कितने करोड़ का लोन है या आप अभी तक डिफाल्टर घोषित हुए या नहीं ?
इस प्रकार इस दौर के यंत्र - तंत्र और मंत्रकी कथाओं की विचित्रता पर अतुल भी हतप्रभ हैं . ........और शायद आप भी तो ?
