Krishna Khatri

Drama

2.4  

Krishna Khatri

Drama

ये सच है !

ये सच है !

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कुछ संबंध ऐसे होते हैं जिन्हें समझना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल जरूर होता है समझ में नहीं आता कि ये संबंध हैं किस प्रकार के इस जन्म के या उस जन्म के ? आज तक मैं समझ नहीं पाई हूं ! बात दो साल पहले की है जब राशि मेरे यहां दस दिन के लिए आई थी अपने दो साल के बच्चे के साथ ! हम दोनों की काॅमन फ्रेंड विभा भी अपनी मां के यहां आगरा आई हुई थी हम तीनों ने दस दिन साथ रहने के लिए मेरे यहां रहने का प्रोग्राम बनाया ! मिस्टर एयरफोर्स में थे अभी क्वार्टर मिला नहीं था सो शाहगंज में किराए के मकान में रहते थे ! उस मकान में हम दो किराएदार थे ऊपर के हिस्से में और मकान मालिक नीचे !

उनकी बड़ी लड़की की शादी साल भर पहले हुई थी वो भी मायके आई हुई थी जब राशि के बेटे ने उसको देखा तो जोर से रोता हुआ मेरी गोदी में दुबक गया और रोए जा रहा था साथ ही थर - थर कांप भी रहा था जबकि कभी न रोने वाला बच्चा इस तरह ? कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्यों रो रहा है खैर फुसलाकर चुप कराया ! ताज्जुब की बात तो यह कि घर में जब राशि और मैं साथ में होते तो जय मेरे पास ही रहता खाना-पीना सोना सब मेरे साथ।

राशि कहती - संभाल अपने लाडले को मैं कर लूंगी काम तुम मां-बेटे ऐश करो हम सबको हंसी आ जाती ! जब जाती तब तो जाना ही नहीं चाहता और घर जाकर भी बहुत परेशान करता मेरे लिए रोता बेचारी राशि परेशान हो जाती और अक्सर कहती - जरूर तुम दोनों का पिछले जन्म का कोई रिश्ता है तभी तो जय तेरा आशिक है ये बातें होती रहती सब हंसी-मजाक लगता लेकिन जब मकान मालिक रविकांत जी की बेटी रीता को देख कर हर बार डर के मारे चिल्ला कर रोता और मुझसे लिपट जाता ! तीन-चार बार ऐसा हुआ तो बीमार पड़ गया जबरदस्त बुखार ! बहुत ताज्जुब होता ! एक दिन विभा ने कहा - जैसे जय का तेरे बिना न रहना और रीता को देखकर इस तरह डरना जरूर कुछ है ! जाने किस जन्म का तुम दोनों का प्यार भरा रिश्ता है नहीं मालूम पर है जरूर तभी न जय को तेरे बिना अच्छा लगता है तुम्हारा लगाव भी स्पष्ट दिखाई देता है ! इसी तरह पिछले किसी जन्म में रीता ने जरूर ही ऐसा कुछ किया होगा क्या पता क्या-क्या तकलीफें दी होगी भगवान जाने पर मुझे ऐसा ही लगता है ! कुछ न कुछ है तो जरूर ! मुझे भी जय को लेकर हमेशा अजीब सा खिंचाव - लगाव लगता था जिसे शब्दों में बयान नहीं कर सकती बस जो है अलौकिक लगता ! इस तरह विभा की ये बातें सुनकर राशि ने कहा - अब तो यार मुझे भी ऐसा ही लगता है फिर हंसते हुए लेकिन तेरा जय अब मेरा है !

हां भई बिल्कुल सौ टका तेरा ही बस थोड़ा सा मेरा खुश ? डर मत, अरे यार मैं मजाक कर रही थी और तूने सीरियसली ले लिया ! मैं तो पहले से कुछ ऐसा ही महसूस कर रही थी अगर डरती तो तेरे पास इतने दिन रहती जबकि तेरे साथ होती हूं तो लाटसाब मुझे तो घास भी नहीं डालता और उसका गला भर आया ! इतने में बेल बजी। ऋषि ऑफिस से आ गए थे ! थोड़ा गंभीर वातावरण देखकर हंसते हुए बोले - क्या बात है तीनों देवियां बड़ी गंभीर अवस्था में है एवरीथिंग इज ओके ? इतने में रीता आ गई और उसे देखते जय का बुरा हाल बेचारा इतना छोटा कि कुछ बता पाने की स्थिति में ही नहीं !

अच्छा हुआ वो तुरंत चली गई माचिस लेने आई थी माचिस देते हुए कहा - रख लेना मेरे पास और है जय मेरी टांगों से लिपटा हुआ था उसे उठाकर छाती से लगाया वही हाल थर-थर कांप रहा था यह सब देखकर ऋषि ने पूछा - ये सब क्या है ? मैं तो जय को चुप कराने में लगी विभा ने सारा माजरा सिलसिलेवार बयान कर दिया तब तक राशि ने चाय बना ली साथ में पकौड़े भी बना लाई देखकर ऋषि बोले - देखो सीखो राशि से उसे मेरी पसंद अबतक याद है और तुम बातें करती हो पिछले जन्मों की याद तो ये जन्म भी नहीं !

जीजाजी मुझे तो ये सब जन्मों का चक्कर एकदम सच्चा लगता है तभी तो मैं नहीं मानता !

अब आप " मानो या ना मानो " पर हम तीनों को सब सच लगता है लगता क्या बल्कि सच ही है इस बारे में ज़रा सोचकर तो देखिए आपको भी सच ही लगेगा ! मैं बिल्कुल नहीं मानता ऐसी बेकार की बातों को और ना ही विश्वास करता हूं समझी साली साहिबा ? जी अब आप भले माने या ना मानें लेकिन हम तो मानते हैं !


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