Amit kumar

Romance

3.7  

Amit kumar

Romance

ये कैसा प्यार

ये कैसा प्यार

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706


बात उस समय की है जब मैं 10th में पढता था और मैं एक लड़की को बिना देखे ही उस से प्यार करने लगा मुझे नहीं मालूम था कि वो कैसी है गोरी है या काली क्योँकि मुझे उसके जिस्म से नहीं उससे प्यार हुआ था मैं सिर्फ उसका नाम    सुनकर ही उससे प्यार करने लगा कई सालों तक में उसकी सूरत तक नहीं देख सका उसके नाम में ही उसकी सूरत देखता था और उसका नाम लेकर बहुत ही खुश होता था।

उसको बिना देखे ही उसके लिए गिफ्ट खरीद कर रखता था यह सोच कर कि जब भी उससे मिलूंगा सारे गिफ्ट उसको दे दूंगा मेरी समझ में नहीं आ रहा था आखिर ये कैसा प्यार है मैंने उसके लिए एक रिस्ट बैंड बनवाया जिस पर उसका नाम लिखवाया कि जब पहली बार उसको मिलूंगा तो उसके हाथ में इसे अपने हाथ से पहनाउंगा में उसको बेपनाह प्यार करता था लकिन उसको कभी देखा नहीं था जिस दिन का मुझे कई सालों से इंतज़ार था आखिर वो दिन आ ही गया।

मुझे उसके घर जाने का मौका मिला उसके यहाँ कोई प्रोग्राम था और हमारे यहाँ उसके यहाँ से invitation आया और में घर वालों के साथ उसके यहाँ गया पुरे रास्ते उसके बारे में ही सोचता रहा और आखिर कार मेरा कई सालों का इंतज़ार ख़त्म हुआ और में उसके यहाँ में पहुंच गया वो मेरे सामने थी में उसको देखता ही रह गया वो बहुत ही खूबसूरत थी जैसा सोचा था उससे भी कही बढ़कर लकिन उसका खूबसूरत होना मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता था क्योँकि मैंने उसको बिना देखे ही उसका सिर्फ नाम सुनकर ही उससे प्यार करने लगा था।

शायद यही सच्चा होता है जो मुझे हुआ था मैं उससे से मिल तो लिया उससे बातें भी करने लगा मुझे उसकी हर एक बात अच्छी लगने लगी लकिन उससे मिलने के बाद भी मैं अपने दिल की बात उसको नहीं बता सका कम से कम दो साल तक में उसको कह नहीं सका कि मैं तुमको प्यार करता हूँ ! लकिन इतना जरूर पता चल गया था कि वो भी मुझे पसंद करती है फिर हमारी बातें मुलाकातें होती रही कई सालों के इंतज़ार के बाद आखिर उसने खुद मुझको बोला कि वो मुझे प्यार करती है मेरा ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था जैसे मेरी दुआ कबूल हो गई हो और फिर मैंने भी उसको बोल दिया कि मैं भी तुमको प्यार करता हूँ फिर जो रिस्ट बैंड बनवाया था उसके नाम का उसको अपने हाथ से उसको पहनाया कई सालों तक हमारा प्यार यूँही चलता रहा लकिन कभी भी मैंने उसको गलत तरीके से नहीं छुआ क्योँकि मैं उसको सच्चा प्यार करता था।

आलम ये था कि उसके सिवा मैं किसी दूसरी लड़की को देखता तक नहीं था और मैं बहुत खुश था लकिन जिसको मैंने बिना देखे सिर्फ नाम सुनकर ही जिससे प्यार करने लगा था उसने एक दिन अचानक से मुझसे कहा कि में तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ मुझे मालूम था वो कभी कुछ गलत नहीं बोल सकती लकिन उसने वो बोला जो मैं कभी सोच भी नहीं सकता था उसने कहा कि वो किसी और से प्यार करती है लकिन उसने भी उसको छोड़ दिया ! शायद ऊपर वाले को यही मंजूर था लकिन मैं उसको आज भी प्यार करता हूँ और करता रहूंगा क्योँकि मैंने उससे सच्चा किया था आज उसकी शादी हो चुकी है और उसके पास एक प्यार सा बच्चा भी है शायद दो दिलों की दूरी को ही प्यार कहते हैं।


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