डॉ गुलाब चंद पटेल

Inspirational

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डॉ गुलाब चंद पटेल

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यात्रा संस्मरण वर्धा

यात्रा संस्मरण वर्धा

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वर्धा महाराष्ट्र जिला महात्मा गांधीजी के आश्रम के कारण प्रसिद्ध हे। यह इंद्रलोक की नागरी के रूप मे विख्यात हे। और उसे इन्द्र पूरी भी कहते हे। नागपुर से ये 50 मिल दूर हे। वर्धा नदी की मुख्य सहायक नदी पेन गंगा हे। ये कपास उत्पादन का क्षेत्र हे। 

वर्धा मे सेवा ग्राम आश्रम मे रुकने का अवसर प्राप्त हुआ। वर्धा मे पवनर आश्रम,कस्तूरबा स्मारक, गिटाई मंदिर,महात्मा गांधी आंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्व विध्यालय हे,जिसे देखने का मौका मिला। भाषा प्रचार समिति हिन्दी के लिए अच्छा कार्य कर रही हे। 

सेवा ग्राम 300 एकड़ भूमि पर फैला हुआ हे। सेवाश्रम गांधीजी जीवन का दर्पण हे। वर्धा आयोजक कॉंग्रेस ने 14 जुलाई 1942 को हुई कॉंग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक मे महात्मा गांधीजी योजना थी की “ भारत छोड़ो आंदोलन अपनाया जाय । 

आदित्य फ़ाउंडेशन वर्धा महाराष्ट्र मे विस्व महिला दिवस पर 8 मार्च 2020 के दिन आंतर राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आयोजन संस्थाकी अध्यक्षा डॉ अर्चने पाठ्य जी की ओर से आयोजित किया गया था जिसमे हमे “ महात्मा गांधी अवार्ड 2020 “से सम्मानित हेतु निमंत्रण मिला था। हमने वर्धा मे सभी प्रमुख स्थानो की मुलाक़ात की। हमे सम्मानित करनेके लिए पूर्व राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल जी उपस्थित रहने वाले थी लेकिन कोरोना वाइरस की वजह स्वस्थ्य का ध्यान रखने हेतु कलेकटर वर्धा ने उन्हे आने के लिए मंजूरी नहीं दिया था।हम भी घर से ट्रेन से वर्धा जाने के लिए निकले तो मास्क लगाकर निकले थे।रेल्वे स्टेशन पर एक महिला ने बताया की सेवा ग्राम मे दो केस कोरोना के पॉज़िटिव हे। लेकिन वहा एसा कुछ नहीं था। 

महात्मा गांधी वर्धा मे जिस आश्रम मे कर्म भूमि बनाया था वहा यात्री निवास की कुटिया मे रुकने का हमे अवसर प्राप्त हुआ। वातावरण्यः यहा पर बहुत ही सुंदर था। कोई बड़ी बिल्डिंग आश्रम नहीं थे। यात्री निवास के सामने पुरानी कुटिया खपेड़ो से ढकी हुई थी। यहां गांधीजी और रवीन्द्रनाथ टैगोर मिलकर चर्चा करते थे। वहा चरखा भवन मे कार्यक्रम आयोजित किया गया था किन्तु राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल का आगमन रद हुआ तो चरखा भवन के संचालको ने चरखा भवन मे आयोजित कार्यक्रम ओर काही करने की सूचना दे दी। इस लिए यह कार्यक्रम संसद रामदास तड़स की मुख्य अतिथि की उपास्थि मे अन्य जगह पर हॉल मे आयोजित करके हमारा ‘महात्मा गांधी अवार्ड से सम्मान किया गया। गांधीनगर एक वकील मित्रा जो सामाजिक कार्यकर हे उनका भी सम्मान किया गया। अहमदाबाद से रमेश भाई मुलवानी साहित्यकार और विजय तिवारी ने कार्य क्रम की जिम्मेवारी निभाई थी।उनका भी साहित्यकार के रुपमे ‘ साहित्य शिरोमणि सम्मान से सम्मान किया गया।कार्यक्रम स्थल और मुख्य मेहमान की फेरबदल के कारण अध्याक्षिका डॉ अर्चना जी बहुत चिंतित थी। फिर भी कार्यक्रम बहुत ही अच्छी तरह सम्पन्न हुआ ।

हम कार्य क्रम के दूसरे दिन विनोबा भावे आश्रम पवनर गए। वहा के दर्शनीय स्थान विनोबा भावे जी का निवास स्थान,उसमे 1500 साल पुरानी मंदिर की दीवार मे लगाई गई भारत राम मिलन की पुरानी मूर्तिया देखा। गिटाई मंदिर देखा। गंगा मूर्ति भी देखि गई। विष्णु मूर्ति काले फॅशन से बनी हुई थी,जिसके शिरोधर मे दशवतर हे।विनोबा भावे परिसर मे पैन,बीड़ी ,सिगरेट पीना माना हे,एसी सूचना देखने को मिली।अच्छा लगा। विनोबाजी ने लिखा हे,की “निर्णय करनेकी शक्ति को प्रज्ञा कहते हे। और वह एकाएक प्राप्त नहीं होता हे। धीरे धीरे अनुभव से इंद्रिय निग्रह से और शुक्ष्म विवेक से वह प्राप्त होता हे। 

विनोबा भावे द्वारा निर्मित हुआ। इस स्तूप की 100 फिट व्यास तथा उतनी ही ऊंचाई हे/ विश्व शांति स्तूप का उदघाटन तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर डायल शर्मा जी के करकमलों से हुआ था। जापान द्वारा निर्मित बहुत सुंदर स्तूप देखने का सौभाग्य हमे प्राप्त हुआ। 



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