वो पेंटिग
वो पेंटिग
इस बार पेंटिंग एक्जीबिशन की चर्चा काफ़ी चर्चा का विषय बनी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनी गई एक पेंटिंग इसका कारण थी। पेंटिंग में दो मासूम ग़रीब बच्चों की हृदयविदारक ग़रीबी दिखाई गई थी। हर कोई बच्चों के भूख से बेहाल चेहरों के भाव, जो बहुत बारीकी से उकेरे थे, तारीफ़ करते नहीं थक रहा था। उस पेंटिग के लिए चित्रकार को लाखों का पुरस्कार मिला था। वह बहुत खुश थी, सबको अपने चित्र के बारे में जानकारी दे रही थी।
तभी वहां कुछ सुगबुगाहट सी दिखाई दी, वो भी वहां पहुंची और देखकर हैरान रह गई कि एक पुरुष के साथ वही दो बच्चे हैं जो उसकी पेंटिंग में थे । पर साफ सुथरे कपड़े पहने हुए।
वो खुद को रोक न सकी, उसने उस पुरुष से पूछा कि ये बच्चे कौन हैं, तो उसने बताया कि वो अनाथ बच्चों की देखभाल करता है। उसे सड़क पर बेहोशी की हालत में मिले थे। वो अपने आश्रम में उन्हें ले आया और तब से ये बच्चे उसके साथ ही हैं।
सच जानकर मानो उसकी नजरें शर्म से झुक गयी। उसे लगा कि वो पुरुष ही सच्चा चित्रकार है जिसने उन मासूम ग़रीब बच्चों के जीवन में खुशी का रंग भरा। अपनी भूल सुधारने के लिए उसने पुरस्कार की राशि उन बच्चों के लिए उस पुरुष को दे दी।