अद्भुत व्यक्तित्व
अद्भुत व्यक्तित्व
नेता जो देश का नेतृत्व करता है जो देश को सही राह पर ले जाता है। क्या आज इस प्रकार के नेता मिलेंगे जो पूर्णतः देश के लिए समर्पित हों, शायद उत्तर न में ही मिलेगा,वैसे किसी पर कटाक्ष करने का मेरा कोई इरादा नहीं, सबकी अपनी पसंद और राय हो सकती है। थोड़ा पीछे के वक्त में लौटें तो कुछ नेता ऐसे अवश्य रहे, जिन्होंने देश को पहले रखा, लाला लाजपत राय, मदन मोहन मालवीय, सरदार पटेल और लाल बहादुर शास्त्री जी।
शास्त्री जी अनुशासन बद्ध, ईमानदार, सत्यवादी, शायद उनकी खूबियां गिनाने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे।उनकी ईमानदारी का एक किस्सा आपके साथ साझा करना चाहूंगी।शास्त्री जब प्रधानमंत्री बने तो उन्हें, दो गाड़ियां इंपाला शेवरलेट और फिएट मिलीं थीं। उनके पुत्र सुनील और अनिल अपने दोस्तों पर अपना रौब दिखाना चाहते थे,तो एक दिन हिम्मत कर उन्होंने ड्राइवर से चाबी ली और अपने किसी दोस्त की दावत में पहुंच गये। इस बीच समय का ध्यान ही नहीं रहा कि पिताजी तो घर आ चुके होंगे
बस घड़ी देखते ही झटपट तेज़ी गाडी चला घर पहुंच पीछे के रास्ते से अपने कमरे में पहुंच गये हां मां को बता दिया था और कहा कि सुबह चाय कमरे में मत भिजवाइये, देर तक सोना चाहते हैं । अगले दिन सुबह ५.४५को दरवाजे पर दस्तक हुई सुनील ने अंदर से कहा कि "अभी सोने दो। चाय पीने की इच्छा नहीं।" दोनों भाई चाहते थे कि पिताजी के जाने के बाद ही कमरे से बाहर निकलना सही रहेगा। पर दोबारा दस्तक हुई इस बार ज़रा देर तलक हुई, तो न चाहते हुए भी दरवाजा खोलना पड़ा । सुनील शास्त्री ने दरवाजा खोला वो भी बड़बड़ाते हुए, "बोला था सोने देर तक सोना चाहते थे, पर नहीं..…."।
दरवाजा खोला तो बाबूजी को सामने खड़ा पाया तुरंत माफी मांगी। शास्त्री जी ने सिर्फ़ इतना आइए आपके साथ बैठकर चाय पीना चाहते हैं।यह कहकर वे नीचे जाकर इंतजार कर रहे थे। सुनील मुंह धोकर जल्दी ही उनके पास पहुंचा उन्होंने नौकर को चाय लाने का इशारा किया। फिर पढ़ाई आदि की बात की और पूछा कि कल रात कहीं बाहर गये थे,शायद देर से वापस आए। तो सुनील ने कहा कि" हां "शास्त्री जी ने पूछा कि कैसे गये तो उत्तर मिला कि गाड़ी लेकर तो शास्त्री जी ने कहा कि शाम को जब वो आए तो फिएट गेट पर ही खड़ी थी तो सुनील झूठ न कह सके तो सच बोल दिया कि इंपाला शेवरलेट लेकर गये थे और ड्राइवर को मना किया था बताने के लिए।
शास्त्री इंपाला का प्रयोग न के बराबर करते थे,जब कभी कोई विदश मंत्री या राज्य मंत्री आता तो उसके स्वागत के लिए इंपाला का प्रयोग होता।पुत्र से यह सुनकर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी,बस अपने निजी सचिव को बुलाया और ड्राइवर को बुलाने के लिए कहा। अपनी पत्नी को भी बुलाया और ड्राइवर से कहा कि लाॕग बुक रखते हो न, उसने कहा हां। शास्त्री जी ने कहा कि आज कितने किलोमीटर गाड़ी चली। उसने बताया कि चौदह किलोमीटर। शास्त्री जी ने अपनी पत्नी से कहा कि घर के खर्चे में से प्रतिलीटर पेट्रोल के हिसाब चौदह किलोमीटर के जितने रूपए बनते हैं जमा करवा दिए जाएं। उस समय साठ पैसे प्रतिलीटर मूल्य था। पिता के ऐसा कहने पर दोनों भाई उनसे नज़रें न मिला सके और सीधा अपने कमरे की ओर चले गये। दोनों काफ़ी देर रोते रहे।
शास्त्री जी सच में असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे। ऐसे कितने ही प्रसंग हैं जो दिल पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं।