Kavita Sharma

Others

4.0  

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आशीष

आशीष

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आज रोहन की मेहनत रंग लाई थी।‌ पिछले दो महीने से गांव से मुंबई आया था नौकरी का विज्ञापन देखकर। उसे लगा कि 

मिल जाएगी, क्योंकि अपने गांव का सबसे मेधावी छात्र रहा था। उसके पिता उन्हें छोड़कर चले गये थे वो भी बिना बताए 

ऐसा मां बतातीं थीं उसने तो कभी देखा भी नहीं उन्हें। बस उसने मेहनत की और मां को वो सब देना चाहता था जिसकी 

वो हकदार थीं। वो जानता है कि किन परेशानियों के चलते 

उसकी शिक्षा पूरी हुई।‌ विज्ञापन देखकर उसे लगा कि नौकरी 

तो मिल ही जाएगी, पर यहां तो पासा उलटा ही पड़ गया। आज वो पांचवीं जगह इंटरव्यू देने जा रहा था वहां भी वही औपचारिक प्रश्नों की बौछार सब उत्तर देने के बाद वो 

पैनल वालों को अंतिम जवाब देकर बाहर निकला था कि 

"आप experience की बात करते हैं लेकिन जब कोई काम देगा ही नहीं तो experience कैसे पाया जाए।" बिना उत्तर दिए वो कैबिन से बाहर निकल आया । उसे उम्मीद नहीं थी 

उसने सोच लिया कि कल गांव वापस लौट जाता हूं क्योंकि 

बिना पैसे यहां मुंबई में गुजारा नहीं। सुबह वो वापिस जाने की तैयारी कर कमरे से निकल पड़ा। अभी आॕटो में बैठने ही वाला था कि एक फोन आया और जो उसने सुना " मि० रोहण आप कल से ज्वाइन कीजिए। बाकी डिटेल्स ईमेल पर चैक कीजिये। कल सुबह ठीक नौ बजे।" उसे यकीन नहीं हुआ खुद को चिकोटी काटी तो लगा कि सच है सपना नहीं। 

पहली नौकरी उसे मिल गई थी बस उसका सपना पूरा होने जा रहा था, मां को तुरंत खुशखबरी दी। ये मां का आशीष ही था जो फलित हुआ था 



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