स्वाभिमान
स्वाभिमान
रामदीन सर झुकाए चुपचाप मालकिन की फटकार सुन रहाथा।बाजार से सब्जी लेकर आया तो हर रोज़ की बचे हुए पैसे मालकिन को दे दिए और सब्जियों जो वो लाया उनका हिसाब भी बता दिया। पिछले बीस सालों से वो यहां खाना बनाने के साथ साथ बाहर का सामान लाने का भी काम कर देता था। आज के हिसाब में दस रूपए का एक नोट कम था । मालकिन इसी कारण उसे काफी भला बुरा कहने लगीं।
उसने कोई सफाई नहीं दी, चुपचाप वहां से चला गया। दूसरे दिन सुबह दस का नोट टेबल पर रखते हुए बोला,"मालकिन जी मैं आज से काम छोड़ रहा हूं। बस यहां अब काम करना मुश्किल होगा।" यह कहकर
वो तेज़ी से निकल गया। चार पांच दिन बाद कामवाली झाड़ू लगा रही थी तभी उसे सोफे के नीचे दस का नोट मिला उसने मालकिन को दे दिया और बताया कि सोफे के नीचे उसे यह मिला है। मालकिन को तुरंत अपनी भूल का एहसास हुआ कि यह वही नोट है शायद उस दिन पंखे की हवा से उड़कर नीचे गिर गया होगा। उसे अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ। उसने रामदीन को फोन लगाया और माफी मांगी और काम पर वापस आने के लिए भी कहा, पर रामदीन ने मना कर दिया यह कहकर कि एक दस रुपए के नोट के लिए आपने मेरी इतने बरसों की ईमानदारी पर शंका की, अब संभव नहीं होगा काम पर आना।