Kavita Sharma

Inspirational

3.5  

Kavita Sharma

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धागा (लघुकथा)

धागा (लघुकथा)

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पहाड़ी रास्ते से उतरते हुए अचानक हंसमुख सी नीलिमा की नज़र एक उदास सैनिक पर पड़ी वो झट उसकी ओर बढ़ी, कारण जानकर उसे दुःख हुआ कि दो दिन पहले ही उसने अपनी बहन को खो दिया।

नीलिमा ने झट अपने दुपट्टे से इक धागा खींचकर निकाला और सैनिक की कलाई पर बांध दिया बस तब से दोनों खून का रिश्ता न सही पर धागे की पवित्र डोर अवश्य जुड़ गए।



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