वो लड़का
वो लड़का
वो लड़का लगभग 17 साल का रहा होगा। उसकी एक छोटी बहन थी लगभग 14-15 साल की। मां को मरे हुये एक महीना ही बीता था। आज पूरे गांव में सिर्फ उस लड़के की ही चर्चा हो रही थी। कोई उसे कपूत बोल रहा था कोई आवारा कह रहा था । दो घर छोड़कर रहने वाली पार्वती चाची बोल रही थी "मुझे तो शुरु से ही इस लड़के के लक्षण ठीक नही लग रहे थे।
पता था एक न एक दिन जरूर कोई कांड करेगा और देखो आज कर ही दिया कांड।" चौराहे के पास वाले घर में रहने वाला चन्द्र प्रकाश कह रहा था "साले कपूत ने अपने ही बाप को मार डाला। क्या इसी दिन के लिए जन्म दिया था इसकी अम्मा ने। आज इसकी अम्मा ज़िंदा होती तो फांसी लगा लेती ये सब देख कर ,घोर कलयुग है भैया आजकल बेटा भी बाप का सगा नही होता।" सभी कुछ न कुछ बोल रहे थे सिवाय उसके घर के बगल में रहने वाली विमला मौसी के।
वह आंखों में आंसू लिए चुपचाप उस लड़के की रोती बिलखती डरी हुयी बहन को सीने से चिपका कर संभालने की कोशिश कर रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कि उन्हें किसी गहरे राज की बात पता है। उस लड़के ने अपने ही पिता की हत्या कर दी थी और खुद ही पुलिस थाने चला गया था। पुलिस थाने में थानेदार ने उस लड़के की ओर सवालिया नजरों से देखते हुए कहा " तो तुम यह कह रहे हो कि तुमने खुद ही अपने पिता की हत्या कर दी है ।
" लड़के ने हां में सिर हिलाया। थानेदार ने फिर पूछा "तो फिर तुमने भागने की कोशिश क्यों नहीं की खुद ही थाने क्यों चले आये?" लड़के ने जवाब दिया " क्योंकि भागते वो है जो कोई गुनाह करते हैं, मैंने अपने बाप को मार कर कोई गुनाह नही किया है।" थानेदार ने पास खड़े कांस्टेबल की तरफ देख कर कहा " ये आजकल के लौंडे बहुत बिगड़ गए हैं खुद को हीरो समझते है। मां बाप की जरा सी बात भी इनको बर्दाश्त नहीं होती।
" फिर लड़के की ओर देखकर कहा " नशे वशे की लत तो नहीं हैं तुमको, बाप ने पैसे देने से मना कर दिया होगा और तुमने गुस्से में आ कर उनकी हत्या कर दी होगी" लड़के ने जवाब दिया " नही सर ऐसा कुछ नहीं है।" थान
ेदार ने थोड़ा झल्लाते हुए पूछा "तो फिर ऐसी कौन सी मुसीबत आन पड़ी थी जो तुम्हें अपने बाप की हत्या करनी पड़ी। ऊपर से खुद ही थाने आ कर शान से बता रहे हो कि तुमने खुद ही अपने पिता की हत्या कर दी है।" लड़के ने कहा "क्योंकि वो हैवान था, बाप के नाम पर कलंक था। मुझे उसे मारने का कोई अफसोस नही है बल्कि अफसोस तो इस बात का है कि वो मेरा बाप था।" यह कह कर वह अपने चेहरे को दोनो हाथों से ढक कर रोने लगा फिर अचानक ऊपर की ओर देखकर थोड़ी तेज़ आवाज़ में कहने लगा " मां, देख मां आज मैने उस राक्षस को मार डाला जो तुझे रोज़ नोच नोच कर खाता था जिसने तेरे शरीर को तार तार कर दिया था, तुझे जानवरों की तरह पीटता था तेरी जिंदगी को नर्क बना कर रख दिया था।
उसे तेरे कमजोर शरीर और बिगड़ती तबियत से भी कोई लेना देना नही था। उस जानवर को सर्फ तेरे शरीर को नोचने से मतलब था। तू ने कभी उसकी शिकायत नहीं की लेकिन रो रो कर सूजी हुयी तेरी आंखें और तेरे शरीर पर पड़े हुए निशान सब कुछ कह देते थे मां।।।। मैं अब कोई बच्चा नही था जो मुझे कुछ समझ नहीं आता। मुझे सब समझ आता था मां लेकिन मैं तेरी ख़ातिर चुप रहता था क्योंकि वो तेरा पति था और तू उसे परमेश्वर मानती रही।
पर पता है मां तेरे उस परमेश्वर ने आज सारी सीमाएँ लांघ दी। आज उसने अपने गंदे हाथों से मेरी बहन यानि खुद की बेटी को ही छूने की कोशिश कि अगर मैं वहां समय पर नहीं पहुंचता तो अनर्थ हो जाता मां। इसलिए मैने उस राक्षस को मार डाला मां मार डाला।" बोलते बोलते वह लड़का फूट फूट कर रोने लगा। थानेदार अब सबकुछ समझ चुका था। उसने लड़के के कंधे पर हाथ रख कर उसे सांत्वना देने की कोशिश की और कांस्टेबल से उसके लिए एक गिलास पानी मंगवाया और फिर चुपचाप रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया। लड़के के घर के बाहर आंगन में उसके पिता की डेड बॉडी पड़ी मिली। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया हुआ चाकू भी बरामद कर लिया। लड़का नाबालिग था इसलिए उसे बाल सुधार ग्रह भेज दिया गया और कुछ साल बाद ऱिहा कर दिया गया।