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Pt. sanjay kumar shukla

Action Classics Fantasy

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Pt. sanjay kumar shukla

Action Classics Fantasy

वो कोई और नहीं

वो कोई और नहीं

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(१) मेरी जन्म होने पर,

घर-घर जाकर मिठाइयां बंटवाए।

मैं बेटी हूं यह जानकर,

वो खुशी से फूला ना समाए।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता है।


(२) पाल पोस कर बड़ा किया है,

समाज में मुझे सम्मान दिलाया।

पढ़ा लिखा कर आज मुझे,

मेरा सारा अधिकार दिलाया।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता है।


(३) कड़ी धूप में तप कर,

खून पसीना बहा दिए।

मेरी सुकून के खातिर,

घर में कूलर पंखा लगा दिए।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता हैं।


(४) मेरी हर तकलीफों में,

जिन्होंने पहले कदम बढ़ाया।

हर संकट में जिन्हें,

अपने साथ खड़ा पाया।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता हैं।


(५) आज भी मेरी वो बचपन की यादें,

मुझे सुकून दिलाती है।

जिनके सीने से लग कर सुना था,

वह लोरी आज भी मुझे तन्हाई में सुनाती है।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता है।


(६) जिनके चरणों को छूकर,

मैं जन्नत को पा जाती हूं।

जिनके आशीर्वाद से,

हर संकट से लड़ने की हिम्मत जुटा पाती हूं।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता हैं।


(७) करके मेरा कन्यादान,

जिनके चेहरे में खुशी के कमल खिला था।

टूट चुके थे उस दिन,

और उनकी आंखों में मुझे

समंदर की लहरें मिला था।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता है।


(८) आज भी वो अपनी बहू में,

मुझे ही पाते हैं।

जो कुछ पहले मेरे लिए लाते थे,

वे आज भाभी के लिए लाते हैं।

वो कोई और नहीं,

मेरे पिता हैं।


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