खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
रामकिशन एक गरीब परिवार से था जिसका एक पत्नी और दो जुड़वा बच्चे थे । "मृत्यु बच्चों के जन्म होने के 2 महीने बाद रामकिशन की मृत्यु हो जाती है" क्योंकि सो कर उठने के बाद रोजाना महुआ के शराब की लत लग गई थी जिसको उसे छोड़ना बहुत ही नामुमकिन था ।
रामकिशन के मरने के बाद उसकी पत्नी बिल्कुल ही अकेली पड़ गई थी ।
दोनों भाई अब 10 साल के हो चुके थे और इसी समय उनके मां का भी देहांत हो गया वह दोनों भाई बिल्कुल ही अनाथ हो गए गरीब तो थे ही पर उन्हें कोई भाता भी नहीं था ।
तभी उसके बड़े भाई ने विचार किया कि हम दोनों इस गांव से दूसरे गांव काम की तलाश में निकलते हैं ।
वे दोनों जाते जाते एक गांव में पहुंचते हैं उस गांव में पहुंचने के बाद वे दोनों भाई एक घर में जाते हैं और जाकर के बड़ा वाला भाई उस घर के किसान को पूछता है।
कि हमको यहां कोई काम मिलेगा क्या?
बेटा! हमारे यहां तो कोई काम नहीं है वह बुजुर्ग कहता है।
फिर वहां से वे दोनों भाई दूसरे घर पर गए और वहां पता किया कि हम दोनों भाई को काम मिलेगा क्या ?
उस किसान ने कहा हां मिलेगा तो!!
मगर मैं एक ही को काम में रख सकता हूं बड़ा भाई कहता है ठीक है
व किसान कहता है बेटा आप लोग कहां से आए हैं और क्या नाम है आप दोनों का।
हम दोनों जुड़वा भाई हैं और हमारे माता-पिता का देहांत हो गया है तो हम अपना गांव और घर छोड़कर काम की तलाश में निकल गए हैं मेरा नाम रामू और मेरे भाई का नाम सामू है । वह बड़ा भाई इतना कह कर वहां से दूसरे घर में पूछने को गए
।
उसी गांव के दूसरे किसान के घर रामू ने जाकर पूछा की भाई साहब मुझे कोई काम मिलेगा क्या यहां?
पूछा कि बेटा तू कहां से आया है क्या नाम है तेरा ।
रामू अपनी पूरी व्यथा कहानी सुनाता है ।
रामू की दुख भरी कहानी को सुनकर वह किसान पिघल जाता है और रामू को अपने घर के छोटे-मोटे कामों में हाथ बताने के लिए रख लेता है।
अब एक ही गांव में दोनों भाइयों को अब काम मिल चुका था।
रामू बुद्धिमान लड़का था और उसका छोटा भाई सामू पूरी तरह से मूर्ख था ।
इंसानों के सामने शाम को बोला कि बेटा तुम जाओ आज बकरियों को चरा करा कर शाम तक ले आना ।
एक पोटली में एक चावल की रोटी रखकर बकरियों को लेकरसामू जंगल की ओर निकल पड़ा ।
दोपहर का समय था।
बकरियां पेड़ के नीचे बैठी हुई थी और एक पत्थर पर सामू अपनी रोटी निकालकर खा रहा था तभी बकरियां बैठे-बैठे जुगाली करना शुरू किया था।
सामू को लगा कि मैं रोटी खा रहा हूं तो यह बकरियां मुझे चिढ़ा रहे हैं वह बकरियों को चिल्लाता है परंतु बकरियां जुगाली करते रहती है और सानू डंडा लेता है और सारे बकरियों की मुंह तोड़ देता है इतने में उसके भाई जंगल लकड़ी लेने के लिए आया रहता है अभी देखता है कि वह उसका छोटा भाई सभी बकरियों को मार रहा है तब जाकर पूछता है ।कि तुमने इन बकरियों को क्यों मारा ?
सानू कहता है!!

भैया मैं रोटी खा रहा था तो यह लोग मुझे चिढ़ा रहे थे इसलिए मुझे गुस्सा आया और मैं सबके मुंह तोड़ दिया।
वह अपने भाई को समझाता है की चल यहां से अब भागते हैं नहीं तो तेरा किसान अब तुझे छोड़ेगा नहीं ।
वे दोनों भाई वहां से भागते भागते अब एक जंगल में पहुंच चुके थे शाम हो चुकी थी रास्ता लंबी थी और सुनसान दोनों भाई उसी जंगल में रात को ठहर जाते हैं । तथा बोर होने के पश्चात वे दोनों भाई फिर एक गांव में पहुंचते हैं पर पहुंचने के बाद रामू पहले अपने छोटे भाई के लिए काम करता है फिर अपने लिए उस गांव में भी काम उनको तो मिल जाता है ।
नवंबर का महीना था खेतों में धान लहलहा रही थी ।
सामू के किसान ने 1 दिनों से खेतों की देखरेख के लिए भेजा
समूह के किसान ने कहा कि धान में "बाकी" थोड़ी लग रहा है
समूह पूछता है मालिक बाकी कैसा दिख रहा होगा ?
किसान कहता है कि धान में काले काले नजर आ रहे होंगे ।
सामू निकल पड़ा खेत की ओर खेत में जा कर देखता है कि धान में बहुत सारे वैसी काले-काले नजर आ रहे थे उसे लगा की पूरी मक्खी पक रही धान की रस को चूस रही है।
और सामू डंडा लेकर के पूरे धान को पीटने लगता है धान पूरी तरह से टूट कर खेत में बिखर पड़ा था ।
और वही से रामू गुजरता रहता है तब देखता है कि उसका भाई पूरे खेत के धान को मार मार के बिखेर रहा है दौड़ के उसके पास जाता है और कहता है कि क्या कर रहा है पागल ।
सामू कहता है! भैया धान को पूरा मक्खी खा जा रहे हैं इसलिए मक्खियों को मार मार के भगा रहा हूं ।
अब तुझे तेरा किसान तुझे छोड़ेगा नहीं और तू हमें एक जगह रहने देगा नहीं अब बेहतर होगा कि हम फिर यहां से भाग कर किसी दूसरे गांव में जाते हैं ।
दोपहर का समय था दोनों भाई भागते भागते भागते जंगल के रास्ते से होते हुए निकल पड़े थे घनघोर जंगल बारिश की रात रास्ते में एक गुफा नजर आया उसी गुफा में जाकर भी दोनों भाई घुस गए और उस गुफा का दरवाजा बंद कर लिए ।
कुछ समय बाद उस गुफा का मालिक पहुंचा गब्बर शेर और अपने ग्रुप ए के पास आकर सोचता है कि मैंने तो दरवाजा खुला छोड़ कर गया था यह बंद कैसे है गब्बर शेर दरवाजा पूरी तरह से खोलने की कोशिश करता है परंतु दरवाजा नहीं खुलता तब वह उस जंगल के "वेद" अपने भांजे के पास पहुंचा

गब्बर शेर मंकी भाई के पास जाकर अपनी सारी कहानी बताई मंकी भाई ने बोला मामा जी आप इस जंगल के राजा हैं और इतने डरते हैं नहीं नहीं आपको किसने कहा मैं कहां डर रहा हूं ।आप चल कर देखिए तो सही कि क्या हुआ है मेरे घर में आज
गब्बर शेर के भांजा उसके गुफा के पास आकर मंत्र उच्चारण करने लगता है और अपना पूछ उस गुफे के दरवाजे से अंदर घुसा कर घुमाने लगता है और मंत्र उच्चारण उनका जारी रहता है ।
सामू को लगता है कि मेरे को कुछ गुदगुदा रहा है और वह बहुत समय से उसको अपने पास से हट आता है पर वह वैसा ही उसको बार-बार गुदगुदाता रहता है ।
तभी सामू बंदर का पूछ पकड़ता है और जोर......से कस......कर कुमाता है ।
बंदर डर से इतने झटका के साथ वहां से उठ कर भागने लगता है तभी शेर भी घबरा जाता है और शेर भी बंदर के पीछे पीछे भागने लगता है।
सामू को कुछ पता नहीं रहता ।
बंदर भागते भागते वह अपने घर पहुंचा और डर से कांप रहा था उसके पीछे पीछे गब्बर शेर पहुंचा और अपने भांजे बंदर से पूछने लगा कि वहां क्या हुआ जो तुम इतने जोर से भागे बंदर कहता है शेर मामा आपके घर में बहुत ही बड़ा कोई भूत का वास है उसको भगाना अब नामुमकिन है ।
गब्बर अपने भांजे से निवेदन करने लगता है कि भांजे तुम ही तो हो वह वैद्य जो मेरे घर से उस भूत को भगा सकते हो ।

गब्बर शेर के बहुत निवेदन करने पर बंदर फिर से उसके घर पहुंचता है। परंतु गब्बर अपने भांजे से एक शर्त भी रखता है कि बंदर भांजे हम दोनों अपनी पूंछ बांधकर जाएंगे ।
बंदर अपने गब्बर मामा को कहता है कि नहीं ऐसा नहीं करेंगे परंतु अपने भांजे की डर को देखकर गब्बर भी डर गया था और वह पूछ बांधने के लिए भी ज़िद किया ।
बंदर फिर से अपने मामा के निवेदन करने पर दोनों अपने पूछ को बांध लिए और बंदा फिर से अपने मामा के घर गया और उस गुफे के पास पहुंचे रामू अपने भाई को चुपचाप रहने को कहा । बंदर फिर से उस गुफे के एक सुरंग से अपनी आधी पूछ घुसाकर घुमाने लगा वह पूछ फिर से सामू को गुदगुदाने लगा सामु इस बार बहुत ही गुस्से में था और पहले से कुछ ज्यादा ही जोर से दबा दिया ।
बंदर चिल्लाते हुए वहां से पहले से भी ज्यादा जोर से भागने लगा और शेर को पूरे उबड़ खाबड़ पत्थरों में घसीटते हुए वह अपने घर के पास पहुंचा शेर पूरी तरह से जख्मी हो गया था उसके शरीर में कई जगह घाव बन चुके थे जिसके कारण खून निकल गए रहे थे ।
फिर गब्बर शेर उस दिन रात को अपने घर नहीं गया और अपने भांजे के साथ एक पेड़ के नीचे ही सारी रात बिताया ।
तभी रामू कहता है कि खोटा सिक्का भी बहुत काम का होता है क्योंकि उसका भाई निकम्मा होते हुए भी उस दिन वह दोनों का जान बचाया।
