गांव की एक कहानी
गांव की एक कहानी
मेरा गांव चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है जहां दोनों तरफ पहाड़ी और बीच में एक छोटी सी गांव है। कई तरह के जानवर भी यहां देखने को मिलते हैं जैसे कि जंगली सूअर, हिरण, खरगोश, जंगली मुर्गी, बंदर तो कॉमन है जिनकी तीन-चार प्रजातियां देखने को मिल जाती है। और यही हमारे कोरबा जिला में विशाल जानवर जो धरती के दूसरे विशालकाय वाले प्राणी में गिनती आता है elephant। यह हाथी अक्सर फसल लगाने के समय और फसल काटने के समय आते हैं।
किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं कि किसान को उसका मजदूरी भी नहीं मिल पाता और अक्सर वह रात को ही अपनी धावा बोलता है पुरी गांव जब सन्नाटे मैं रहती है तब चुपचाप खेतो और बाडियो की आधी फसल खा जाते हैं और आधी लोन देते हैं बची कुची हुई फसल किसान के हिस्से में गांव में घुसकर किसी के घर तोड़ते हैं तो किसी के घर में रखी हुई अनाज खा जाते हैं इनकी तहलका इतनी भारी-भरकम होती है इन से सामना करने से लोग डरते हैं
अगर कोई गलती से उनके पास पहुंच जाए उनको उठा पटक कर उनका जान ले लेता है इस विशालकाय जानवर से लड़ने के लिए किसी में इतनी ताकत तो नहीं कि उससे कोई लड़ सके, बस वह दूर से आग और पत्थरों के सहारे उसे भगाने की कोशिश करते हैं और शायद कुछ हद तक भगाने में सफलता भी मिलती है परंतु कहीं झुंड हो तो उनको अपने खेतों व बाड़ियों से भगाना नामुमकिन सा हो जाता है उनका मुखिया एकदंताय हाथी होता है, जो खूंखार सदैव लोगो की ओर गरजते हुए दिखाई पड़ता रहता है अपनी झुंड की ओर किसी को आने नहीं देता।
मेरे घर से 200 मीटर दूर सड़क के उस पार एक घर है जिनके एक बेटे बहू उनके बच्चे और उनकी माता पिता इन लोगों से अलग रहते थे।
और उनके माता-पिता का घर जंगल किनारे खेत के बगल में एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहते थे। 18 जून 2019 की गर्मी का समय था दोनों पति पत्नी आंगन में सोए हुए थे अंधेरी रात जहां पास की चीजें भी कुछ धुंधली सी नजर आ रही थी। और हां यह बात तो सच है कि वह दोनों कुछ मदपान का सेवन किए थे उस रात को परंतु वह उतर चुकी थी। जब तकरीबन 12:00 बजे की रात को वह अकेला दंता रहा थी उनके झोपड़ी के पास ही आकर खड़ा था वे दोनों सो रहे थे चारपाई पर तभी उनकी पत्नी की आंख खुलती है और वह देखती है कि हाथी उनके झोपड़ी के बगल में खड़ा है।
"उनकी उम्र कुछ ज्यादा नहीं थी यही लगभग 55 - 48 की होगी।"
"पति पत्नी के उठाने पर हकलाते हुए उठता है क्या हुआ क्या हुआ, उनका पत्नी उनको चुप-चुप कहते हुए धीरे से उठाती है और यहां हाथी है कह कर भागने को कहती है , दोनों भागने लगते हैं कभी हाथी उनकी पत्नी को पहले पकड़ती है और घुमा कर फेंक देती है जो कि वह बगल के पेड़ में जाकर टकराती है और टकराकर गिर जाती है और गिरते ही वह बेहोश हो जाती है।
" फिर वह दांतैल हाथी उस आदमी को पकड़ता है और पटक कर उनको कुचल कुचल के उस आदमी का जान ले लेता है वहां उनकी चीखें सुनने वाला कोई नहीं है था "। बस जंगल और सन्नाटे ही उनकी आवाज सुन रहे थे।
जब लगभग डेढ़ घंटे बाद उनकी पत्नी को उस आती है तब उठती है पर उठ नहीं पाती।
क्योंकि उस हाथी के फेंकने पर उनका पैर टूट चुका था, वाह सरकते सरकते रोड के किनारे आती है रूट लगभग उनके घर से 100 मीटर की दूरी में है परंतु उनका झोपड़ी एकांत में है।
उस नेशनल हाईवे पर गुजरने वाली वाहनों को वह महिला चिल्ला कर रोकने की कोशिश करती है पर कोई नहीं सुनते उसका।
तभी हमारे गांव का एक लड़का जो गाड़ी चला रहा था वह वहां पहुंचा और देखा कि यह तो हमारे ही गांव की महिला है तभी वह अपना गाड़ी रोका और सब को बुलाने के लिए बस्ती की ओर दौड़ा उनकी चिल्लाने की आवाज से हम सभी उठ गए और और बस्ती वाले भी उठ गए।
जब उनसे पूछा कि क्या हुआ तब उसने उस घटना स्थल के बारे में हम सभी को बताया तत्पश्चात हम सभी लोग उस घटनास्थल पर दौड़ते हुए पहुंचे।। और देखेगी वह खून से लथपथ और उनका पांव की हड्डी दो तीन जगह से टूटा हुआ और हाथ भी कलाई से टूट चुकी थी। वह अपनी सारी हाल बताई और हम लोग को कह रही थी कि वह भाग चुके हैं पता नहीं किधर भागे हैं उनको ढूंढ हो मैं हॉस्पिटल जाने के लिए उनकी गाड़ी का इंतजाम कर रहा था। तभी कुछ लोगों ने ताश के सहारे से इधर-उधर देखा तो उन लोगों को उनके पति की डेड बॉडी पड़ी हुई मिली जो बहुत ही दर्दनाक मृत्यु था।
20 किलोमीटर दूर सरकारी हॉस्पिटल उनके ट्रीटमेंट के लिए ले जाया गया और सुबह इधर गांव में बहुत भीड़ लगी हुई थी उनके डेड बॉडी के पास बड़े-बड़े लोगों की उपस्थिति थे और फॉरेस्ट विभाग भी वहां उपस्थित थे जो कि उनके अंतिम संस्कार के लिए ₹20000 नगद रुपए दिए गए और हाथी द्वारा मारे जाने के कारण उनको मुझे भी उनके परिवार वालों को देने का घोषणा किया गया
और और गांव वालों से फॉरेस्ट विभाग निवेदन किया कि जंगल के किनारे किसी को झोपड़ी या घर बनाकर नहीं रहना है।
