एक प्रेम ऐसा भी
एक प्रेम ऐसा भी
जिन्दगी का एक और सच- दर्द में भी जो प्रसन्न हो वही खुश होता है। और रही बात हमारी तो हम तो आँसुओं को भी पीकर खुश रहते है "
क्योंकि किसी को अपना दर्द बता कर क्या फायदा है , क्या फायदा किसी को अपना दर्द दिखा कर बेमतलब लोग कहेंगे हमेशा रोता रहता है। "
ऐसा आज के लोग कहते हैं -
पहले के लोग - अपने दिल में कुछ भी छुपा कर मत रखना क्योंकि लोगों को अपने दिल के दर्द बताओगे तो दिल हल्का होता है। जैसे जैसे समय की परिवर्तन होता है , लोगों की बोलने का तरीका भी बदलता जाता है। गलती उनकी भी कुछ नहीं है वह भी अपनी जगह ठीक ही है।
"मैं तो कहता हूं कि अपने दिल की सारी बातें अपने दर्द क्यों कहे अपने किसी मित्र से हम क्यों तलाश करें किसी महबूबा की जिनसे अपने दिल की बातों को कह सकें।"
और अगर आप लिखने के शौकीन हैं तो आप साहित्य से कहें साहित्य आपकी सुनेगा और आपके दर्द को आपके प्रेम को लोगों तक पहुंचाएगा।
