Pt. sanjay kumar shukla

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हमारी पहली मुलाकात

हमारी पहली मुलाकात

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  २०१७ अगस्त की प्रथम सप्ताह की वो संध्या की बेला जहां आसमान में बादल छाए जा रहे थे तथा हल्की हल्की ठंडी शीतल हवाएं चल रही थी ।

       वहीं मेरे गांव के चौक पर रोड के किनारे में दूरी लिखे हुई पत्थर के ऊपर एक लड़का कहीं से आकर बैठा था। उसी समय हम तीन - चार मित्र वहां पहुंचे और हम उसके पास गए इतने में हमारे एक मित्र ने उनसे पूछा कि "आप कहां से आए हैं और आप का क्या नाम है "

         वह लड़का सिर झुकाए इधर उधर देखता रहा पर कुछ जवाब नहीं दिया।

लड़का दिखने में सीधा-साधा थोड़ी लम्बे लठ दार बाल, एक फटी हुई मैली सी टी- शर्ट और हाफ चड्डा पहना था। तथा पाँव धूल से रचा हुआ एड़ी फटी फट कर हलकी हलकी खून निकलता था।

    " मैंने मुस्कुराते हुए कहा अपने दोस्तों से कहा ये तुम्हारी भाषा नहीं समझेगा इनसे मैं बात करता हूं "

 मैने अंग्रेज़ी की दो- तीन लाइन बिछाना शुरू कर दिया ,"what's your name " वह लड़का सर झुकाए अपना हाथ हिलाते हुए मौन भाव से कहा अपनी भाषा में " मैं नहीं जानता।"

" मैंने फिर से पूछा where are you going to know " उसने कुछ जवाब नहीं दिया फिर कुछ समय में वह अपने शब्दों में कुछ कहता फिर चुप रहता फिर कुछ कहता। उम्र में हमसे लगभग 2 साल का छोटा रहा होगा परंतु कद मेरे इतना 5 6 इंच रहा है। अब हम सब मान लिए कि यह कोई पागल है और हम वहां से अपने घर के लिए निकले।

      अगले दिन मैं " यादव होटल " से शाम 7:00 बजे के करीब घर जा रहा था तभी वह लड़का वही चौक में घूमते हुए मिला। मैंने उससे बात किया कहां कैसे हो उसने मुझे देखते ही सर झुका लिया और दोनों हाथों से कभी नाखून दबाता तो कभी मुंह में नाखून काटता। "मैंने फिर कहा उसे होटल में जा खाना वाना मिल जाएगा " इतने में वह अपने शब्दों में फर्राटे से कुछ कहा और उन शब्दों के अंत में ' नहीं देंगे' कहा ।

और मैं उसकी बात में सहमत भी था।

उसकी बातें मेरी ऊपर से उड़ रही थी परंतु मैं भी उसकी भावनाओं को समझ रहा था और वह मेरी और वह मेरी बातों को।

मैंने उसे कहा क्या तू चलेगा मेरे घर खाना खाने के लिए उसने सर हिलाते हुए नई-नई कहा लेकिन मैंने फिर कहा उसे, चल मेरे घर खाना खा लेना ठीक नहीं आ जाना सोने के लिए वह मेरे साथ चलने लगा और चलते चलते रास्ते में मैंने उससे प्यार से उसका पता उसका नाम पूछा, उसने अपने शब्दों में कुछ कहा और और रोहित कहा। फिर मैंने उसे रोहित के नाम से ही पुकारना शुरू किया वह खुश होता था मेरी बातों को सुनकर फिर हम दोनों घर पहुंचे अब फिर मम्मी से मैंने कहा कि इसे खाने को कुछ दे दे उन्होंने पत्तल में खाना दिया और वह वही खाया और वह खाने के बाद वही नई धोबी दुकान के पास सोने के लिए चला गया।

 वह 3 महीने तक मेरे यहां से खाना खाकर वही नई धोबी दुकान में जाकर सो जाता था सुबह 8:00 बजे फिर मेरे घर आ जाता है और खाना खा कर फिर स्कूल की तरफ घूमने चला जाता है और दोपहर में आंगनबाड़ी में मम्मी उनको खाना दे देती थी। और एक टायर वाला ने उसपर आरोप लगाया कि उसने मेरे पैसे चुराए हैं जिसके कारण मैंने उसे मेरे घर से ही नहीं बल्कि मेरे गांव से भी जाने को कहा और वह उसी दिन गांव छोड़कर चला गया। मैं उस लड़के को कभी नहीं भूला और ना ही कभी भूलूंगा। एक अनजान लड़के के साथ " हमारी पहली मुलाकात " मैं दो भाइयों की तरह प्यार रहा और मेरे हृदय के उन पन्नों पर उनकी यादें मेरे जीते तक लिखा रहेगा ।



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