लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
अपनों से जिसने कभी कोई रिश्तें बनाये थे, पर निभाना नहीं जानते थे। अपनों से जिसने कभी कोई रिश्तें बनाये थे, पर निभाना नहीं जानते थे।
अपने किसी मित्र से हम क्यों तलाश करें किसी महबूबा की अपने किसी मित्र से हम क्यों तलाश करें किसी महबूबा की
कुछ नहीं, गिर गयी है। शायद मोच आ गयी है। क्या आप हमारी मदद करेंगे कुछ नहीं, गिर गयी है। शायद मोच आ गयी है। क्या आप हमारी मदद करेंगे