वो चद्दर...
वो चद्दर...
वो है सिर्फ कपड़े की चद्दर
पर वो करती है काम माँ जैसा
कई रात वो पोंछती है आँसू मेरे ।
वो है सिर्फ कपड़े की चद्दर
पर वो करती है काम मल्हम जैसा
कई बार दर्द मेरा वो कम करती है ।
वो है सिर्फ कपड़े की चद्दर
पर वो करती है काम जादू जैसा
कई बार ढँक लेता हूँ चहेरा उसमे
वो सहलाती है मुझे,
मानो दे रही हो मुझे हौसला ।