भावना बर्थवाल

Inspirational

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भावना बर्थवाल

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वो बेरोजगार था

वो बेरोजगार था

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ये कहानी उत्तराखंड के एक गांव की है जहां पे परिवार संयुक्त रूप में रहते थे। सारे लोग मिल जुलकर ही रहते थे पर आपस में खिंचतान तो रहती ही थी। चाहे आप कितना भी संयुक्त रूप से रह लो पर मतभेद हो जाते हैं।

ऐसे ही एक कहानी है दो भाइयों का परिवार साथ रहता था। साथ में सास ससुर रहते थे। ससुर भी नौकरी करते थे। उनके छोटे भाई, और उनका परिवार भी साथ ही रहता था।

दोनों भाई शादी शुदा थे। पर बड़ा भाई नौकरी नहीं करता था। तो छोटे भाई और उसकी पत्नी चीज के लिए सुनाते थे। उनके बच्चों को हर बात पे सुनाया जाता था। उन छोटे बच्चों से बोला जाता था  तेरा बाप कुछ कमाता नहीं है। बड़े भाई की पत्नी लोगों से पुरानी स्वेटर मांग कर अपने और अपने बच्चों के लिए स्वेटर बनाती थी। सोचिए कितनी दुखद है। कितना मुश्किल होता होगा ज़रूरत का समान भी ना मिल पाना। मैंने उन को अपने आंखों से देखा था वो बड़े भाई की पत्नी को वो बहुत सहनशील थी। उनके जीवन में कठिनाई बहुत थी पर वो उफ़ कहे बिना घर के और खेत के सारे कार्य बखूबी किया करतीं थीं। बहुत बार देखने में आता है संयुक्त परिवारों में जो बेरोजगार होता है उसे बड़ी उलाहना का सामना करना पड़ता है, कई साल हो गये थे उनके पति को घर ना आते हुए। लोग तरह-तरह की बातें करते थे। कोई कहता उसने शादी कर ली होगी। और भी तरह तरह की बातें गांव भर में होने लगी। खैर समय भला कभी रूका हैं किसी के लिए वो तो अपने ही गति से चलता रहता है।


एक दिन पता चला कि उनके पति की नौकरी लग गई। और उन की दो बेटियों के बाद बेटा हुआ था। घर में दो दो खुशियां आईं थीं। पर कुछ लोग आम जिंदगी में ऐसे होते हैं जो ना तो हमारे पास परेशानी में साथ खड़े होना चाहते हैं ना ही हमारे सुख के साथी ही बनना चाहते हैं। ऐसे लोगों को हर तरह से परेशानी ही होती है। कहते हैं बुरे दिन हमेशा नहीं रहते। धीरे-धीरे समय बदला‌‌ चाहे देर से ही पर बदला। एक दिन अचानक बड़े भाई की पत्नी की तबीयत ख़राब हो गई। तो उनके फेफड़ों में पानी भर गया उन को लखनऊ के के जी एम सी में भर्ती कराया गया। जहां उनका महीने भर इलाज चला और वो ठीक हो गई। ये उन पर और उनके बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। जब कभी अपने होके भी साथ ना दे तो भी ऊपर वाला किसी

ना किसी को अवश्य भेजता है। ये मैंने सुना था पर सच होते हुए देखा भी। धीरे-धीरे वो ठीक हुईं और अपना परिवार को उन्होंने अपनी सूझबूझ से संभाल लिया। आज उनके दो दामाद, एक बहू है अपना मकान है, एक बेटा विदेश में नौकरी कर रहा है। सब की शादी हो गई एक बेटे की शादी करनी है बस।


इस कहानी का सार है कि वक्त बुरा हो सकता है पर जिंदगी नहीं। हमेशा जिंदगी में धीरज बंधाये रखना जरूरी है लोग बहुत बातें करते हैं। क्यों कि आप की स्थिति का आकलन करना किसी की की बस की बात नहीं है। जिंदगी में मुश्किलें आनी जानी है इसे घबराना नहीं। बस उन्हें हरा कर आगे ही बढ़ते जाना। रात के बाद सवेरा आता है।


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