भावना बर्थवाल

Inspirational

3.3  

भावना बर्थवाल

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नारी मूर्ति नहीं इंसान है

नारी मूर्ति नहीं इंसान है

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नारी युगों युगों से पूजी जाती रही है हम सब के जीवन में नारीमहत्व अलग-अलग रूपों में है।पर क्या हम सब ने नारी के महत्व को समझा और जाना

आत्मसात किया।मेरा उत्तर है नहीं।

कभी भी कोई भी नारी के मन को नहीं टटोलता नहीं जानना चाहता वो क्या सोचती है क्या उसके सपने हैं।मैं तो ये कहूंगी कि औरत ही औरत की मनह दशा को नहीं समझती तो पूूूरूषो से उम्मीद करना बेेेेकार है।ये समाज सदियों से चला आ रहा है और जब से येसमाज चला आ रहा है तब से ही नारी का अस्तित्व भी हैफिर कैसे ये समाज नारी को मूर्ति समझने की भूल करता आ रहा है ।हमारा देश पूरूष  प्रधान देश है पर सोचिएं तो सही की नारी के बिना क्या इस समाज का अस्तित्व जिन्दा रह पाएगानारी सच्चाई का आइना है जिसे आप नकार नहीं सकते ।फिर क्यों नारी को मूर्ति समझ लिया जाता है।

जिस कि वजह से आप इस धरती पे अपना अस्तित्व पाते हैं उसी के अस्तित्व को मिटाने का पूरजोर कोशिशें की जा रही है।

हर दर्द सह कर भी नारी अपनों के लिए हमेशा तैयार रहती हैपर उसी को मिटाने में लगे हुए हैं ।कहीं घरेलू हिंसा का शिकार कहीं रेप का शिकार होते छोटी-छोटी बच्चियों कहीं भ्रूणहत्या के शिकार होती महिलाएं सोचिएं हम कहां जा रहे हैं फिर क्यों हम दुर्गा पूजा का ढोंग रचते हैं क्यों नवरात्र का स्वांग रचते हैं।

जब नारी को हम सब सम्मान नहीं दे सकते उनको इंसान ही नहीं समझते तो फिर कैसी शिक्षा  कैसी तरक्की ।माना समाज की कुछ महिलाओं ने तरक्की के परचम लहराए है पर क्या इतने भर से  दिन पर दिन बढ़ते अपराध  महिलाओं के प्रति हो रहे अभद्र भाषा निरमम हत्याये इसको

अनदेखा नहीं किया जा सकता।

घरों में नारी के बातों को ज्यादा महत्व ना देेना पुरूषों ने जो कह,दिया सो कह दिया चाहे वो महिलाओं की इच्छा के विरुद्ध हीक्यों ना हो ।ये नारी को मूर्ति। रूप देने जैसा ही है।नारी तन मन से अपने घर परिवार के हर एक इच्छा का ध्यान रखती है पर उसकी इच्छाओं का मान रखने वाला कोई नहीं।

ज्यादातर महिलाएं सिर्फ अपने अरमानों को आंखों में ही दबाये पूरी जिंदगी ज़ी लेती है।उन पर ध्यान देेना तो दूूर उनके बारे में कोई सोचता 

भी  नहीं और भी कई यातनाओं का शिकार होती महिलाएं।

।।  हर बार सोचे नारी समय मेरा कब आएगा।।।

इंसान है नारी इंसान ही रहने दो

कुुछ सुनो कुछ अपनी सुनाओ

जीवन पथ पे आगे बढ़ने दो उसे

चिरया है तेरे आंगन की 

तेेेेरे पेड़ की एक डाली है

डाली की एक चिड़िया है चहकने दो उसे

मत करो बड़े वादे

बस सम्मान दुलार ही देदो उसे

सुरक्षा कवच से करो श्रृंगार उसका

अपनत्व का पहना दो हार

बेख़ौफ़  हो जाय हर नारी

ऐसा देदो संसार उसे।

नारी को पत्थर की मूर्ति ना समझो 

इंसान का  ही दर्जा रहने दो।।।


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