भावना बर्थवाल

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लड़कियों का राजकुमार

लड़कियों का राजकुमार

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लड़कियों का राजकुमार सुनने में जितना अच्छा लगता है उतना हास्यास्पद भी लगता है।क्योंकि राजकुुुमार कि कोई परिभाषा को परिभाषित नहीं किया जा सकता। 

सही मायने में लड़कियों के लिए  राजकुमार कभी नहीं आता वो तो परियों की कहानियों में होता है बस हम कोई परियों के देश में थोड़े रहते हैं। क्यों लगता है कोई काश बिना कहे हमारी बात सुुुने

येे वो शहर है जहां कहने के बाद भी कोई नहीं सुुनता है।

बस यों ही राजकुमार की कहानियां याद करके  हमें अब खुद ही हंसी आती है


राजकुमार हा हा हा

ना कोई राजा ना रानी ,हम उस देेेेश में रहते हैं जहां हर

रिश्तेे मे कुछ धुुंधला पन आ गया है।



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