वो बारिश की बूंदें
वो बारिश की बूंदें
बादलों को निहारते हुए और मन ही मन बड़बड़ाते हुए "बारिश की वो पहली बूंद बिल्कुल तुम जैसी थी, शरीर पर पड़ते ही मानो मन को सराबोर कर गई, तुम भी तो पहली बार कुछ ऐसे ही करीब आई थी" अभी रौनक के मन में उस खूबसूरत यादों के पन्ने खुल ही रहे थे कि तब ही उसके ऊपर बारिश की एक नन्ही सी बूंद आ गीरी और अचानक से वह ढूंढने लगा अपने ख्वाबों के उस परी को जिसके यादों की बौछार उसको बारिश के आने से पहले ही भीगा गई थी।
जैसे तैसे करके उसने अपने मन को स्थिर किया पर कहते हैं न कि यादों का करवां कहां थमता है।
उसको रीना के साथ उसकी पहली मुलाकात याद आने लगी जब वह सफेद रंग का सूट पहने मूवी देखने आई थी, मूवी खत्म होते ही वो जैसे बाहर आई रौनक की नज़र उस तक पहुंचने से खुद को ना रोक पाई। उस दिन भी मौसम का मिजाज़ कुछ ठीक नहीं था कि तभी बारिश आ गई और रौनक मन ही मन कहने लगा कि "भगवान! क्या एक कहर कम था जो बारिश को भी अभी आना था।"
रीना के ऊपर बारिश की एक-एक बूंद रीहा होने लगी, रीना को भीगता हुआ देखकर रौनक को ख्याल लाया कि उसकी डिक्की में छतरी है, उसने फौरन छतरी निकाल कर रीना के आगे बढ़ा दिया। रीना पहले तो संकोच में थी पर फिर हाथ बढ़ाकर उसने रौनक से छतरी ले लिया और रौनक से कहा कि बारिश बंद होते ही वह उसकी छतरी उसको वापस लौटा देगी।
कुछ आधे घंटे बाद बारिश थमने को तैयार हुई तब रीना ने रौनक को छतरी लौटाते हुए उसको मधम आवाज़ में "शुक्रिया" कहा। तब रौनक ने कहा "आपको अगर कोई एतराज़ न हो तो क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं, सामने से आवाज़ आई "रीना" मैं पास वाली कॉलोनी में ही रहती हूं।
रौनक रीना को उसके घर तक छोड़ने के लिए कहा, तो रीना मान गई, और फिर वहीं से उनके अनकहे रिश्ते ने सांसें बूनना शुरू कर दिया।
आज की बारिश ने रौनक को एक बार फिर से रीना की यादों के बारिश में भीगा दिया।

