Neha Singh

Children Stories

3.0  

Neha Singh

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बाबा की दुलारी

बाबा की दुलारी

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"चार-पांच साल की नन्ही सी उम्र में कोई बच्चा न तो कुछ सोचने योग्य होता है और ना ही कुछ समझने के काबिल।"

यह कहानी है मेरे बचपन की जब कंधों पर कोई भी जिम्मेदारियों का बोझ नहीं था और न ही कुछ पाने या खोने का डर। बचपन का एक अलग ही हिसाब किताब होता है, उस समय कोई भी बात कितनी भी जरूरी क्यों हो, दिल में रखना नहीं आता है।

घर वालों की लाडली, बाबा की दुलारी थी। परिवार में मुझसे बड़े मेरे दो भाई बहन थे। हर रविवार के दिन छुट्टी होने के कारण हम बाबा के क्लिनिक जाया करते थे। शायद उससे बेहतर रविवार तो जीवन में अब कोई हो ही नहीं सकता। अपने अपनों से घिरे रहना बहुत ख़ुशनसीबी की बात होती है।

हम घंटों छत पर बैठे रास्ते पर आ जा रहे वाहन गिनते रहते। जिस किसी के तरफ़ से कम गाड़ियाँ आती वह उस खेल में हार जाता। क्लिनिक हमारे घर से लगभग तीन किलोमीटर के दूरी पर स्थित था और क्लिनिक के ठीक बगल में एक टॉफ़ी बिस्कुट की दुकान।

मैं हर रविवार जब भी क्लिनिक पर जाती, उस दुकान पर ज़रूर जाया करती थी। उस दुकान पर मुझे सामान खरीदने पर पैसे नहीं देने होते थे इसलिए टॉफ़ी बिस्कुट के अतिरिक्त भी मैं ढेर सारे ऐसे सामान ले लिया करती थी, जिनकी मुझे दूर दूर तक कोई आवश्यकता नहीं होती थी। मुझे लगता था कि मैं इतनी अच्छी हूं कि दुकान वाले अंकल इसी कारणवश मुझसे कभी किसी चीज़ के पैसे नहीं मांगते।


एक रविवार की बात थी मैं क्लिनिक से दुकान गयी और टॉफ़ी बिस्कुट के आलावा ढेर सारे साबुन , क्रीम ले लिए और क्लिनिक आ गई। मेरे भाई बहन ने मेरा हाथ में ढेरों सामान देखते ही मुझसे सवाल किया कि "यह क्रीम पाउडर क्यों ले आयी।" तब मैंने तुरंत जवाब दिया "अरे, मैं इतनी अच्छी हूं कि दुकान वाले अंकल यह सब मुझे फ्री में ही दे देते हैं तो मैं सब ले आयी।"

तभी मेरी बहन ने मुझे बताया कि वह अकंल तुमको फ्री में नहीं देते बल्कि हमारे घर जाने के बाद वह बाबा से उन सभी सामान के पैसे लेते हैं। 

यह सुनने के बाद मुझे पहले दुःख हुआ कि मैंने बाबा के कितने पैसे बर्बाद कर दिए और बाद में बाबा पर बहुत प्यार भी आया कि उन्होंने मुझे कुछ भी फ़िजूल खरीदने से कभी मना नहीं किया।

बाबा अब इस दुनिया में नहीं रहे पर यह कहानी और ऐसी ही बचपन की और भी यादें जिंदगी भर मैं बहुत संभाल कर अपने दिल में रखूँगी और आज मैं यह समझने के काबिल हूं कि जितना लाड प्यार आपको आपके परिवार वाले कर सकते हैं उतना कोई नहीं कर सकता।



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