सबसे बड़ा धर्म मानवता
सबसे बड़ा धर्म मानवता
एक गरीब के दर्द-तकलीफ को मापने के लिए दुनिया में कोई भी मशीन नहीं बनी है।
बात कुछ माह पहले की है घड़ी में रात के कुछ ११ बज रहे थे। हर रोज़ की तरह मैं काम से खाली होकर, सोशल मीडिया पर न्यूज फीड देख रही थी कि अचानक मेरी नज़र एक ग्रुप में सेयर की हुई स्टेटस पर जा पहुंची जिसने मेरा दिल दहला दिया। यह महज़ कहानी नहीं आपबीती थी गरीब की, एक बेबस लाचार गरीब महिला की, जिसकी मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसके साथ बहुत बुरा हुआ।
स्टेटस को पूरा पढ़ने के बाद मालूम हुआ वह महिला गर्भवती थी और मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसके बच्चे का पिता कौन था, यह न तो उसको मालूम था, न ही किसी और को। लोग उस रास्ते से हर रोज़ गुजरते थे पर कोई उस महिला की सहायता करने के लिए कभी आगे नहीं आया।
यह पढ़ने के बाद पहले तो मुझे बहुत हैरानी हुई और यह बात एक अफवाह लगी पर फिर मैंने उस बात की पुष्टि करते की ठान ही ली। मैंने उस स्टेटस को शेयर वाले से कमेंट के जरिए उस महिला के बारे में जानने की कोशिश की। तब मालूम हुआ कि वह बनारस की रहने वाली है और यह बात कोई अफवाह नहीं बिल्कुल सही है। उसके पास न तो रहने के लिए छत था न पहने के लिए अच्छे कपड़े। गरीबी के कारण उस महिला के घर वालों ने भी इस परिस्थिति में उसका साथ नहीं दिया।
मानवता के इस संसार में मानवता के खिलाफ इतना कुछ होते हुए देखकर मेरा मन कहीं नहीं लग रहा था। मैं दिनों-रात अफसोस में रहती कभी उसके गरीबी, उसके मानसिक स्थिति पर तो कभी दुनिया के मानसिक रोग के बारे में सोच कर।
इसके बाद मैंने उस महिला की तलाश जारी कर दी। निरंतर प्रयास करते रहने पर सोशल मीडिया के जरिए कुछ दिनों बाद मुझे यह पता चला कि उस महिला को गर्भावस्था के दौरान पीड़ा होने पर कुछ लड़कों ने उसकी मदद की और उसको निजी अस्पताल में भर्ती कराया और उस महिला को एक लड़की पैदा हुई है।
इतना जानने पर मेरे मन में जो दो-तीन दिनों से निराशा, दर्द, गुस्से का भाव था वह संतोष में तब्दील हो गया और मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि इस दुनिया में बुरे लोग मौजूद है तो अच्छे लोग भी है। जहां राह चलते व्यक्तियों ने उस बेसहारा की मदद नहीं की वहीं वह लड़के उसके लिए फरिश्ते से कम नहीं थे। इस कहानी से इतना तो समझ में आ गया कि मनावता से बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं है, न धर्म, न अमीरी और न ही गरीबी।