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Sangeeta Ashok Kothari

Inspirational

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Sangeeta Ashok Kothari

Inspirational

विषय =मनोबल :सफलता की ऊँचाई।

विषय =मनोबल :सफलता की ऊँचाई।

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श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की ये पंक्तिया इस लघुकथा-विषय पर खरी उतरती हैं कि "मन के हारे सदा हार हैं मन के जीते जीत।"

संयुक्त परिवार में नौ भाई बहिनों के साथ गाँव पली बढ़ी सुनीता पढ़ाई में बेहद प्रतिभावान थी पर घरवाले एवं गांववाले उसे आगे पढ़ाई के लिए हतोत्साहित करते थे।गाँव में उतरोत्तर पढ़ाई के लिए कॉलेज एवं संसाधन नहीं थे। पर सुनीता ने मनोबल मजबूत करके ठान लिया था की उसे ज़िन्दगी में पढ़ाई करके आगे बढ़ना है।

हालात कुछ ऐसे हुए कि उसके बड़े भाई का काम निकल पड़ा और शहर में उसने अपना घर भी

ले लिया। माँ बापू के साथ सुनीता ने भी शहर में पलायन कर लिया।

पर कहते हैं ना ग्रामीण परिवेश और शहरी परिवेश में रात दिन का अंतर होता हैं। और सुनीता उस अंतर को पाटने में दिलोजान से लगी। प्रथम इम्तिहान में उसका अठावन की कक्षा में पैतालिस वां स्थान आया, फिर दूसरे में अठाईस एवं अंतिम बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान आया। पूरे विद्यालय ने करतल ध्वनि से सुनीता को बधाई दी।और मजबूत मनोबल से सुनीता ने हार को भी जीत में बदल दिया।

मनोबल : सफलता की ऊँचाई,

एवं अवरोध हटाने की कुंजी।।



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