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Kavita Sharrma

Inspirational

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Kavita Sharrma

Inspirational

विश्वास

विश्वास

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आज ऑफिस से काफी खुशी ख़ुशी घर लौटा। वैसे तो हर रोज़ काम से लौट आने से ज़्यादा आनंद जाने में आता है, और ऐसा कब होता है पता है? जब आपको अपनी इच्छा पसंद काम मिले, आप भी करने में खुश हो और लोग आपको आपके नाम से ज़्यादा आपके काम से जानते हों। घर आकर आराम से सोफे पर बैठा, उतने में मां पानी का ग्लास लेकर आ गई। पानी पीते पीते, मेरी नज़र हॉल के शोकेस पर पड़ी। मां ने अब तक के छोटे मोटे सारे इनामो में मिले मेडल्स और ट्रॉफी संभाल कर अच्छे से संजो कर रखीं थी। मुझे ताज्जुब हुआ, कि ये काफी पुराना सा मेडल, जिसका रंग थोड़ा फीका हो चुका था, चमक चली सी गई थी और उसे ही सबसे आगे रखा हुआ था। मैंने मां से पूछा, मां ये यहां क्यों रखा है?, इसे पीछे कर दो, काफी सारी अच्छी ट्रॉफी पड़ी हैं उनमें से कोई आगे रख दो ना।

मां मुस्कुराते हुए मेरे पास बैठी और बोली, जहां तू आज पहुंचा है ना, उस दिन की शुरुआत कभी मत भूलना। ये कह कर मां की आंखें कुछ नाम हुईं, और उस मेडल को शोकेस से निकाल कर मेरे पास ले आई। मां ने तब बताया ये वो मेडल है जो तूने पहेली बार, आठवीं कक्षा में जीता था। मैंने वो मेडल हाथो में लिया और उसे देख कर मेरी आंखें भर आईं। सारी पुरानी यादें ताज़ा हो गई। मुझे याद है, कितने परिश्रम के बाद ये मेडल हासिल हुआ था मुझे। विद्यालय में सब हमेशा मेरा मज़ाक उड़ाया करते थे, कोई दोस्त न था, यहां तक कोई शिक्षक भी कभी मुझे हौसला नहीं देता था। मुझे धीरे धीरे इन चीजों को आदत सी हो गई। 

बचपन से मुझे संगीत का शौक था, उसे लोगों तक पहुंचाने का शौक था। लोगों से बातें कर उनकी ज़िंदगी के कुछ किस्सों को कहानियों क माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का शॉक था। किसी को बात समझ ही नहीं आती थी और सब हस्ते थे बस। जैसे जैसे बड़ा हुआ इस चीज़ क बारे में जाना मैंने। किसी की बातों पर ध्यान न देते हुए मैंने विद्यालय के अलग अलग कार्य क्रमों में हिस्सा लेने लगा। काफी बार तो किसी में नहीं जीता। फिर एक दिन भाषण प्रतियोगिता में अववल आया। किसी को इस बात को यकिन नहीं हुआ मैं कभी जीत भी सकता था। उन धुंधली यादों में ज़िन्दगी भर की सीख दे दी थी! खुद पर सदा यकीं रखना और जो करना चाहो वो करो, चाहे कोई कुछ भी कहे। बस यही बात आज तक मेरे ज़हन से कभी उतरी नहीं।

एक वो दिन था, एक आज का दिन है! सब लोग मुझे R J Raj के नाम से जानते है। तब का समय था कोई विद्यालय में पूछता तक नहीं था, आज का वक्त है - वार्षिक कार्यक्रम के चीफ गेस्ट के तौर पर मुझे बुलाया गया है!

मां का साथ और खुद से कभी हार न मान ने पर आप जो चाहो वो कर सकते है! बस हिम्मत रखने की ज़रूरत है। आज नाम से पहले R J सुन कर मुझे खुद के होने का एहाहस है, बेहद खुशी होती है लोगों क साथ जुड़ कर, ज़िन्दगी क सफर में बहुत सी ज़िंदगियों के साथ जुड़ कर।


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