विधुर बाप

विधुर बाप

2 mins
7.5K


 

में हूँ एक विधुर बाप
मेरे मन की पीड़ा जानना चाहोगे आप?
मेरी कथनी सुनना चाहोगे आप?
अपनी कथनी में शुरू करूँ
मन का बोज कुछ हल्का करूँ 
मैने भी बड़े अरमानो से शादी की थी
अपने प्यार को इस दुनिया से लड़ कर लाया
उसे दुल्हन बनाके माँ बाप का दिल दुःखलाया
उसके प्रेम में डूबा में ऐसा काम कर गया

पर उसके आते ही जैसे घर में जादू छाया
उसने बड़े आदर और प्यार से सबको मोह लिया
माँ बाप का प्यार पाने में मुझे भी पीछे छोड़ दिया

अब वो सब की प्यारी थी, माँ की बहु न्यारी थी 
सब की आँखों का तारा, माँ बाप का सहारा थी 
दो प्यारे प्यारे बच्चों की वो माँ दुलारी बनी थी
हंसी ख़ुशी ज़िन्दगानी चल रही थी, पर ये ख़ुशी
शायद भगवान को भी मंजूर न थी......

एक दिन......अचानक से..काम करते करते....
वो गिर पड़ी, सममहाल न पाई अपने आप को
हाय रे....खुदा ये कैसी कसौटी ले रहा तू 
की वो फिर बिस्तर से उठ न कभी पाई 
अच्छे से अच्छे इलाज कराये, डॉक्टर बुलाये
कोई भी मिलकर उसको बचा न पाये...
रोता बिलखता परिवार, मासूम से बच्चों को
छोड़ कर वो चली गई
इस फानी दुनिया छोड़, भगवान को प्यारी हो गई

उसके जाने के बाद....
मैने कैसे सम्हाला परिवार, दो मासूम छोटे बच्चे
बूढ़े माँ बाप को कैसे पाला में ही जानता हूँ न....

अभी दोनों बच्चों को मम्मी पापा बनकर देखता
अपने बूढ़े माँ बाप का भी ख्याल, देखभाल करता
सब की केअर करता हूँ....
पर मेरी मनःस्थिती कौन जानेगा? पहचानेगा ???

शायद कोई नही
अब तो बस में और मेरी तन्हाई
अकेले में बातें करते हे.........

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract