NARINDER SHUKLA

Drama

5.0  

NARINDER SHUKLA

Drama

विधानसभा में भूत

विधानसभा में भूत

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अमुक देश के अमुक राज्य की विधानसभा में इस बात को लेकर बहस हो रही थी कि किस विधायक की टिवटर पर फैन फॉलोविंग सबसे अधिक है। ‘अ‘ क्षेत्र के मौज़़ूदा विधायक मांगे लाल ने खड़े होकर कहा - ‘सभापति जी , हमारी पार्टी के विधायक , श्री राम उधार पांडे जी के 75 लाख फॉलोवर हैं। वही इस दौड़ में सबसे आगे हैं।‘

‘हक बढ़ाओ पार्टी ‘ के उदयलाल ने विरोघ किया - ‘श्रीमान जी, ‘एम. बी. के. पार्टी ‘ के मौज़ूदा विधायक मांगे लाल जी सरासर सफेद झूठ बोल रहे हैं। इस राज्य की कुल जनसंख्या 75 लाख है । जिसमें से साठ फीसदी अंगूठा छाप गरीब मजदूर - किसान हैं। भूखमरी के कारण इनकी आंखों में रतौंदी उतर आई हैं। ये केवल अपने बच्चों का खाली पेट ही टटोल सकते हैं। राज्य के तीस फीसदी युवा बेरेाज़गारी से वि़क्षप्त हैं। बाकी के नये होते युवा फिल्हाल ‘ प्रेम‘ में उलझे हैं। उन्हें अपने - अपने प्रेमियों के चेहरे में साक्षात भावी मुख्यमंत्री नज़र आता हैं। वे केवल और केवल एक- दूसरे को फॉलो करते हैं।‘

सभा में शोर होने लगा - ‘देखो रूलिंग पार्टी कितनी करप्ट है। डाटा खरीदकर फैन फॉलोविंग बढ़ा रखी है। झूठ के बल पर राज करना चाहते हैं।‘

‘शेम.. शेम.. शेम.. शेम.. शेम...।‘

सभापति ने मेज़ थपथपाई - ‘साइलेंस प्लीज़। साइलेंस।‘

सुसज्जित पार्टी के तेज़ तररार नेता नतीज़ा दास से चुप न रहा गया - ‘श्रीमान जी, ‘एम. बी. के. पार्टी‘ के नेता पिछले पंद्रह सालों से सत्ता न मिल पाने के कारण स्वंय से वि़क्षप्त हो चले हैं। इन्हें अपनी पार्टी के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।‘

सभापति ने माइक ठीक करते हुये ‘सुसज्जित पार्टी‘ के तथाकथित विघायक , राम भरोसे को चेतावनी दी - ‘हाउस की मर्यादा का ख्यपल रखिये भरोसे लाल जी वरना , आपको सदन से बाहर निकाला जा सकता है।‘ 

भरोसे लाल के कान के पास काफी देर से एक मच्छर गुनगुना रहा था। इस बार एक ही थप्पड़ से उसका काम तमाम करते हुये वे बुड़बुड़ाये - ‘साली , ऐसी की तैसी तेरी । ढ़ंग से काम भी नही करने देता।‘ पूरा सदन ठहाकों से गूंज़ गया।

सभापति महोदय चिल्लाये - ‘साइलेंस प्लीज़ । साइलेंस।‘ उन्होने ‘एच. बी. एच. एल. एम . पार्टी ‘ के बाहुबली नेता छल्लालाल की ओर इशारा करते हुये कहा - ‘छल्लालाल जी , इस टॉपिक पर आपकी क्या राय है ?‘ छल्लालाल जी ‘ए.सी. की ठंडक में सोये हुये थे। . . अचानक हड़बड़ी में ऑंख मलते हुये उठे - ‘कोउ हमें बताये कि हियां चल का रहा है।‘ साथ बैठी नेत्री ने कहा -‘ विघायक जी यहॉं विकास पर बहस हो रही है।‘ छल्लालाल की ऑंखों में एकाएक खून उतर आया। गमछा कमर में बांघते हुये गरजे - ‘हिंया केाई है माई का लाल जो उसका बाल भी बांका कर सके। बिटवा है हमार . . बिटवा। हमारे अंडर काम करता है। फालतू में मीडिया उसे रेप केस में फंसा रहा है। मिडिया ट्रायल हो रहा है उसका। पर जान लियो . . ई सब बरदाश्त नहीं किया जायेगा। ससूरी पार्लियामेंट ठप्प कर देंगे। छल्लालाल जी गुस्से में एकाएक अवधी बोली बोलने लगते हैं।‘

साथ बैठी नेत्री ने साफ किया - ‘विघायक जी, यहॉं आपके विकास की नहीं . . देश के विकास की बात हो रही है।‘ छल्लालाल जी मुस्कराये और पसीना पोंछते हुये बोले - ‘अच्छा . . उ विकास। सभापति जी , मैं इस सदन को बताना चाहता हूॅ कि जब से हमारी सरकार बनी विकास ही होय रहा है। चौतरफा विकास ही विकास है। घर - घर विकास है। हमारी सरकार के विज्ञापन मा देखे नाहीं हो . . कितना विकास हुआ है।‘

अपोजेशन को छल्लालाल का आलाप पसंद नहीं आया। कोरस में एक तरफा चिल्लाये ‘- सब झूठ। सब झूठ। छल्लालाल सरेआम फेंक रहे हैं।‘

विपक्षी नेता राम अधीर ने खड़े होकर कहा - ‘हम माननीय मंत्री जी से पूछना चाहते हैं कि विकास कहां हुआ है ? सरकार बताये कि इनके कार्यकाल में राज्य में कितने लोग भूख से मरे ? सरकार अब तक कितने युवाओं को रोज़गार देने में कामयाब रही है ,? गॉंवों में कितने नये शौचालय बनाये गये हैं ? कितने गांवों में बिजली आई है ? हमारे यहॉं इन्टरनेट की स्पीड पड़ोसी देशों से कम क्यों है ? क्या ऐसे ही हमारे यहॉं डिजि़टलाइजेशन होगा ?‘

छल्लालाल ने उंगली उठाते हुये कहा - ‘महोदय , मैं बेहद हैरान हूॅ । विपक्षी नेताओं को कहीं भी विकास नहीं दिख रहा है। मैं इस सदन से गुजा़रिश करना चाहता हूंॅ कि कि विपक्षी भाइयों के लिये ‘थ्री ़डी चश्में‘ मंगवाये जायें ताकि इन्हें विकास दिख सके।6 अचानक सदन के मुख्य दरवाजे के खुलने की आवाज़ हुई। लेकिन वहॉ कोई नहीं था। सदस्य आंखें फाड़े दरवाज़े की ओर देखने लगे। वातावरण में डैडलॉक पैदा हो गया। छल्लालाल ने अनुभव किया कि उनकी साथ वाली खाली सीट पर कोई आकर बैठा है। कुछ विधानसभा सदस्य भूत - भूत चिल्लाने लगे। सभापति महोदय पर इसका कोई असर नहीं हुआ। नेता बनने से पहले वे ओझा थे। अपनी गली में उन्होंने बहुत से लोगो के भूत उतारे थे।

सभापति ने चुप्पी तोड़ते हुये रूलिंग पार्टी के नेता छल्लालाल से कहा -घबराइये नहीं छल्लाराम जी , कुछ नहीं होगा। मुझ पर सॉलिड भरोसा रखिये।‘

छल्लालाल ने अपनी बड़ी - बड़ी मूछों को उमेठते हुये कहा - . . ‘अरे हम कहॉं डरते हैं इन सब से। हमारे साथ हमारे प्राइवेट गनमैन रहते हैं।‘ 

सदन में उपस्थित सदस्य चीखे - ‘विकास . . . विकास।‘

वे फिर गुस्से में ताल ठोंक कर बोले - ‘विकास हमार बिटवा है। मिडिया ट्रायल नहीं होने देंगे।‘ साथी नेत्री ने सुधारा - ‘देश के विकास की बात हो रही है छल्लालाल जी। ‘वे बोले - 6हमारी सरकार ने पिछले एक साल में पांच लाख युवाओं को रोज़गार दिये। पच्चास हज़ार बेघरों को आसान किस्तों पर घर दिये। दो लाख किसानों के कजऱ् मॉफ किये।‘

विपक्षी चिल्लाये - झूठ। झूठ। . . . शेम . शेम शेम।‘

विपक्ष के एक नेता ने पर्सनल अटेक किया - ‘आपके साढ़ू पर गरीब किसानों की जमीनें हड़पने का आरोप हैं। उसके बारे में आप क्या कहेंगे ?‘

रूलिंग पार्टी के शहरी विकास मंत्री ने कहा - ‘उसकी जॉंच चल रही है।‘

विपक्षी नेता ने कहा - ‘जांच कब पूरी होगी।‘

मंत्री ने कहा - ‘कह नहीं सकते। कानून अपना कार्य कर रहा है। हम आपकी तरह कानूनी प्रक्रिया में दखल नहीं देते।‘

विपक्षी नेता ने कहा - ‘कानून आपका तोता हो गया है।‘ कुछ सदस्य तोते की आवाज निकालने लगे।

एक सदस्य ने पूछा - ‘बेरोज़गारों को नौकरियां कब तक मिलेंगी। सरकार अपने प्लान का खुलासा क्यों नहीं कर रही ?‘

रूलिंग पार्टी के नेता ने कहा - ‘हम अपनी नीतियों को सार्वजनिक नहीं कर सकते।‘ विपक्ष ने कहा - ‘आपको बताना होगा। आपको हमने भेजा है। हमें पूछने का हक है।‘ रूलिंग पार्टी के नेता ने कहा - ‘हम कुछ नहीं कह सकते। हमारे हाथ परम्पराओं व नीतियों से बंधे हैं। आप लोगों के दवाब मेे आकर मैं अपनी पार्टी की नीतियों को नहीं छोड़ सकता।‘

सभापति महोदय चिल्लाये - ‘साइलेंस प्लीज़ । साइलेंस।‘

एक मसखरा नेता तनिक जोर से फुसफुसाया - ‘चुप ही तो हैं। यहॉं बोलने की हिमाकत आपको अलावा कर ही कौन सकता है। ‘

सभापति ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। छल्लालाल की ओर इशारा करते हुये बोले - ‘आप चालू रहिये। ‘

छल्लालाल जी धीरे से खंखारते हुये बोले - ‘सभापति जी , हम यह कहना चाहते हैं कि हमने देश के लिये बहुत काम किया हैं। विपक्ष से हमारी पॉपुलरिटी देखी नहीं जा रही। हम विपक्ष की चाल को कामयाब नहीं होने देंगे। हमारी सरकार ने . . . उन्हें फिर से खांसी आने लगी . . .।‘ नेत्री ने पानी पिलाया लेकिन गला साफ नहीं हुआ। खांसते हुये बोले - . . ‘दरअसल , हम झूठ बोल रहे हैं। क्रेद्र सरकार जो पैसा हमें गांवों में शोचालय बनवाने के लिये भेजती हैं। हम उसे साथी व्यापारियों की मदद से अपने भतीजे की विदेशी कंपनी में लगा देते हैं और यहां शोचालयों की फोटो पर पैसा रिलीज़ करवा कर के रिकार्ड में एडजस्टमेंट दिखा देते हैं। हिसाब बराबर। भूल चूक लेनी देनी माफ।‘

विपक्षी चिल्लाये - ‘शर्म करो। शर्म करो। शर्म करो।‘

सभापति चिल्लाये - ‘साइलेंस प्लीज़ । साइलेंस।‘ लेकिन कोई चुप होने के लिये तैेयार नहीं।

रूलिंग पार्टी के विधायक छल्लाराम की इस हरकत से आवाक रह गये। पार्टी लाइन से बाहर जाता देख रूलिंग पार्टी से विधायक राम धीरज़ ने बचाव किया - ‘महोदय , आज फर्स्ट अप्रैल है। और , छल्लाराम जी स्वभाव से ही बहुत मजाकिया हैं। मज़ाक कर रहे हैं।‘

विपक्षी चिल्लाये - ‘झूठ। झूठ। . . . शेम . शेम शेम।‘

विपक्ष से विधायक प्रोफैसर संजय ने कहा - ‘रूलिंग पार्टी के सदस्य सदन को गुमराह कर रहे हैं। मैं गणित का प्रोफैसर रहा हूै। आज एक नहीं दो अप्रैल है।‘

रूलिंग पार्टी के विधायकों ने कहा - ‘क्या सबूत है कि आज दो अप्रैल हैं।‘

विपक्ष ने कहा - ‘सभी कलैंडर कहते हैं।‘

रूलिंग पार्टी के विधायक बोले - ‘कलैंडरों में गलती भी हो सकती है। सदन चाहे तो वहस्पति जी से वैरीफाई करवा सकता है। ‘

विपक्ष ने कहा -‘ वहस्पति जी इस कलयुग में नहीं आ सकते। ‘

सदन में शोर होने लगा।

सभापति चिल्लाये - ‘साइलेंस प्लीज़ । साइलेंस।‘ लेकिन शोर जारी रहा।

सभापति ने सदन को जानकारी दी कि उन्हें अभी - ‘अभी वाटसअप मैसेज़ मिला है कि आज दो अप्रैल ही है।6

विपक्षी एक सुर में चिल्लाये - ‘सरकार को सदन से माफी मांगनी चाहिये।‘ सदन में तू - तू . . मैं - मैं होने लगी।

सदन में कोने की कुर्सी पर बैठे निर्दलीय विधायक आत्माराम लगातार सोचे जा रहे थे कि पिछले चार दिनों से अचानक रूलिंग पार्टी के नेता सच कैसे बोलने लग जाते हैं। विधायक आत्माराम धर्म - कर्म में विश्वास रखते थे। भगवान की पूजा किये बिना वे घर से नहीं निकलते थे। वे रहस्य जानना चाहते थे। उन्होंने दोनों हाथ जोड़े। आंखें मूंदी और प्रभू - भक्ति में लीन हो गये। इसी मुद्रा में उन्हें दिव्य-ज्ञान प्राप्त हुआ। वे सारी बात समझ गये। खड़े होकर कहा - ‘सभापति महोदय , सदन में भूत हैं।‘

सदन के सभी सदस्य वयोवद्ध विधायक आत्माराम का सम्मान करते थे। सभी उनके आत्म ज्ञान से परिचित थे। सदस्य भूत - भूत चिल्लाने लगे। सभी सदस्य विधायक आत्माराम की कुर्सी के आस- पास दुबक गये।

सभापति ने डरते हुये कहा - ‘साइलेंस प्लीज़ । साइलेंस।‘

इस बार सचमुच सदन में सन्नाटा छा गया।

विधायक आत्माराम ने अपना वक्तव्य जारी रखा - ‘महोदय . . यह ‘महुआपुर सीट‘ से विधायक रहे ‘पंडित सच्चिदानंद‘ जी का भूत है।‘

सच्चिदानंद दास एक ईमानदार नेता थे। उन्होने अपने लिये कभी कुछ नहीं मांगा। वे अपना तन - मन धन लोगों की सेवा में लगा देना चाहते थे। अपने कार्यकाल में उन्होने अपने संसदीय क्षेत्र के लिये भरपूर काम किये। गांवों को शहरों से जोड़ने के लिये सड़कें बनवाई। हर गांव में बच्चों के लिये सरकारी स्कूल खुलवाये। पीने के पानी की सुविधा मुहैया करवाई। वे महुआपुर में सचमुच का रामराज्य लाना चाहते थे लेकिन सड़क दुर्घटना में आक्सिमिक मौत ने उनका रामराज्य का सपना अधूरा कर दिया। कहते हैं जीवन - काल में अगर इच्छाये पूरी न हो पाये ंतो मनुष्य की आत्मा भटकती रहती है। वह भूत बन जाता है।

विधायक आत्माराम ने सदन को बताते हुये कहा - ‘सच्चिदानंद का भूत पिछले चार दिनों से लगातार सदन में आ रहा है। वह यहां बैठ कर सदन की कार्यवाही देखता है और जो भी विधायक झूठ बोलता है। उसके शरीर में घुस जाता है। विधायक खुद-ब खुद सच बोलने लगता है। कोई भी रणनीति उसके आगे नहीं चल सकती। भूत का कहना है कि वह तब तक सदन से नहीं जायेगा जब तक सभी विधायक जनता के प्रति आपने दाायित्व को पूरा नहीं करते। वह उन सभी विधायकों को डराता रहेगा जो अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं करते। मैंने अपने सोर्सिस से पता लगाया है कि वह दोपहर के दो बजे तक सक्रिय रहता है।‘

झल्लाराम ने बीच में टोंका - ‘पर , ऐसे तो हम आगामी इलैक्शन हार जायेंगे। सभापति जी आप इस भूत का कुछ इलाज़ कीजिये।

विपक्ष ने झाड़-फूंक की सलाह दी।

रूलिंग पार्टी के एक विधासक ने सुझाव दिया - ‘सदन में हवन कराया जाये। महा मत्युंजय का पाठ करावाया जाये। 21 पंडितो का भोजन करवाया जाये।‘

विपक्ष के सदस्यों ने कोरस में कहा - ‘सभपति जी , भूतों का ईलाज जितना अच्छा आपके पास है किसी के पास नहीं।‘ 

विपक्ष के एक विधायक ने सुझाव दिया - ‘सदन में सप्ताह में एक दिन भूतों पर भी चर्चा होनी चाहिये। सदन में इसके लिये भी टाइम फिक्स होना चाहिये। भूत हमारे पूर्वजों के जमाने से चले आ रहें हैं। साइंस तो अब आई हैं। हमे इन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिये।‘

एक नौजवान विधायक ने पूछा - ‘ये भूत क्या होता है ?‘

स्ंसदीय मंत्री ने सभापति से कहा - ‘यहां सवाल आम जनता का हैं। हम सब जनता कें नुमाइंदे हैं। हमें जनता ने भेजा है। हमें आगे भी अपनी जनता का प्रतिनिधित्व करना है। हम विपक्ष के प्रस्ताव से सहमत हैं। सरकार इस पर बहुत जल्दी ही एक ऐसी नीति बनायेगी जिसके तहत सदन की कार्यवाही में बाधा डालने वाले किसी भी शक्स को बक्शा नहीं जायेगा।‘ 

वे आगे बोले - ‘महोदय मेरी आपसे प्रार्थना है कि जब तक हम इस संदर्भ में कोई पॉलिसी नहीं बना लेते तब तक के लिये सदन की कार्यवाही स्थ्गित की जाये।‘

विपक्ष के सदस्य फिर चिल्लाये - ‘शर्म करो। शर्म करो। शर्म करो।‘

सभापति ने सहर्ष मेज थपथपाई - ‘द हाउस इज़ एउजऱ्न टिल्ल नैक्सथ सैशन।‘


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