पुष्पेन्द्र कुमार पटेल

Inspirational

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पुष्पेन्द्र कुमार पटेल

Inspirational

व्हाइट वॉरियर-एक माँ

व्हाइट वॉरियर-एक माँ

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" हैप्पी बर्थडे बेटा, आप हमेशा ही ऐसे खुश रहना और हाँ पापा को परेशान तो नहीं करते ना "

एम्स रायपुर की स्टाफ नर्स अनीता अपने 3 साल के बेटे मयंक के साथ वीडियो कॉल पर बात करते हुए भावुक होने लगी।

" नो मम्मा, मै पापा को बिल्कुल भी परेशान नही करता, मम्मा आप कब आओगे? सबके मम्मा-पापा तो काम पे नही जाते फिर आप क्यों चली गयी ?

आपकी बहुत याद आती है मम्मा "

मासूम मयंक के इन सवालों ने अनीता के अन्तर्मन मे विद्रोह कर दिये।

आखिर कैसे बताये वह नन्ही सी जान को ?.. कोरोना के इस जंग मे श्वेत वस्त्र धारण किये हॉस्पिटल का पूरे स्टॉफ ही निर्भय होकर विचरण कर रहे हैं और लड़ रहे हैं हर क्षण।

" आऊँगी बेटा और आपकी फेवरेट रिमोट कार भी लाऊँगी, बस आप अच्छे से रहना। मेरे राजा बेटा लव यू "

बड़ी कठिनाई से उसके बोल फूटे।

अपने पति की ओर स्नेह भरी निगाहों से देखते हुए उसने कहा - " सुनिये जी मेरे बिट्टू का बर्थडे अच्छे से सेलिब्रेट करना । ओके बाय "

कॉल डिस्कनेक्ट करते हुए वह मोबाइल स्क्रीन को ही निहारने लगी।छत्तीसगढ़ में कोरोना ने जबसे अपने पाँव पसारे है तब से वह रायपुर मे ही शिफ्ट हो गयी और इस तरह 4 महीने बीत गये।अपने प्रियजनों की स्मृतियों के सहारे वह कोरोना मरीजों की सेवा मे लीन थी। शुरुआती दौर से ही अपने कार्य के प्रति लगनशील और वफादार अनीता ने एम्स जॉइन करने के बाद रायपुर मे ही किराये का मकान ले लिया और परिवारजनों से दूरी बना ली।

बीते वर्ष मयंक के जन्मदिन पर कैसे वह सुबह से ही तैयारियों में जुट गयी थी। केक बनाने से लेकर घर की सजावटों तक सभी गृहकार्यों मे वह पारंगत थी। अस्पताल से लेकर घरद्वार तक दोनों ही कर्मक्षेत्रों को वह अपना धर्म मानती थी।

भली भांति याद है वो बीता जन्मदिन जब पूरे हॉस्पिटल स्टॉफ ने घर आकर रंग बिखेरे थे। पर आज वह विषम परिस्थितियों की दास बन चुकी है ना तो अपने कलेजे के टुकड़े को गले लगा सकती है और ना ही अपने पति के कंधे पर सिर रखकर रो सकती है। अपने लाल को स्पर्श करने के लिए उसके हाथ तरसने लगे थे। वह मन ही मन क्षुब्ध होकर विलाप करने लगी। हाय रे ! कोरोना कैसा रोग है तू ? कितनों ने अपने प्रियजनों को गंवा दिया, एक माँ की पीड़ा तुझे सहज लगती है, अरे तू क्या जाने माँ की ममता ? 

मयंक और घरवालों की फोटो देखते हुए अनीता के अश्रुधार बहने लगे। सासू माँ ने तो भौ सिकोड़ते हुए एम्स जॉइन करने से इंकार ही कर दिया था परन्तु अमित जैसे पति को पाकर वह धन्य हो गयी जिन्होंने मयंक की जिम्मेदारी स्वयं उठाते हुए भीगी पलकों से उसे विदा किया था और कहा था- " कर्म ही पूजा है अनिता। न जाने ऐसा मौका फिर कब आये "

" अनिता दीदी.. जल्दी चलो... नये मरीजों की पुष्टि हुई हैएम्बुलेंस गाड़ी पहुँच ही गयी " 

नर्स अंकिता पीछे से दौड़ते हुए आयी।

ये शब्द अब कर्णभेदी हो गये थे किसी भी क्षण पॉजिटिव रिपोर्ट आना और फिर पूरा एम्स स्टॉप का तैयारी मे जुट जाना। यही तो रोज की दिनचर्या बन चुकी थी।

हड़बड़ाते हुए वे दोनों आइसोलेशन वार्ड की ओर गये।

छतीसगढ़ मे हॉटस्पॉट बन चुके कटघोरा के ये सारे मरीज थे। डॉक्टर साहू ने बताया कि 22 वर्षीय एक महिला में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि की गई है इसके साथ ही उसकी माँ, पति और भाई भी इस महामारी के चपेट मे है। किसी कारणवश वह अपने मायके आयी थी और ऐसी भयावह स्थिति बन गयी कि पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव निकला।

अन्य अधिकारियों ने बताया कि महिला का तीन माह का एक बच्चा है माँ में कोरोना वायरस संक्रमण के बाद बच्चे की देखभाल के लिए कोई नहीं है महिला का भाई जब बच्चे की देखभाल के लिये पहुँचा तब वह भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। अब तत्काल नर्सिंग स्टाफ ही उसकी देखभाल कर सकता है।

आइसोलेशन वार्ड के बाहर से बच्चे की रोने की आवाज ने अनिता को विचलित कर दिया वह दौड़ते हुए आयी। रोते बिलखते इस बालक की करुण पुकार एक माँ ही भली भांति समझ सकती थी। उस नन्ही सी जान को गोद मे उठाते हुए वह एक अलग कमरे मे गयी और नर्स अंकिता को आवाज लगाते कहा कि बच्चे के दूध का इंतजाम करे। उसका स्पर्श पाकर वह बच्चा तनिक शांत हुआ और न जाने क्यों उसे देखते ही अनिता का ममत्व जाग उठा। मानो ये तो उसका अपना मयंक हो जो अभी- अभी ही उसकी गोद मे आया हो और उसे एकटक निहार रहा हो।

" अरे ! अनिता दीदी

बच्चा तो शांत हो गया और आपको पहचानने लगा ऐसा कैसे ? "दूध की बोतल लाते हुए अंकिता ने पूछा।

" स्नेह भरी निगाहों से हर बच्चा अपने आप को सहज महसूस करता है अंकिता। शादी के बाद जब तुम्हारे बच्चे होंगे न तुम भी समझ जाओगी "

भीगी पलकों को पोछते हुए अनिता ने कहा।

" सही कहा दीदी आपने, आज मयंक की बहुत याद आ रही न आपको "अनिता के कंधे पर हाथ रखते हुए अनिता ने कहा।

" मेरा बेटा तो मेरे रोम - रोम मे बसा है अंकिता।

क्या हुआ आज मै उससे दूर हुँ? पर कल उसे ये जानकर खुशी होगी कि मैने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया।ये बताओ नये मरीजों की स्थिति कैसी है अभी ? "बच्चे के माथे पर हाथ फेरते हुए अनिता ने कहा।

" उनकी हालत अभी स्थिर है दीदी "बच्चे को गोद में लिए दोनो नर्स सिर से पैर तक और फेस प्रोटेक्शन ग्लास से ढकी हुई थी। इन दोनों ने हाथों में ग्ल्व्स भी पहने हुए थे जिससे बच्चे को किसी भी प्रकार का खतरा ना रहे।

आइसोलेशन वार्ड में माँ और उसके परिवार का इलाज चल रहा था और बच्ची को माँ से दूर रखते हुए उसकी पूरी देखरेख की जिम्मेदारी अनिता और अंकिता ही उठा रही थी।

व्हाइट वॉरियर के इस अनोखे प्रेम को देखकर सभी उन्हे निहारते ही जा रहे थे और दुवा करते नन्हे बच्चे और माँ का मिलन जल्द ही हो।



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