वायरस शक का
वायरस शक का
हमारे बिल्डिंग में सीसीटीवी लगे हुए हैं, आजकल हर जगह लगे हैं ये "आसमान के आँख।" सोसाइटी के मीटिंग में एक सदस्य ने सेक्रेटरी को सुझाव दिया कि अगर किसी को सीसीटीवी का फुटेज चाहिए तो मुफ्त में उसे उपलब्ध कराना चाहिए। सेक्रेटरी ने एक किस्ना सुनाया जो मज़ेदार तो था ही, पर खौफनाक भी।
बिल्डिंग की एक महिला ने सेक्रेटरी से एक अजीब अनुरोध किया। वह एक महीने के लिए अपने मायके गयी थी और हाल ही में लौटी। उसे अपने फ्लैट के लॉबी में लगी सीसीटीवी का फुटेज चाहिए था। वह देखना चाहती थी की उसकी अनुपस्थिति में फ्लैट में कौन आया था। फ्लैट में सिर्फ़ पति रहते थे और महिला को शक था कि उसके पीट पीछे पति कहीं गुलछर्रे तो नहीं उड़ा रहा था?
बहनों, भगवान ने इंसान को शक का वायरस देकर बहुत बड़ी ग़लती की। वायरस इसलिए कि इससे कोई भी तो नहीं बच पाया? औरों के बारे में क्या बोलूं, मेरे पति को ही देख लो! मेरे पीछे-पीछे घूमते रहते हैं। बाथरूम भी जाना हो तो उनसे पूछ कर जाना पड़ता है नहीं तो बाथरूम का दरवाज़ा तोड़ देंगे! इस उम्र में क्या प्रॉब्लम है उनको, पता नहीं। हाँ कभी-कभी मन में ख़ुशी होती ज़रूर है, अभी तो मैं जवान हूँ, क्यों, लगता नहीं तुम लोगों को जब कोई मर्द आपको ताड़े?
खैर, शक के मामले में तो मैं भी कुछ कम नहीं। बच्चों पर नज़र रखना हर माँ-बाप का फ़र्ज़ है। मेरे पति को तो छोड़ ही दो, उनकी नज़र तो मुझसे नहीं हटती, बच्चों पर क्या रखेंगे? मैंने तो अपना फ़र्ज़ शिददत से निभाई, पर बच्चे नफरत करते थे मेरी इस आदत को। उनके पीछे मैं उनका सामान चेक करती थी, कहीं ड्रग्स तो नहीं ले रहे हैं? सच पूछो बहन तो बच्चे बहुत टेंशन देते हैं मुझे। ये 'लेट नाइट पार्टी' की बीमारी हर बच्चे को हो गयी है और रात-रात भर माँ को ही जागे रहना पड़ता है। बाप लोग तो घोड़े बेचकर सो जाता हैं, उन्हें पता है बीवी जागेगी।
एक बार तो मैंने हद ही कर दी। लड़की के सामान में एक गुब्बारा मिला, लाल रंग का और मुझे लगा कि वह निरोध है। हमारे टाइम में तो निरोध ही कहते थे, अब शायद कंट्रासेपटिव बोलते हैं। मुझे इसलिए पता था क्योंकि मेरे पति पर प्यार का जब भूत सवार होता था तो केमिस्ट के दुकान से निरोध ले आते थे। खैर मैंने जब अंजली से इस बारे में अकेले में पूछा तो वह मुझपर बुरी तरह भड़क गयी। कहने लगी मैं माँ नहीं मॉन्स्टर हूँ, शक्की, गंदी और बेशरम! वह निरोध नहीं बर्थडे का गुब्बारा था। मैं उसपर विश्वास नहीं करती, ऐसा कहा उसने। पर जाने दो, बच्चे तो बोलते रहते हैं पर माँ को तो अपना फ़र्ज़ निभानी चाहिए, क्यों बहनों?
मेरी छोड़, मेरी सहेली की तो हालत ख़राब है। उसका पति तो नंबर 1 शक्की है! मियाँ-बीवी दोनों काम करते हैं पर उस आदमी की हिम्मत तो देखो? पत्नी को प्राइवेसी ही नहीं देना चाहता। आप को पता है कि आज के दौर में हमारा सब से प्राइवेट आइटम क्या है? हमारा मोबाइल फ़ोन और अगर हमारे अलावा कोई भी उसे छू ले तो बात सीधे कोर्ट-कचहरी तक पहुँच सकती है! सहेली के पति ने सहेली को चेतावनी दी कि अगर उसने अपना फ़ोन लॉक किया किसी पासवर्ड से तो बहुत बुरा होगा। घड़ी-घड़ी पति सहेली के वॉट्सएप्प मैसेज चेक करता और रोज़ फेसबुक, ट्विटर और मेल भी चेक करता। और कोई होती तो तलाक ले लेती पति से पर मेरी सहेली नहीं। वह डरपोक नहीं थी, चतुर थी। उसके पास दो फ़ोन हैं, हाथी के दाँत?
मुझे वह लोग पसंद ही नहीं जो शक करने को पाप समझते हैं। माना किसी बात की अती ख़राब है, पर जब आप बिलकुल ही पूछ-ताछ नहीं करेंगे तो कभी-कभी बहुत बुरा भी होता है। मेरी एक पड़ोसन है जिसकी बेटी का अफेयर किसी लड़के के साथ चल रहा था। लड़की भोली थी और माँ-बाप बेवकूफ़। लड़की से कुछ भी नहीं पूछते थे न बात करते थे लड़के के बारे में। एक बार ज़रूर पूछा और लड़की ने कह दिया दखल मत दो मेरी ज़िंदगी में और वह मान गए! लड़के ने लड़की का दिल तोड़ दिया और लड़की पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली!
बहनों, मेरा आप लोगों से कहना है शक मत करो पर जहाँ पूछना ज़रूरी हो चुप मत रहो।