Sneh Goswami

Tragedy

2.5  

Sneh Goswami

Tragedy

वापसी

वापसी

2 mins
232


बहुत दिनों से खांसी से बेहाल देख पड़ोसी उसे बार बार बेटे के पास दिल्ली जा कर टेस्ट कराने की सलाह दे रहे थे। हर बार वह टाल रही थी। लेकिन इस बार उसने जाने का फैसला किया। कुल जमा चार जोड़ी कपड़े बैग में रखते हुए उसने थैले में थोड़ा सा गुड़। शक्कर। पाँच किलो बासमति चावल।।और किलो भर घी भी रख लिया। वहां शहर में खरीद कर कितना ले पाता होगा और शुद्ध कितना मिलता होगा।

रोकने के बावजूद सोहन उसे ट्रेन में बैठा आया। जब से शादी के बाद अभय दिल्ली आ बसा है। पहली बार वह दिल्ली आई है। बेटे को फ़ोन पर सूचना दे दी है।

स्टेशन पर उतर उसने इधर उधर देखा। अभय कहीं दिखाई नहीं दे रहा। वह रुआसी हो गयी। इस अनजान शहर में वह कहाँ जाएगी। तभी एक वर्दीधारी ड्राइवर ने उसे चिंता से उबार लिया – आइए माँ।

अपने मैले थैले के साथ लग्जरी कार में बैठते वह एक कोने में सिकुड़ गई। कार कुछ ही देर में बड़ी सी कोठी के सामने रुकी। बेटे की तरक्की देख उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया।

अंदर ड्राइंगरूम में उसके बेटे की कोई मीटिंग चल रही थी। नौकरानी ने ट्रे में चाय बिस्कुट सजाये।

बहू कहाँ है।

मैडम। वे तो टूर पर बाहर गई हैं। कल रात तक आएंगी।

चाय की ट्रे लिए वे बेटे की ओर बढ़ गई।बेटे ने उनकी ओर देखा और आवाज दी।  राजू, माँ को उनका कमरा दिखाओ। वे फ्रेश हो जाएगी। चाय टेबल पर रख वे चली आई थी। गेस्टरूम में दीवान पर बैठते उपवास का बहाना बना चाय उन्होंने लौटा दी थी।

बेटा कोई ऑटो बुला दो किसी डाक्टर के पास जाना है और हाँ रात की ट्रेन की टिकट भी ला दो। टेस्ट के बाद वापिस जाऊँगी।

इतनी जल्दी – राजू अचकचा गया था।

बेटे को देखना था देख लिया। डाक्टर को दिखाना था दिखा रहे हैं। वहाँ घर में बहुत लोग हैं जो मेरे बिना एक मिनट भी नहीं रहते।

उन्होंने अपना कपड़े वाला बैग खोल लाई स्वेटर और साड़ी दोनों नौकरों में बांट दी और ऑटो में बैठ गई। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy