sneh goswami

Comedy Drama

4.5  

sneh goswami

Comedy Drama

अंग

अंग

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जब भी राजा की सवारी निकलती, उसकी मुट्ठियाँ तन जाती। वह जोर जोर से चिल्लाने लगता - “ सब हरामी हैं … हमारा खून चूस चूस के बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं … सब साले चोर … हमारी कोई नहीं सुनता … ”। 

राजा के दरबारियों ने उसे समझाया थोडा डराया, थोडा धमकाया पर उसका चिल्लाना पहले से ज्यादा हो गया। 

दरबारियों ने राजा के दरबार में शिकायत की। राजा ने बुलवा भेजा। 

राजा ने उस आदमी को देखा - हम तुम्हे भरोसा देते हैं कि तुम्हारी सारी शिकायत दूर की जाएंगी। …राजा ने सौ सौ के कुछ नोट बढाए …आज से तुम कभी भी कहीं भी हमसे मिल सकोगे … बस तू ये देखेगा …कोई हमारे खिलाफ न बोले …जो बोलेगा, हमारा प्रतिनिधि होने के नाते उसे तुम चुप करोगे …जरूरत पड़ने पर सजा भी दे सकते हो …बदले में तुम बीस हजार हर महीने ले जाना …खाना पीना फ्री …।

आदमी खुश हो गया। 

अगले दिन से ही वह मुर्दाबाद कहने वालों से लड़ रहा था।


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