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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

उसकी प्रियतमा

उसकी प्रियतमा

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उसकी आंखें उसके प्यार का इजहार कर रही थी। वह अपने हाथों से उसे तैयार कर रहा था। वह जैसे जैसे अपनी प्रियतमा के करीब जा रहा था उसकी धड़कन तेज होती जा रही थी। उसके बालो में सजा हुआ गजरा, उसके हाथों में लगी मेहंदी, मेहंदी के बीच में छुपा उसका नाम उसे उसकी प्रियतमा के और करीब ले जाने को आतुर था। 

उसकी प्रियतमा का सुर्ख लाल जोड़ा जो उसकी प्यार की परवानगी का नतीजा था। उसके मखमली पैरो में बंधी हुई पायल उसके प्यार की कहानी को घुंघरू में पिरो रही थी। आज के दिन उनके प्यार को एक पहचान मिलने वाली थी।

शादी की रस्मों के बीच वह मन ही मन सात वचन ले चुका था लेकिन फेरो के वक़्त जब सवाल उठे कि क्या एक अधूरी लड़की जीवनभर साथ निभा सकती हैं तो उसने अपनी प्रियतमा को अपना आधा शरीर देकर उसके प्यार को आयाम दे दिया। वह अपनी प्रियतमा को गोद में उठाकर जैसे जैसे अग्नि परिक्रमा कर रहा था, वैसे वैसे उनका प्यार खरे सोने जैसा निखर रहा था।


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