उफक ए इश्क
उफक ए इश्क
आसमानी रंग का पर्दा जिस पर लगे हुए सफेद दाग निकलने का नाम ही नहीं ले रहे थे । इन दागों को देखते ही लगा कि जैसे कोई चश्मिश लड़की ओस में किसी राह पर चलती नजर आइ हो जो अपने चश्में पर ओस से लगे सफेद दाग को मिटाने की कोशिश कर रही थी। कहते हैं कि दिल के कांच पर लगे सफेद दाग भी कभी अच्छे होते हैं तो कभी सच्चे भी। उस लड़की की कोशिश जारी थी । वो आसमां और यहां ये लड़की दोनों ही बहुत ज़िद्दी लग रहे थे। भला कोई क्यो अपने इश्क के दाग निकालना चाहेगा । जी हां वो। लड़की हर सुबह किसी अनजान राह पर निकलती अपने चश्मो पे लगे सफेद दाग को मिटाने लेकिन वो दाग उसकी रूह का एक हिस्सा बन चुके थे जिन्हें मिटाना मुश्किल ही नहीं बल्कि ना मुमकिन सा था। वो हर सुबह अपनी जिंदगी की किसी ऐसी राह पर निकलती जहां किसी अन्य इनसान के नामों निशान भी नहीं पाये जाते। एक ऐसा रास्ता जो उसकी रूह से जुड़ा हुआ है।
आपने शायद सुना होगा कि धरती और आसमां कभी एक नहीं हो सकते और वो कभी अलग भी नहीं हो सकते। धरती और आसमां - दोनों एक ऐसे रास्ते पर मिले जहां जात-पात के बिना कोई आगे नहीं बढ़ सकता। जहां इश्क, मोहब्बत, प्यार को कलंक माना जाता हैं । जहां कोई दो पंछी जो इश्क के पिंजरे से जुड़े हैं उन पर सिर्फ वार किया जाता है। बिना वार किये वो कभी शुकुन की निंद नहीं सोते। बिना हथियार के भी वो वार कर सकते हैं जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को बिना हथियार से वार कर लेता है। वो दो पंछी जो इश्क में एक-दूजे से जुड़े रहने का वादा करते हैं लेकिन उन्हीं वादों के पिछे उन्हें अपनी जान गवाने का भी डर लगा रहता है। बस कुछ ऐसे ही जहां पे धरती और आसमां का मिलन हुआ था। उन्होंने अपनी जिंदगी में शायद ही कोई सरहद पार की होगी लेकिन इस इश्क में वो हर रात सरहद पार करते थे। सुना है कि इश्क की सरहद के लिए आंखों को किसी विझा की जरूरत नहीं होती। धरती और आसमां कुछ ऐसे ही इश्क के पिंजरे में कैद रहते थे। उन्होंने अपने इश्क को कभी लफ़्ज़ों के माध्यम से बयान करना जरूरी नहीं समझा। एक ऐसा ही इश्क जो हर वादे निभाता है, हर वो खुशी देना चाहता है, हर वो ख्वाब संवारना चाहता है, और हर वो छोटी छोटी यादों को किताब में केद करना चाहता है।
बस धरती और आसमां के ये ही सपने किताब में ही केद रह गए । ये बात-व-यादो को रिहाई मिली नहीं कि आसमां उन शिकारी का शिकार बन गया। वो शिकारीओने आसमां के आसमानी रंग को लाल रंग में बदल दिया और अपने हथियार से वार कर आसमां को लाल सी चादर पहनाकर खुद शुकुन की निंद सोने चले गए।.....आसमानी रंग का पर्दा जिस पर लगे हुए सफेद दाग निकलने का नाम ही नहीं ले रहे थे । इन दागों को देखते ही लगा कि जैसे कोई चश्मिश लड़की ओस में किसी राह पर चलती नजर आइ हो जो अपने चश्में पर ओस से लगे सफेद दाग को मिटाने की कोशिश कर रही थी। कहते हैं कि दिल के कांच पर लगे सफेद दाग भी कभी अच्छे होते हैं तो कभी सच्चे भी। उस लड़की की कोशिश जारी थी । वो आसमां और यहां ये लड़की दोनों ही बहुत ज़िद्दी लग रहे थे। भला कोई क्यो अपने इश्क के दाग निकालना चाहेगा । जी हां वो। लड़की हर सुबह किसी अनजान राह पर निकलती अपने चश्मो पे लगे सफेद दाग को मिटाने लेकिन वो दाग उसकी रूह का एक हिस्सा बन चुके थे जिन्हें मिटाना मुश्किल ही नहीं बल्कि ना मुमकिन सा था। वो हर सुबह अपनी जिंदगी की किसी ऐसी राह पर निकलती जहां किसी अन्य इनसान के नामों निशान भी नहीं पाये जाते। एक ऐसा रास्ता जो उसकी रूह से जुड़ा हुआ है।
आपने शायद सुना होगा कि धरती और आसमां कभी एक नहीं हो सकते और वो कभी अलग भी नहीं हो सकते। धरती और आसमां - दोनों एक ऐसे रास्ते पर मिले जहां जात-पात के बिना कोई आगे नहीं बढ़ सकता। जहां इश्क, मोहब्बत, प्यार को कलंक माना जाता हैं । जहां कोई दो पंछी जो इश्क के पिंजरे से जुड़े हैं उन पर सिर्फ वार किया जाता है। बिना वार किये वो कभी शुकुन की निंद नहीं सोते। बिना हथियार के भी वो वार कर सकते हैं जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को बिना हथियार से वार कर लेता है। वो दो पंछी जो इश्क में एक-दूजे से जुड़े रहने का वादा करते हैं लेकिन उन्हीं वादों के पिछे उन्हें अपनी जान गवाने का भी डर लगा रहता है। बस कुछ ऐसे ही जहां पे धरती और आसमां का मिलन हुआ था। उन्होंने अपनी जिंदगी में शायद ही कोई सरहद पार की होगी लेकिन इस इश्क में वो हर रात सरहद पार करते थे। सुना है कि इश्क की सरहद के लिए आंखों को किसी विझा की जरूरत नहीं होती। धरती और आसमां कुछ ऐसे ही इश्क के पिंजरे में कैद रहते थे। उन्होंने अपने इश्क को कभी लफ़्ज़ों के माध्यम से बयान करना जरूरी नहीं समझा। एक ऐसा ही इश्क जो हर वादे निभाता है, हर वो खुशी देना चाहता है, हर वो ख्वाब संवारना चाहता है, और हर वो छोटी छोटी यादों को किताब में केद करना चाहता है। बस धरती और आसमां के ये ही सपने किताब में ही केद रह गए । ये बात-व-यादो को रिहाई मिली नहीं कि आसमां उन शिकारी का शिकार बन गया। वो शिकारीओने आसमां के आसमानी रंग को लाल रंग में बदल दिया और अपने हथियार से वार कर आसमां को लाल सी चादर पहनाकर खुद शुकुन की नींद सोने चले गए।