उड़ान

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’’मैं पहले की तरह अपने शौहर के साथ रहना चाहती हूँ मैं चाहती हूँ कि जुनैद मुझे अपने साथ दुबई ले जाय। घर वालों पर मुझे भरोसा नहीं रह गया।’’ 

’’ बस न ऽ...? या और कुछ ? बाकी मामले तुम उठा लोगी नऽ.?’’

’’ जी हाँ!’’

 ’’अब जुनैद से पूछ लेते हैं!’’ पांडे मैडम ने अपनी रिवाल्विंग चेयर जुनैद की ओर घूमा ली।

’’ बताओ जुनैद ! इसे घर से क्यों निकाला जा रहा है ? तुमने अपने वालिदैन को मना क्यों नहीं किया? क्या तुम इसे पसंद नहीं करते?’’

’’ नहीें मैडम ऐसी बात नहीं है, मैं तो इसे बहुत चाहता हूँ। हमने अपनी पसंद से निकाह किया था।’’ 

’’और तुम ताहिरा, क्या तुम भी जुनैद को बहुत पसंद करती हो ?’’

’’ जी मैडम , मैं जुनैद को बहुत पसंद करती हूँ मैंने पहले भी कहा है । 

’’ बस तो फिर वाद खत्म करने के लिए आवेदन पत्र लगा देते है। जुनैद तुम अपनी बीवी को अपने साथ रखो।" पांडे मैडम ने आराम से कह दिया। 

’’ नहीं...! ऐसा नहीं हो सकता मैं इसे फोन पर तीन बार तलाक तलाक ...तलाक ! कह चुका हूँ इसीलिए मेरे वालिद इसे घर से निकाल रहे थे। तलाक के बाद इसे घर में रखना गुनाह है मैडम, हम सच्चे मुसलमान हैं अल्लाह से डरने वाले।

 दोनो मीडियेटर जरा भी नहीं चौंके, जैसे माजरा पहले ही उनकी समझ में आ चुका हो। 

’’ तो यहाँ भी वही बात है तीन तलाक वाली! सरकार के द्वारा इतनी कोशिशें की जा रहीं हैं फिर भी घटनाएँ होती ही जा रहीं हैं।’’ पांडे मैडम ने जैसे स्वयं से कहा था। 

’’नहीं मैंडम ! यह झूठ बोल रहा है, इसने मुझे एक बार भी तलाक नहीं कहा। अपने घर वालों के कहने में आकर ऐसा कह रहा है।’’ ताहिरा चीखने वाले अंदाज में बोल पड़ी। 

’’मैंने एक माह पहले ही जुम्मे के दिन इसे फोन पर तलाक दे दिया था, यह झूठ बोले जा रही है कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा।’’ जुनैद परेशान हुआ जा रहा था। 

’’ ठीक है तुमने कहा होगा परंतु मैंने नहीं सुना। मैं आज भी तुम्हारी बीवी हूँ।’ ’उसने कातर दृष्टि से उसे देखा था। आँखों से ढलकने वाले आँसू उसने यूँ ही बहने दिये थे।

 ’’ यह तो गुनाह है।’’

’’ जब इसने नहीं सुना तो तुम भी भूल जाओ उस बात को ! गुस्से में कह दिया होगा, किसी और ने तो नहीं सुना, तुम अपनी बीवी और बच्ची को फिर से अपना लो।’’ पांडे मैडम ने मित्र की तरह समझाया । 

’’यह तो हलाला के बाद ही संभव होगा मैडम!’’ 

’’ नहीं.. .! हलाला मुझे कुबूल नहीं ! जुनैद के अलावा कोई मुझे नही छू सकता।’’ ताहिरा कानों पर हाथ रख कर चिल्ला पड़ी थी। 

’’बड़े जाहिल हो ! अपनी पाकीजा बीवी को नापाक करना चाहते हो!’’ मैडम के स्वर मे अफसोस परिलक्षित हो रहा था। 

मैं घर्म के खिलाफ नहीं जा सकता, हम दोनो ने जो ग़ल्तियाँ की है उसकी सजा है ’हलाला’ ।

 ’’ क्या ग़लती की इस नेक दिल ताहिरा ने?’’

’’ इसने हमारे अब्बू- अम्मी का दिल दुखाया, इसे तो पता भी नहीं कि उन्होंने किस मुश्किल से हमें पाला, मुझे खिला कर खुद भूख मिटाने के लिए मुर्गे की हड्डियाँ भून कर चबा लेते थे। अब्बू कसाई खाने में सफाई करते थे। अम्मी मुर्गियों की देख-भाल करती थी। उन्होंने मुझे पढ़ाया-लिखाया, दुबई भेजने के लिए ब्याज पर कर्ज लिया , अब यदि उसे मैंने चुका दिया तो कौन सा एहसान कर दिया? यह उनसे कहने लगी कि उसके शौहर की कमाई पर घर चल रहा है , इसके नसीब से घर में बरक्कत आई है। ’’ और मैंने गुस्से में आकर अपनी चहेती बीवी को तलाक दे दिया। ’’ अंतिम बात कहते -कहते उसका गला भर आया। 

’’ मैं मुआफी मांग लुंगी अम्मी अब्बू से।’’ ताहिरा सिर झुकाये हुए बोली। 

’’वे हलाला के बाद ही मुआफ कर पायेंगे।’’ 

 ’’ मैं हलाला नहीं करुंगी, बाकी चाहे जो कहो कर लूंगी। ’’

’’ और मैं इस्लाम के खिलाफ नहीं जाऊँगा। ताहिरा मुझसे मोहब्बत करती होगी तो मुझे पाने के लिए मजहबी कायदों का पालन ज़रूर करेगी।’’

 ’’ ताहिरा सिर्फ और सिर्फ तुम्हें चाहती है जुनैद, उसकी देह पर केवल तुम्हारा ही अधिकार है , वह न तलाक को मानती है न हलाला को। ’’ ताहिरा के शब्दों में दृढ़ता थी। 

’’जब दोनो में से कोई नहीं मानेगा तब समझौता कैसे होगा। ? अब दो ही रास्ते हैं एक - मामले को सुलझाने मे असमर्थता दिखा कर इसे फेमिली कोर्ट में वापस कर दिया जाय या एक बार जो कुछ देना लेना है दे ले कर लिखित में एक दूसरे से अलग हो जाओ। वन टाइम सेटेलमेंट में ही दोनो की भलाई है।’’ शाहिद खान ने गंभीर स्वर में कहा। मैडम चुप रह गईं । 

’’ ठीक है सर! मैं अपने परिवार में बैठ कर सलाह मशवरा कर लेता हूँ फिर अगली पेशी में बताता हूँ। ’’

 ’’मुझे भी अम्मी अब्बू से पूछना होगा।’’

’’ठीक है आप लोग मोहर्रिर से अगली पेशी की डेट ले लीजिए।’’ दोनो मीडियेटर उठ कर अपने चेंबर से बाहर निकल गये।

बस उसके बाद दो पेशी और हुई थी। ढंग से समझाया था मध्यस्थों ने ’’ बस किसी तरह छुटकार ही अच्छा है तुम्हारे लिए। आपने जो झूठे इल्जामात लगाये हैं ताहिरा बानो, वे सच भी हो सकते हैं। आप उस घर में कैसे रहेंगी ,जिसके रहवासियों पर आप ने इतने संगीन आरोप लगाये हैं? अब तो कोर्ट भी आप का विश्वास नहीं करेगी। अच्छा हो आप एक बार ही जितना हो सके लेकर कोई काम धंधा शुरू कर दें और इज़्ज़त से अपना और अपनी बेटी का गुजर-बसर करे।’’ पांडे मैडम ने उसे सझाया था। ’’ कोई और रास्ता न देख कर उसने अपने को परिस्थिति के हवाले कर दिया था। तीन लाख मिले थे उसे सेटेलमेंट के लिए। वह कुछ माह अपने मायके में रही। फिर अब्बू के लिए घड़ी की एक छोटी सी दुकान खेालवा दी। उसे लगा था कि पैसे खत्म होते अधिक वक्त नहीं लगेगा। अम्मी-अब्बू भाई- बहने सब की अपेक्षाये बढ़ गई थीं। सबकी उम्मीदें उसी पर टिकी हुईं थीं। इधर कई रिश्ते आये उसके लिए , वे उसे जरीना के साथ अपनाना चाहते थे। उसे निकाह की बात गाली जैसी लगने लगी थी। वह प्यार तो सिर्फ जुनैद से ही करती थी न...। जब उसने जुनैद को दोबारा पाने के लिए भी हलाला मंजूर नहीं किया तो निकाह में ही कौन सुख है? उससे ज्यादा कौन जानता है इस सुख को ?

’’ उसने जरीना का नाम स्कूल में लिखवाया था और एक मकान किराये पर लेकर अपने शहर की कुछ ज़रूरतमंद औरतों के साथ टेलरिंग शाॅप खोल लिया था। आज जो रेडीमेड कपड़ों की इतनी बड़ी कंपनी खड़ी दिखाई दे रही है नऽ? इसका जन्म ऐसे ही हुआ था। 

उसने चादर बिछाई और शुकराने की नमाज़ अदा करने लगी। उसका सारा विगत उसकी आँखों के सामने नाच रहा था । वह सोच रही थी कि काश! भारत की लोकतंत्री सरकार ने तीन तलाक को पहले ही अपराध घोषित कर दिया होता! उसका जुनैद उसके पास रहता। उसे आज बेपनाह खुशी महसूस हो रही थी। हिन्दुओं की तरह घी का दीपक जलाने की तबियत हो रही थी अल्लाह के करम से पीड़ित बहनों का संघर्ष रंग लाया। लोक सभा और राज्य सभा दोनो ने तीन तलाक बिल पास कर दिया। अब तीन तलाक की रबड़ी गटकने वाला तीन साल के लिए जेल जायेगा । अब आयेगी अक्ल ठिकाने बद्दिमाग शौहरों की।’’ तीस जुलाई दो हजार उन्नीस का दिन सबसे बड़े त्यौहार का दिन है। वह उठी और बेखौफ उसने घी के पाँच दीए जलाकर दरवाजे पर रख दिये। 

थोड़ी ही देर में जरीना अपने काॅलेज से आ गई। कृषि महाविद्यालय में पढ़ रही है। सरकारी नौकरी में जाने का मन है उसका। ताहिरा ने उस पर कोई बंदिश नहीं लगाई न ही किसी ऐसी रूढ़ी को जरीना पर हावी होने दिया जिससे वह अतार्किक परंपराओं को अपने जीवन में स्थान देने के लिए मजबूर हो । उसने तो मजहबी कायदों को पत्थर की लकीर की तरह माना था लेकिन क्या मिला उसे ? हारा हुआ तन और टूटा हुआ मन । मौलवी साहब ने उसे बुतपरस्तों के प्रभाव में जानकर फतवा जारी करने की धमकी दी थी। उसने मुस्कुराते हुए उनकी बेगम के लिए सुनहरे गोटे वाला दिया था एक सूट गिफ्ट कर दिया। वे अपनी चौथी बीवी पर जान छिड़कते थे। दुआ देते चले गये। वह जानती थी कि सब कुछ पैसे के लिए ही होता है दुनिया में । हलाला की रस्म पूरी करने के लिए मौलवी लोग मोटी रकम लेकर तलाकशुदा महिलाओं के एक रात के शौहर बनने के लिये तैयार रहते हैं जो अपने तलाकशुदा पति से फिर निकाह करना चाहतीं हैं । सुबह होते ही रात भर की बीवी को तलाक दे देते हैं। रकम इसी मेहरबानी के लिए ली जाती है दूसरा शौहर यदि तलाक न दे तब तो तलाक शुदा जोड़े दोबारा कभी एक नहीं हो सकते। मज़हब की हिफाज़त के लिए जब मौलवी इतना करते हैं तो क्या उन्हें खाली हाथ जाने दिया जाय? आखिर उनके भी तो बाल-बच्चे हैं जिके पास अल्ला ताला का दिया हुआ पेट है। वह म नही मन मुस्कुराई 

’’ अम्मी! वो अम्मी! कहाँ हो ? आज तो ऐसी खबर लाई हूँ कि सुनकर खुशी से उछल पड़ोगी। ’’ जरीना उसकी पीठ पर झूल गई ।

’’ हाँ! हाँ! जानती हूँ तू क्या कहने वाली है तीन तलाक बिल पास हो गया यही न ..ऽ ?’’ 

 ’’उससे भी बड़ी खुशी अम्मी ! मुझे अब्बू का पता मिल गया। उनके जिगरी दोस्त जो कुछ दिन पहले दुबई से आये हैं, हमारे काॅलेज में लेक्चर देने आये थे। स्टुडेंट्स की ओर से मेरा लेक्चर था । मेरे विचार उन्हें बहुत पसंद आये। बातों बातों में परिचय बढ़ा और खाने की टेबल तक आते-आते मुझे पता चला कि वे मेरे अब्बू के फ्रेंड हैं। ’’ जरीना को इतना खुश उसने कभी नहीं देखा था। उसे अच्छा तो लगा किंतु कहीं कुछ दरक सा गया। ऐसा क्या था जो उसने इसे नहीं दिया? लड़की अब्बू के नाम से इतनी उत्साहित हो रही है जैसे इसके अब्बू इसके लिए मन माफिक तोहफ़ा लेकर आये हों। इत्ती सी थी जब उसने इसकी ओर से आँखें फेर ली थी। पाँच साल के लिए उसे मिली थी जरीना , लेकिन सेटेलमेंट के बाद से कभी उसने खबर ही नहीं ली इसकी । ताहिरा ने इसे ही अपना जीवन मान लिया । कहीं कोई ग़लती तो नहीं की न ?’’ उसके दिल से एक प्रश्न उठा।  

’’ अम्मी ! तुम्हें खुशी नहीं हुई अब्बू का समाचार पाकर? वे दुबई में ही सेटेल हो गये हैं इसी बहाने हम भी एक बार दुबई हो आएंगे अंकल ने उनका फोन नंबर दिया है अम्मी, कहो तो फोन मिलाऊँ?’’

’’ जल्दी मत कर जरीना, जरा सोचने दे मुझे ! तू पढ़ रही है हो सकता है तेरा निकाह दुबई वाले से ही हो जाए बस फिर क्या चली जाना अपनी अम्मी को छोड़कर अपने मियाँ के साथ। ’’

’’ अम्मी बात को कहाँ से कहाँ ले गई ? तुम्हारी यही आदत मुझे अच्छी नहीं लगती। हर खुशी के मौके पर रोने का कारण तलाश लेती हो । खुश रहा करो यार ! तुम्हारी इतनी बड़ी बेटी है जहाँ जाती है लोग पूछते हैं कि जरीना तुम्हारी वालिदा कौन हैं ? वह ताहिरा को बहलाने लगी। 

’’ जरीना ! जब से तुमने होश संभाला किसे पाया अपने आसपास ?’’

’’रमजान अंकल को और किसे ?’’

’’ जानती हो न ये कब से मेरे साथ हैं ? जब मेरा तलाक हुआ था, कुछ सिलाई मशीने लेकर मैंने कपड़े सिलने का काम शुरू किया था , तभी से हम साथ हैं। इनकी पहचान से मुझे काम मिलने लगा था, आज भी वे हमारे मार्केटिंग मैनेजर हैं। हमारे ताल्लुकात कितने गहरे हैं यह तुमसे छिपा तो नहीं होगा? वे एक निहायत शरीफ इन्सान हैं। उनकी बीवी तीन बच्चियों का भार उनके ऊपर डालकर इन्हें छोड़ गई। मजहबी तालीम ने उसे गंडे ताबीज और झाड़ फूंक से ज्यादा कुछ करने न दिया। मैंने उनकी बेटियों की स्कूली तालीम के इंतजामात किये और उन्होंने हम माँ बेटी को अपनी सरपरस्ती दी। आज उनकी बेटियाँ अपने समान खुले विचारों के लड़कों से निकाह करके अपने ’ अपने घर सुखी हैं। हम तुम्हारे लिए भी यही ख़्वाहिश रखते हैं बेटी कि तुम्हें अपनी मंज़िल हासिल हो! अब सोचो अगर तुमने जुनैद से अपने संपर्क बढ़ाये तो तुम्हारे अंकल को कितना दुःख होगा।’’ ताहिरा की आवाज़ जैसे कहीं दूर से आ रही थी। 

’’ अम्मी ऐसा था तो तुमने अंकल से निकाह क्यों नहीं कर लिया और कौन सी बंदिश थी ? तुम्हारा बकायदा तलाक हुआ था।’’ जरीना हिचकते हुए पूछ ही बैठी जो बहुत दिनों से उसके मन में उमड़-घुमड़ रहा था। 

’’ तुम क्या जानो मेरी बच्ची तलाक का दर्द, एक बसी बसाई गृहस्थी का केवल तीन लफ्जों में बिखर जाना, वो रूसवाई , वो दिल के होते टुकड़े, क्या इतनी आसानी से बटोरे जा सकते थे ? मुझे अपने शौहर की मोहब्बत पर बेपनाह भरोसा था। साल के दस महीने उसकी याद में बिता देती थी, वह कहता था ’’ ताहिरा मैं तुम्हारी जिंदगी ख़ुशियों से भरना चाहता हूँ। कुछ साल कमा कर हमेशा के लिए वापस आ जाऊँगा, फिर हम साथ-साथ अपनी जरीना को बड़ी करेंगे। उस दिन सास-ससुर से कहा सुनी के बाद मैं बैठी सोच रही थी कि वह अपने घर वालों को समझाायेगा कि मेरी ताहिरा के साथ ठीक तरह से पेश आओ। उसकी बदौलत ही चार पैसे बच रहे हैं । दुबई की कमाई में परिवार रखने पर तो कुछ भी बचाना मुश्किल ही होगा। उन्हें डाँटेगा कि ताहिरा के परिवार की निंदा न की जाय। मैंने पहले उसका फोन नहीं उठाया, तब छोटी ननद ने बड़ी गुजारिश की- कहने लगी जुनैद परेशान हो रहा है जो भी अच्छा बुरा है बताओ तो उसे।’’ उसकी तड़प महसूस करके मैंने फोन उठाया था गले तक मेरा दिल भरा हुआ था। अब रो पडूं कि तब। उसने बिना कुछ पूछे-ताछे मेरे ऊपर जैसे पत्थर पटक दिया-’’ तलाक!तलाक! तलाक!’’ उसने फोन रख दिया। मैंने जब अपनी स्थिति का एहसास किया तब सर पटक-पटक कर रो पड़ी । तू मेरे सीने से लगी टुकुर-टुकूर ताक रही थी, घर का कोई पूछने भी नहीं आया कि क्या हुआ तेरे साथ और उल्टा दूसरे दिन से घर से निकालने लगे। मैंने इसीलिए इतना बड़ा घर बनाया। आज मैं उन्हें अपने घर में पनाह दे सकती हूँ ख़ुदा के फज़ल से। मैंने रमजान के साथ निकाह इस लिए नहीं किया ताकि वह कभी मुझे तलाक! तलाक!तलाक! न कह सके ।’’ ताहिरा ने अपनी आँखें पोछीं उसके चेहरे पर चट्टानी दृढ़ता नाच उठी।   

  

   

 



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