Tripti Verma

Drama

4.7  

Tripti Verma

Drama

उड़ान अभी बाकी है

उड़ान अभी बाकी है

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प्रकाश ऑफिस जाने के लिए तैयार ही था कि अचानक दरवाज़े कि घंटी बजी। पति को बिज़ी देखकर मीरा दरवाज़ा खोलने पहुँच गयी। लेकिन यह क्या?दरवाज़ा खुलते ही उसने पाया कि विदुषी एक हाथ में अटैची लिए व दूसरे काँधे पर पर्स लटकाये खड़ी थी। चेहरे पर क्रोध साफ़ झलक रहा था लेकिन साथ ही आंसू भी अविरल गति से बह रहे थे। उसकी यह दशा देखकर मीरा स्तब्ध रह गयी। मीरा समझ गयी कि आज उसकी महत्वकांक्षी बेटी अपने पति से लड़कर उसको छोड़ आयी है। इतने में प्रकाश भी आ पहुंचा। जब उसने ये नज़ारा देखा तो हतप्रभ सा रह गया लेकिन तुरंत ही ज़िम्मेदारी का एहसास करते हुए उसने विदुषी से उसके इस एकाएक आगमन का कारण पूछा। विदुषी कुछ न बोली

अपनी अटैची वहीँ छोड़ मीरा व् प्रकाश के बीच में से जगह बनाती हुई सीधी उस कमरे कि ओर भागी जो विवाहपूर्व उसका था। मीरा कि आँखों से अश्रुधारा बह चली। वह माँ होने के नाते अपनी बेटी के प्रति अलग ही वात्स्लय प्रतीत कर रही थी। परन्तु प्रकाश का बेचैनी का कारण कुछ और ही था। उसके मन में तमाम तरह के सवाल घूम रहे थे। इसी बदहवासी कि हालत में वो कुछ क्षण दरवाज़े पर ही खड़ा रहा। कभी तो रोती हुई मीरा को देखता कभी उस दरवाज़े को ताकता जिसमे विदुषी थी। लेकिन शीघ्र ही खुद को सँभालते हुए उसने ऑफिस फ़ोन कर आज की छुट्टी ले ली व मीरा को साथ ले कर विदुषी के पास पहुंचा। प्रकाश एक बैंककर्मी है। पचीस वर्ष पूर्व वह मीरा के साथ परिणय सूत्र में बंधा था। प्रकाश , गोरे रंग का , लम्बासुगठित शरीर वाला एवं अत्यंत आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक था। बैंक पर ऊँचे पद पर आसीन होने का सामान्य दंभ भी उस में था ही और मीरा इसके विपरीत सांवले रंग की सामान्य नैन-नक्श वाली थी । एक विशेषता थी उसमे , वह थी उसकी व्यवहारकुशलता एवं शालीन स्वाभाव। दसवीं पास मीरा को पढ़ायी लिखाई में ज्यादा नहीं लेकिन सामान्य रूचि थी। परन्तु आर्थिक तंगी के कारण वह आगे पढ़ न सकी । गृहकार्य में दक्ष होने के कारण उस की शादी भी जल्दी कर दी गयी।

शादी के वक़्त आस पास की औरते आकर उसके नसीब को सराहती थी कि साधारण रंग रूप होने पर भी उसे राजकुमारों जैसा ख़ूबसूरत जीवन साथी मिला है । शायद खुद भी वह ये सोचकर मन ही मन खूब रीझती थी। मगर यह क्या? शादी के बाद पति के रूखे व्यवहार ससुराल वालो की अपेक्षाओं से तथा उनके द्वारा दी जाने वाली मानसिक यातनाओ से वह कुम्हला सी गयी थी। इसे ही अपना भाग्य मानकर वह अपने पचीस साल गुज़ार पायी । लेकिन आज उसे फिर से वही सब होता दिखाई दे रहा था अपनी बेटी के साथ । फर्क था तो सिर्फ समय और परिस्तिथियों का। मीरा केवल दसवीं पास थी , विदुषी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है। मीरा का नैन नक्श साधारण था , विदुषी का रंगरूप साधारण होते हुए भी वह अत्यंत आकर्षक है। और सबसे बड़ा फर्क है विचारो का। मीरा ने यातनाओ को ही अपना जीवन मान लिया था , लेकिन विदुषी ने यातनाओ को तो दूर वरन अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार के खिलाफ ही लड़ने का फैसला कर लिया है। इसी वजह से वह अपने पति को छोड़ आयी है। माता पिता के पूछने पर विदुषी ने बताया कि रात जब कुछ मेहमान घर पर आये हुए थे तो उन सबके सामने उसके पति शिवम् ने उसका अपमान किया और मेहमानो के चले जाने के बाद जब विदुषी ने शिवम् से उसके प्रति किये जाने वाले व्यवहार पर खेद प्रकट किया तो शिवम् तिरस्कारपूर्ण हँसते हुए बिना कुछ बोले सो गया । लेकिन विदुषी सो न सकी क्यूंकि ये पहली बार नहीं था कि शिवम् ने ऐसा अपमानजनक व्यवहार किया हो। वह अक्सर विदुषी कि कामयाबी

लोगों के द्वारा उसे पसंद किये जाने व उसके व्यवहार से खीजकर उसके साथ ऐसा ही करता था। ऐसा नहीं था कि शिवम् सुन्दर या आकर्षक न हो लेकिन जब विदुषी और शिवम् साथ होते तो विदुषी कि कांति शिवम् के व्यक्तित्व को दबा सा देती थी। इसके अतिरिक्त विदुषी व्यवहारकुशल थी। वह जिस भी समूह में जाती उसकी शोभा बढ़ा देती हर किसी को अपनत्व देती। इसके विपरीत शिवम् का व्यक्तित्व अंर्तमुखी एवं शांत स्वाभाव् था।

ये सब विपरीत बातें ही आज उनके दांपत्य जीवन को अजगर कि तरह निगल रही थी। हालांकि विदुषी ये शादी से पहले ही जान गयी थी कि शिवम् उसके अनुकूल नहीं है और न ही वह शिवम् के अनुकूल है। परन्तु विदुषी और शिवम् के माता पिता द्वारा दबाव बनाये जाने पर विदुषी को इस शादी के लिए राज़ी होना पड़ा था जिसका परिणाम आज सामने है।

मीरा ने दो वर्ष पूर्व शादी के समय विदुषी को बहुत सी बातें समझायी थी मसलन सहनशीलता सामंजस्य इत्यादि लेकिन विदुषी को वो सब बातें आज खोखली सी प्रतीत हो रही थी। आजतक मीरा ने अपनी बेटी कि गृहस्थी को बचाने के लिए क्या कुछ नहीं किया? बेटी को समझाया दामाद को समझाया लेकिन आज सब व्यर्थ था। और आज बेटी को इस हालत में देखकर वह सारी उम्मीदे खो बैठी।

क्योंकि आज विदुषी शिवम् से सम्बन्ध विच्छेद का फैसला ले चुकी है।

इस सब के बीच अगर कोई अत्यंत विचारमग्न था तो वह था प्रकाश। बेटी को इस हालत में देखकर वह पचीस वर्ष पूर्व का अपना समय याद कर रहा था । जब वह शादी के लिए मीरा को पसंद करने गया था। मीरा का रूप देखकर वह निराश सा हो गया था। सब कहते थे कि प्रकाश बहुत सुन्दर है आकर्षक है तो उसे खुद भी ये लगने लगा था कि मीरा तो उसके सामने कुछ भी नहीं। लेकिन घर के बड़ो के द्वारा मीरा को पसंद कर लिया गया और वो कुछ न कर सका। अब वह दिनरात इन्ही ख्यालो में खोया रहता कि मीरा तो उसकी तुलना में उन्नीस ही है । इसी उधेड़ बन में उसने ये फैसला कर लिया कि यदि शादी के बाद मीरा उसके अनुकूल न चली उसके माता-पिता या परिवारजानो का आदर न किया तो वह उसे तलाक़ दे देगा। शादी हो गयी मीरा घर में बहु बनकर आ गयी। यहीं से शुरू हुआ यातनाओ का खेल । मीरा के साथ यदि परिवार में कोई दुर्व्यवहार किया जाता तो वो सहन कर लेती और अगर कभी प्रकाश से कुछ कहती तो वह उफन पड़ता और उल्टा उसका और उसके परिवार वालो का ही दोष निकालता । ये सब वो पूर्वाग्रहित होने के कारण करता। जब अत्याचार बढ़ गए तो मीरा ने उसका खुला विरोध करना चाहा तो मौका देखते ही प्रकाश ने वार किया और मीरा तो तलाक़ कि धमकी दे डाली। बेचारी दसवीं पास गरीब माता पिता कि शोभाहीन लड़की माफ़ी मांग कर रह गयी। वह जानती थी कि यदि उसने समझौता नहीं किया तो उसके घरवाले उसके भाई भाभी भी उसे अपने यहाँ न रहने देंगे। इस बेइज़्ज़ती से बचने के लिए उसने अपने पति व् सास ससुर कि यातनाये सहना स्वीकार कर लिया और इसे ही अपनी नियति मान लिया।

      आज इस घटना को याद कर प्रकाश अपने आप को अपराधी महसूस कर रहा है । आज उसकी बेटी उसी स्थिति में है जो स्तिथि उसने मीरा के लिए तैयार कि थी। कही न कही समाज एवं पौरुष मानसिकता के चलते वह चाहता था कि विदुषी भी वैसा ही करे जो सालों पहले मीरा ने किया था।

   लेकिन विदुषी ऐसा नहीं करेगी। विदुषी उसी मीरा से उत्पन्न हुई है जिसे अत्यंत वेदना दी गयी थी । वेदना से विद्रोह कि उत्पति होती है। विदुषी भी एक विद्रोह है। विदुषी नहीं सहेगी अत्याचार, विदुषी अनावश्यक नहीं झुकेगी, विदुषी स्वावलम्बी है , विदुषी स्वछन्द है, विदुषी ऊंची उड़ान भरेगी और दिखा देगी कि वह नारी जाती का ऐसा प्रतिनिधि है जिसे पुरुष ने अपने अहम् से कुचलने का भरसक प्रयास किया। कभी पति, कभी भाई, तो कभी पिता और न जाने कितने ही रूपों में पुरुष रुपी बहेलिये ने उसे कैद करना चाहा लेकिन वह सारी कैद तोड़ कर उड़ आयी इस नीले अम्बर में ऊँची । वह अभी उड़ेगी। और ऊंचा उड़ेगी तोड़ लेगी तारों को क्योंकि उड़ान अभी बाकी है........


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