Madhu Andhiwal

Inspirational

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Madhu Andhiwal

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त्योहार

त्योहार

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रावण दहन होने के बाद दीपावली की शुरूआत हो जाती है। लोग कबाड़ निकाल कर एकत्रित करने लगता हैं। सुधा भी घर की सफाई में जुटी थी । इतना कबाड़ हर साल निकालने के बाद भी बहुत से सामान उठा कर रख दिये जाते थे। उसका मन करता सब उठा कर किसी को दे दे क्योंकि वह किसी के प्रयोग में नहीं आता था पर पति का आदेश अरे कभी भी जरूरत होती है। पति और उसकी सोच में बहुत अन्तर था। उसकी सोच हमेशा यह रहती थी कि यदि हम इसका प्रयोग नहीं कर रहे तो किसी को दे दो जिससे वह उसका उपभोग कर सके।

आज भी वह खड़ी सोच रही थी क्या इनको फिर से सहेज के रख दे। दोनों काम वाली सफाई में जुटी थी। उसने तुरन्त निर्णय लिया और सारी साड़ियां पुराने बर्तन और अन्य सामान दोनों काम वालियों के सामने रख दिया और कह दिया जो तुम्हारे काम का हो वह ले जाओ। दोनों के चेहरे पर जो खुशी थी वह सुधा को अन्दर तक भिगो गयी , दोनों कहने लगी दीदी आपने हमारा दीपावली का त्योहार को बहुत अच्छा कर दिया आपने हमारे परिवार में बहुत खुशी मनायी जायेगी। सुधा सोच रही थी हमारी बेकार की चीजें किसी के लिये क्या इतनी प्रसन्नता दे सकती हैं।

आज उसे लगा कि असली त्योहार यही है किसी को प्रसन्नता दे सके।



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