त्याग
त्याग
शिवानंद नामक एक व्यक्ति अपने बेटी की शादी के लिए गहने ख़रीद कर घर वापस आते थे। मार्ग मे एक जंगल पार कर आने के समय एक राक्षस को देखा। राक्षस ने बोला था की "मैं बहुत भूखा हूँ तुझे खाऊँगा। "
तब शिवानंद बताया की मैं ये गहने बीवी को दे कर तुरंत वापस आऊँगा। राक्षस भी छोड़ दिया। शिवानंद तुरंत घर जाकर गहने अपनी पत्नी को देकर बोला था कि मैं राक्षस का आहार बनूँगा तुम बेटी की शादी करो। ये बात बेटा सुना कर तुरंत जंगल आ गया। पापा को छोड़ने की प्रार्थना की और कहा मुझे खा लो । शिवानंद आकर कहने लगे बेटे को छोड़ो और मुझे खा लो। उसी समय परिवार के सभी यहाँ आकर अपने अपने को खा लो बोल कर वो सब झगड़ा करते थे। ये सब देख कर राक्षस के आँखों से आँसू आ गए। तुरंत राक्षस एक गंधर्व हो गया, और बोला की आपकी वजह से मेरा शाप विमोचन हो गया। तुरंत गंधर्व ने वरदान दिया की आपका घर सुभिक्श होगा बता कर अदृशय हो गया।