तुम मेरे ही थे

तुम मेरे ही थे

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मुझसे दोस्ती करोगी, रोहित ने अचानक बीच रास्ते में सुहाना को रोका,

सुहाना ने कहा ये कोई तरीका है दोस्ती करने का, ऐसे बीच रास्ते मे रोक कर भला कौन दोस्ती करता है, और जानती ही कितना हूँ मैं तुम्हे, कल ही तो क्लास में मिले थे और आज दोस्ती करने आ गए, मुझे नहीं करनी दोस्ती और ये कहकर मैंने अपनी गाड़ी की स्पीड बड़ा दी, दिल धक धक कर रहा था, एक तो मेरी क्लास में पड़ने वाला लड़का अब तो रोज सामना होने वाला था उससे मेरा ,पर टीना का दिल तो कुछ और ही लह रहा था।

तो क्या हुआ सुहाना तुझे उससे दोस्ती नहीं करनी कम से कम मेरे लिए ही कर लेती ।

वाह तुझे करनी है दोस्ती तो तू कर मुझे क्यों फंसाती है, मुझे अच्छे से मालूम है वो पहले दोस्ती करेगा फिर धीरे धीरे कब उसकी दोस्ती प्यार में बदल जाएगी पता भी नहीं चलेगा, और मुझे इन चक्करों में नहीं पड़ना, मैं कभी किसी लड़के से प्यार व्यार नहीं करुँगी।

पर सुहाना मुझे तो वो लड़का बहुत अच्छा लगा,अपनी क्लास का सबसे सुंदर लड़का है पता नहीं तुझ जैसी बिना दिल वाली लड़की के चक्कर मे कैसे आ गया

जाने दे बात छोड़।

रात को नेहा सोने जा ही रही थी कि अचानक उसका फोन बजा , पता नहीं किसका फोन है अनजान नम्बर है,

हैलो कौन? 

हाई सुहाना में रोहित बोल रहा हूँ,

रोहित कौन ?

इतना जल्दी भूल गयी सुबह ही तो मिला था,कहा था तुमसे दोस्ती करलो पर तुमने एक पल में मना कर दिया।

ओह तुम्हे मेरा नम्बर किसने दिया।

नम्बर का क्या है बहुत आसानी से मिल जाता है।

देखो रोहित मैं नहीं जानती की तुम्हारा इरादा क्या है, क्यों क्लास की इतनी लड़कियों को छोड़ कर तुम मुझसे दोस्ती करना चाहते हो,

पर मैं इन सब चक्करो में नहीं पड़ना चाहती, मैं बहुत सुलझी हुई लड़की हूँ इन सब चक्करों में मुझे नहीं उलझना, मेरे पास बहुत दोस्त है और नहीं बनाना चाहती मैं, मुझे मेरी माँ ने पड़ने भेजा है ये सब करने नहीं।

मुझे माफ़ करदो सुहाना मेरा इरादा तुम्हें परेशान करने का नहीं था और नहीं वो जो तुम सोच रही हो, मुझे तुम में एक अच्छी दोस्ती नजर आयी तो मैंने तुम्हें दोस्ती करने को कहा,और मैं भी अच्छे परिवार से हूँ, आवारा नहीं ,मुझमें भी संस्कार है, आज के बाद तुम्हे मेरी तरफ से कोई तकलीफ नहीं होगी। मेरी नजर भी तुम्हे कभी परेशान नहीं करेंगी।

कह तो दिया उसने यही तो सुनना चाहती थी मैं फिर क्यों दिल में दर्द सा हुआ, क्यों लबो पे मुस्कुराहट नहीं आई, क्यों आँखे छलक आयी मेरी, मैं ज्यादा सोचना नहीं चाहती जो हुआ अच्छा हुआ, मुझे इन सब में नहीं पड़ना।

सामने टीना सब सुन रही थी सिर्फ उसके जो मैंने मन मे कहा, 

चलो अच्छा है तू मेरे रास्ते से तो हटी सुहाना, अब रोहित सिर्फ मेरा है ।

पता नहीं क्यों मुझे आज टीना का ये कहना अच्छा नहीं लगा।

अगले दिन क्लास में मेरी नजर मुझसे ही झूठ बोलके उसे ढूंढ रही थी, आज वो कही दिखाई नहीं दिया।

शायद आया नहीं होगा,और मुझे क्या आये तो ठीक नहीं तो भी ठीक।

तभी टीना ने बोला हाय कितना हैंडसम है रोहित , आज तो मैं उससे बात करके ही रहूँगी।

मेरे चेहरे पर बिना मेरी इजाजत के मुस्कुराहट आ गयी, पर आज रोहित ने मेरी तरफ देखा भी नहीं एक पल के लिए भी, शायद कल कुछ ज्यादा ही बोल दिया था मैंने, पर मुझे तो यही चाहिए था, वही तो हो रहा था,फिर क्यों मैं खुश नहीं थी।

हाई रोहित टीना ने आवाज़ लगाई, 

हाई टीना कैसी हो ?

मैं ठीक हूँ तुम बताओ , 

तुम यहाँ बैठ सकते हो, 

नहीं मुझे यहाँ नहीं बैठना,तुम चाहो तो मेरी सीट के पास पीछे बैठ सकती हो,

तो हमारी दोस्ती पक्की ,टीना ने कहा ।

हाँ क्यों नहीं ,किसीको तो मेरी दोस्ती अच्छी लगी,

शायद ये किसी मैं ही थी, ठीक टीना के पास मैं बैठी थी, पर उसकी निगाह तक नहीं गयी मुझपे,ना जाने क्यों मुझे टीना से जलन हो रही थी, पर मैं यही तो चाहती थी।

क्लास खत्म होने के बाद जब जाने का वक़्त हुआ तो इतना करीब से वो गुजरा उसका हाथ मुझसे टकराया।

बस सॉरी बोलकर निकल गया, देखा भी नहीं। ना जाने क्यों दिल कह रहा था वो मुझसे बात करे,पर दिमाग़ तो दुश्मन था, मैंने भी कुछ नहीं बोला ।

मैं भी घर की तरफ निकल गयी 

पता नहीं क्यूँ आज फोन पर बार बार निगाह जा रही थी, कही कोई मैसेज आया हो उसका, 

क्या बात है सुहाना आज तू मेरे लिए रुकी क्यों नहीं , पहले ही रूम पर आ गयी, 

हाँ मुझे कुछ काम था इसलिये 

आज तू कुछ परेशान सी लग रही है ,क्या हुआ सब ठीक है।

हाँ ठीक है थोड़ा बुख़ार लग रहा है ,

अगले दिन मैं क्लास नहीं जा पाई, बुखार तेज़ था, 

हाई रोहित ,टीना ने आवाज लगाई ,

क्या हुआ आज तुम अकेली,

हाँ वो सुहाना को बुखार था तो वो नहीं आई,

ओह तो डॉ को दिखा दिया,

नहीं अभी नहीं मैं क्लास से जाऊँगी तब उसे डॉ के पास ले जाऊँगी।

कौनसे हॉस्पिटल जाओगी।

यही पास में डॉ शर्मा के हॉस्पिटल में 

तूम कहो तो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा तुम फोन कर देना।

मैं समझ नहीं पाई ये रोहित मेरे लिए साथ चल रहा था या सुहाना के लिए, सुहाना के लिए क्यों जाएगा इनके बीच तो बातें होती ही नहीं पता नहीं मैं भी क्या क्या सोच रही हूँ।

सुहाना ने जैसे ही रोहित को देखा आधी तबियत तो वैसे ही ठीक हो गयी थी, पर रोहित ने एक बार भी सुहाना को पलट कर नहीं देखा, ना तबियत के बारे में पूछा, दिल इसी बात पे उदास था, आखिर क्यों मैं उसकी तरफ खिंची जा रही थी ,दिल धड़क रहा था, जाने क्यों बेताब हो रहा था उससे बात करने के लिए,

हम सब डॉ को दिखा कर वापस आ गए, एक दो दिन में तबियत ठीक भी हो गयी, फिर से सिलसिला शुरू हुआ कॉलेज जाने का, एक दूसरे से टकराने का पर अजनबी की तरह निकल जाने का, आँखों मे कई बातें थी जो करनी थी पर जुबान खामोश हो गयी थी, मैं खुद तक से ये इजहार नहीं कर पा रही थी कि मैं उसे पसंद करने लगीं हूँ, शायद जाना अनजान डर घरवालों का मुझे रोक रहा था, पापा को पता चला तो पहले मुझे मार देंगे और फिर खुद मर जायेंगे, मैं ये सब नहीं कर सकती थी, फिर आज क्यों मेरा दिल मेरा ही दुश्मन बन गया था।

देखते ही देखते कॉलेज का आखिरी साल ख़त्म होने लगा था, इन 3 सालो में हमने कभी एक दूसरे से बात नहीं की बस निगाहें मिलती और मिलकर न जाने कितने सवाल छोड़ जाती , एक दिन जब मैं कॉलेज से घर जा रही थी तो अचानक क्लास से निकलते वक्त किसी हाथ ने मुझे अंदर की तरफ खिंचा, मैं घबरा गई , देखा तो रोहित था ,आज अचानक उसे क्या हो गया था, जिसने कभी मुझसे बात तक नहीं की आज वो मेरे इतने करीब आने की हिम्मत कैसे कर गया, 

कह दो ना जो कहना चाहती हो, अब तो वक़्त भी नहीं हमारे पास ,क्या अब भी इन 3 सालो में मैं तुम्हारा विश्वास नहीं जीत पाया, क्या मेरी आँखें तुमसे कुछ नहीं कहती, क्या तुम्हें कुछ भी मेरे लिए महसूस नहीं होता, क्यों जानकर भी अनजान बनी रहती हो, तुम झूठ भी बोलोगी तब भी मुझे यकीन नहीं होगा कि तुम्हे मुझसे मोहोब्बत नहीं, इतना तो मुझे विश्वास हो गया, 

वो बोले जा रहा था और मैं आँखों में अश्क़ लिए खामोश थी, बहुत कुछ कहना था मुझे उससे, अपने दिल का हाल बताना था, मोहोब्बत हो गयी थी मुझे उससे मैं नहीं रोक पायी खुद को उसके बारे में सोचने से, पर मैं क्या कहूँ ये रिश्ता शायद भगवान ने नहीं बनाया हमारे लिए, मेरे घर वाले कभी बर्दाश्त नहीं करंगे, प्यार का इजहार करके दूर जाने से तो अच्छा है मैं तुम्हारे करीब ही ना आऊँ।

दिल अब भी बोले जा रहा था पर होंठ सिले हुए थे, 

कुछ बोलो ऐसे आँसू मत बहाओ।

मेरे घर वालो ने मेरा रिश्ता पक्का कर दिया है, अगले 6 महीने में मेरी शादी हो जाएगी, किससे रिश्ता हुआ है ये मुझे भी नहीं मालूम, घरवालों की मर्ज़ी के खिलाफ मैं नहीं जा सकती, मेरे पापा मर जायेंगे अगर उन्हें पता लगा कि मैं ये सब कर रही हूँ ,मैं उन्हें जीते जी नहीं मार सकती, और बता भी नहीं सकती तुम बहुत अच्छे लड़के हो, पर मेरे साथ जुड़ गए तो तुम्हारा भविष्यवाणी भी खराब हो जाएगा।

इसका मतलब तुम भी मुझे चाहती हो, बस इतना कहदो। 

मैं और कुछ नहीं कह सकती ,

अगर तुम ही मेरा साथ नहीं दोगी तो मैं दुनिया से कैसे लडूंगा।

मेरे घरवाले मेरी दुनिया का हिस्सा है मैं उनसे कैसे लड़ सकती हूँ।

देखते ही देखते हम अलग हो गए पर उसके वो शब्द की जब भी जिंदगी में तुम्हे मेरी जरूरत हो बस याद कर लेना सब कुछ छोड़ कर आ जाऊँगा,

पर मैं इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती थी, मेरी शादी हो गयी, एक ऐसे संसार मे जहाँ यातनाओ के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ, जिंदगी का 1 साल ऐसा लगने लगा जैसे मौत का इंतजार हो। जब दहेज को लेकर मुझे अत्यधिक पीड़ा दी गयी तो मैंने पापा से कहा अब सहन नहीं होता या तो बुला लो या कहदो की मेरी बेटी मर गयी, मैं आत्महत्या कर लूँगी, पर अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी।

पिता ने अपने घर बुला लिया, शरीर के घाव तो भर गए पर मन पे लगे घाव कहा भरने वाले थे, पापा तो जीते जी नर्क की यातना महसूस कर रहे थे, 

मुझे क्या पता था बेटा की तेरी शादी तेरे लिए मौत की डगर बन जाएगी, अच्छे सपने सजाये थे तेरे लिये पर किस्मत से लड़ नहीं पाए, 

धीरे धीरे वक़्त आगे बढ़ा एक स्कूल मे बच्चों को पढ़ाने लगी, 

अचानक पड़ी पुरानी डायरी में एक नम्बर पर आँखे रुक गयी ये रोहित का नम्बर था ,पर मैं इतनी स्वार्थी नहीं थी,की उसे अपनी यातनाओ में शरीक करू,

1 , 2 दिन पहले टीना से बात हुई उसे सब बताया मैंने, आज वो मुझे मिलने वाली थी 

मैं जैसे ही वहाँ पहुची तो देख कर हैरान रह गयी वो अपने साथ रोहित को लायी थी,उसे देख कर मैं अपने आप को रोक नहीं पायी और अश्को को धारा बह गई, उसने मुझे संभाला ,मैंने कहा था बस एक बार याद कर लेना इतना कुछ झेलती रही कुछ बताया भी नहीं, क्या मिला शादी करके, आखिर टूट गयी ना, मेरा प्यार तुम्हे मंजूर ना था,पर मैं आज भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ, क्या अब भी तुम मेरा हाथ नहीं थामोगी।

मैं जानती थी तुम दोनों के बीच बहुत कुछ था, जो शब्दो मे तब्दील नहीं हुआ, टीना ने मुस्कुरा कर कहा,

सुहाना ने अपने घरवालों को सब कुछ बताया रोहित के बारे में, घरवालों ने इस बार समाज की परवाह नहीं की अपनी बेटी की परवाह की और उसका हाथ हमेशा के लिए रोहित के हाथों में दे दिया, एक खुशी जीवन की कल्पना कर।


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