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मुज़फ्फर इक़बाल सिद्दीकी

Drama

4  

मुज़फ्फर इक़बाल सिद्दीकी

Drama

टूटती ज़ंजीरें (कहानी)

टूटती ज़ंजीरें (कहानी)

5 mins
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मेघा, यार तेरी नज़र में कोई अच्छा फोटो ग्राफर है? स्वेता ने अपनी चेयर मेघा की तरफ खींचते हुए कहा। 

क्यों, क्या अभी तक फोटोग्राफर का फाइनल नहीं हुआ है?

हाँ यार, वही तो सबसे इम्पोर्टेन्ट है। शादी के फोटोज़ बढ़िया आने चाहिए, बस। एक वही तो है जो इन सुनहरी पलों की याद दिलाएगी। सुनील की भी इच्छा है। बोल रहा था कि हम लोगों ने तो कर लिया। तुम लोग अपने ही शहर में ढूँढ लो। 

अच्छा तो फिर पापा ने नहीं देखा क्या?

देखा तो, लेकिन उसका एंगल सही नहीं लगा। उसने किसी दूसरी शादी के फोटोग्राफ्स दिखाए थे। मैं ने सुनील को भी सेंड किये थे। बोला कोई दूसरा देख लो। अच्छा, एक बात बता, बॉस से मिलकर आई क्या? आज सुना है बहुत मूड ख़राब है। तेरे कल वाले क्लाइंड का क्या हुआ। कुछ बिज़नेस डील हुआ क्या? मेरे से तो नहीं। मैं तो सोच रही हूँ शादी के पहले ही रिजाइन दे देती हूँ। एक तो प्रोडक्ट के मार्किट में इतने काम्पीटीटर हैं। दूसरे प्राइज़ आसमान पर ले जाकर रख दिए हैं। अब बोलते हैं। मार्केटिंग करो। बेचो इसे। कैसे बिकेगा यार। कोई मार्केटिंग मैनेजर के पास जादू थोड़े न है। कुछ प्रोडक्ट में भी दम होना चाहिए। क्वालिटी वाइज भी अच्छा होना चाहिए। 

बस यही तो रोना है। तू मिल आई क्या?

चलो मैं भी मिल लेतीं हूँ। अभी मंथली रिपोर्ट भी तैयार करनी है। 

सर, ?

हाँ मेघा बैठो, क्या हुआ कल वाले क्लाइंड का?

सॉरी सर, नहीं हुआ डील। वही प्राइज़ को लेकर कन्फ्यूज़न था।

मेघा इतने दिन हो गए तुम्हें, हमारे साथ काम करते हुए। तुम किसी से डील ही नहीं कर पातीं। कभी तुमने अपनी सैलरी जस्टिफाई की है? आज रात सोचना बैठकर। 

मेघा समझ गई थी उनका मतलब। ये एक तरह से चेतावनी थी। इसका सीधा सा मतलब है। अगर काम नहीं होता तो छोड़ दो। आज स्टेशन भी देर से पहुंची। लोकल निकल गई थी। इतनी उमस और ऊपर से भीड़। ये मुम्बई भी न बस, कभी तो ऐसा लगता है जीते जी नर्क में ज़िन्दा हैं, यहाँ। ये मायानगरी सभी को रास नहीं आती। वैसे स्वेता का डिसीज़न ठीक लगा मुझे भी। पढ़ लिख भी लिए। बड़े अरमान थे एमबीए करेंगे। फिर ये करेंगे। वो करेंगे। इतना आसान नहीं है सब कुछ। वह भी एक महिला होने के नाते। वह तो बढ़िया शादी करेगी। फोटो खिंचवाएगी दुल्हन वाली और हो गई ज़िन्दगी ख़त्म। बस इसीलिए तो बनी है। हम औरतों को बस इतना ही सोचना चाहिए। बहुत ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। भारी क़दमों से सोचती चली जा रही थी। लेकिन तेरा क्या होगा। मम्मीपापा ने बड़े अरमानों से पढ़ाया है। तो क्या उनसे मैं भी ये बोल दूँ कि स्वेता की तरह मैं भी शादी करना चाहती हूँ। लेकिन मेरे अलावा इनका कोई है भी तो नहीं। ऊपर से पिताजी की हार्ट की समस्या। कब क्या होगा पता नहीं। भारी क़दमों से दरवाज़ा धकाते हुए अंदर दाखिल हुई। 

आज फिर देर हो गई तुझे?

मम्मी, मैं तो टाइम पर ही निकलती हूँ। लेकिन चाहते , न चाहते हुए देर हो ही जाती है। आप रोज़ पूछती हो अच्छा नहीं लगता। 

क्या करें, बेटी चिंता हो जाती है। 

तो फिर घर बिठा लो लड़की को? एक तो कोई काम भी नहीं होता और ऊपर से घर आओ तो कब गए थे कब आए। यही सब चलता है। बके जा रही थी। 

अरे तू तो नाराज़ हो गई। आज ऑफिस में स्वेता से कुछ कहा सुनी हो गई क्या। क्या बात है किस् का गुस्सा हम पर निकाल रही है ? 

अरे कुछ नहीं मम्मा , सॉरी। अपनी बात को सम्हालते हुए। मम्मा से लिपट गई। 

लेकिन आज की रात एक निर्णय तो लेना था। वरना कल फिर बॉस वही उलटेपुल्टे सवाल करेगा। इसको सैलरी जस्टिफाई की बहुत चिंता होती है। मैं बताऊँगी इसे एक दिन। तुम क्या सैलरी देते हो और मैं क्या करती हूँ। 

जुट गई बिज़नेस एक्सपर्ट से सलाह लेने में। अपने कामों की स्ट्रेजिटी ही बदल दी। अब तो बिंद्रा प्राइवेट लिमिटेड अपने आर्डर की पूर्ति ही नहीं कर पा रही थी। मेघा को दो प्रमोशन भी मिल चुके थे। अब इसने स्विच करने का मन बना लिया था। दूसरी कम्पनियाँ जस्ट डबल पैकेज पर रखने को तैयार थीं। एक महीने पहले रेज़िग्नेशन नोटिस का मेल कर दिया था। 

आज फिर बॉस के सामने थी। 

मैं ने अभी तुम्हारा मेल देखा। कहाँ ज्वाइन करने का इरादा है? 

सर अभी फाइनल नहीं है। थोड़ा मैं रेस्ट करना चाहतीं हूँ। पापा का हार्ट का ऑपरेशन है उसके बाद सोचूंगी। 

देखो मेघा, अगर सैलरी वाला कोई मेटर है तो साफ़साफ़ बता दो। तुम अपना ऑफर दे दो। हम सोचेंगे। मैं बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की मीटिंग में तुम्हारी बात रखूँगा। एचआर से भी बात करूँगा। मैं तो तुम्हें वैसे भी बुलाने वाला था। कम्पनी ने तुम्हें इस साल के "बेस्ट अचीवर्स" एवार्ड के लिए चुना है। हार्दिक बधाई, मेरी और से शुभकामनाएं तुम इसी तरह तरक़्क़ी करो। 

लेकिन मेघा को तो जाना ही था। रोज़ तिलतिल कर गुज़रे थे यहाँ हर पल। बॉस के केबिन में बुलाने का मतलब रोज़ किसी न किसी तरह नीचा दिखाना होता था। हर बार अपने आप को मार कर जीती थी। लेकिन वह अब उन मजबूरियों की जंजीरों को तोड़ देना चाहती थी। जिन्हें उसने कभी अपनी किस्मत समझा था। बहुत जल्द मेघा शर्मा एन्ड सन्स प्राइवेट लिमिटेड की सीईओ बन गई। यही वह कंपनी थी जो बिंद्रा प्राइवेट लिमिटेड की प्रतियोगी थी।  

बिंद्रा का मार्किट डाउन हो गया। उस मैनेजर को जो हमेशा सैलेरी जस्टिफाई करने की धमकी देता था बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। 


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