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Sonam Sharma

Tragedy Inspirational

4  

Sonam Sharma

Tragedy Inspirational

टूरिस्ट बस

टूरिस्ट बस

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शाम के 06 : 00 बजे... दिल्ली महावीर ट्रेवल एजेंसी के पास...


एक लड़की तेजी से भागते हुए अचानक एक बस में चढ़ जाती है।

तभी कोई पीछे से आवाज लगाते हुए कहने लगा - "अरे... अरे...! यह क्या? आप इस बस में क्यों चढ़ रही है, कौन हैं आप....?"

वह लड़की हाँफते हुए कहने लगी- "जी.....मैं वहां..... वो..... वह मेरा नाम दामिनी है।"

वह लड़का बोला - "अरे! आपका चेहरा तो पूरा पसीना-पसीना हो रखा हैं। यह पानी का बोतल लीजिए और पानी पी लीजिए।"

दामिनी बोली - "जी मुझे यहां से कहीं दूर ले चलिए। वह गुंडे मेरे पीछे लगे हुए हैं।"

वह लड़का बोला - " गुंडे....पर क्यों? यह लोकल बस नहीं हैं, यह टूरिस्ट बस है। आप कौन हैं और कहां से आई हैं...?

और तो और कोई आपके पीछे क्यों पड़ेगा? मैं यहां का गाइड हूं। आज मुझे सारे यात्रियों को लेकर उत्तराखंड में, ऋषिकेश और हरिद्वार की सैर करवाने ले जाना है। आप इस टूरिस्ट बस में नहीं चढ़ सकती। मेरा नाम ऋषि शर्मा है। मैं एक टूरिस्ट गाइड हूं। "

दामिनी रोते हुए कहने लगी - " देखिए अगर आप मेरी मदद करेंगे तो मेरी जान बच जाएगी। मैंने सुनसान रास्ते में (जो कि यहां से 5 किलोमीटर की दूरी में है) किसी का खून होते हुए देखा है। इसलिए वह लोग मेरा पीछा कर रहे हैं। उन लोगों ने मेरा चेहरा देख लिया है, इसलिए मैं डर के मारे इसे लोकल बस समझ कर यहां चढ़ गई। आप मुझे अच्छे लग रहे हैं देख कर और ईमानदार भी। क्या आप मेरी मदद करेंगे? मैं उन गुंडों से भागते-भागते यहां तक आ गई। वह मेरा पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। प्लीज मैं आपके हाथ जोड़ती हूं। थोड़ी देर के लिए मुझे इस बस में ही रहने दीजिए। मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है। मैं अनाथ हूं और बचपन से मुझे मेरे अंकल ने पाल-पोस कर बड़ा किया और अब मैं सोशल वर्कर बन चुकी हूं। यह देखिए वीडियो, मैंने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया। रिकॉर्ड करते वक्त उन्होंने मुझे देख लिया। इसलिए मैं भागते- भागते यहां तक पहुंच गई। "

ऋषि ने उसकी सारी वीडियो देख ली और वह भी चौक गया और दामिनी से कहने लगा - "आप चिंता मत करिए, मैं आपके साथ हूं। हम दोनों मिलकर पुलिस स्टेशन जाएंगे। टेंशन मत करिए ।मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगा। पर अभी तो मैं ड्यूटी में हूं इसलिए ड्यूटी टाइम छोड़कर पुलिस स्टेशन नहीं जा सकता।"

इतना सुनने के बाद ही वह लड़की ऋषि के बांहों में बेहोश हो गई। ऋषि जल्दी से अपने बोतल का पानी अपने हाथों में लेकर दामिनी के चेहरे पर छिड़कने लगा और उसे उठाकर कहने लगा - "मैं आपका साथ दूंगा। आप इस बस में बैठिये, मैं अभी आ रहा हूं।"

ऋषि मन ही मन सोचने लगा - "अरे! अगर मैं अपने मालिक से कहूंगा इस लड़की के बारे में तो वह न जाने क्या सोचेंगे? पर इस लड़की का जान बचाना भी जरूरी है। क्या बहाना बनाऊँ, कुछ समझ नहीं आ रहा है। ऊपर से टूरिस्ट बस के सारी सीटें बुक हैं।"

तभी अचानक ट्रैवल एजेंसी के मैनेजर संजय, ऋषि को बुला कर उससे कहने लगे - "आज एक फैमिली ने अभी-अभी अपना ट्रिप कैंसिल करवा दिया। तीन सीटें हमारे बेकार हों गई। बस कुछ ही देर में तुम टूरिस्ट बस लेकर हरिद्वार और ऋषिकेश जाने के लिए रवाना हो जाना और अच्छे से सारे यात्रियों को उस जगहों की सैर करा देना। एक भी कंप्लेन नहीं आनी चाहिए।"

इतना सुनते ही ऋषि मन ही मन में कहने लगा - " अरे वाह..! अच्छा हुआ की उस फैमिली ने अपना ट्रिप कैंसिल करवा दिया। मैं इस जगह उस लड़की को बैठा दूंगा। पर पता नहीं उसके पास इतने पैसे होंगे कि नहीं?

मैं क्या बहाना बनाऊँ? कुछ समझ ही नहीं आ रहा है।"

तभी अचानक उसके मन में ख्याल आया और वह अपने मैनेजर को कहने लगा - " सर आप रुकिए, मैं अभी आ रहा हूं।"

ऋषि भागते हुए टूरिस्ट बस में गया और दामिनी से कहने लगा - "अगर मैं जैसा बोलूं क्या आप वैसा करेंगी, तो आप इस बस में चढ़ सकती है।"

दामिनी डरते हुए बोली - "क्या करूँ? मतलब मैं समझी नहीं?"

ऋषि बोला - " आप मुझ पर भरोसा रखिए। मैं कोई ऐसा वैसा इंसान नहीं हूं। आप बिल्कुल भी डरिए मत। आपको मेरे मैनेजर को कहना होगा कि आप मेरी दोस्त है और मेरे साथ उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहती है। टूरिस्ट बस के एक फैमिली ने अभी-अभी अपनी ट्रिप कैंसिल करवा दी इसलिए आपको टूरिस्ट बस में बैठने के लिए मिल जाएगा। मैं अपनी तरफ से आपके सारे पैसे भर दूंगा। अगर हम इस एरिया से निकल जाएंगे तो वह गुंडे आपको नहीं ढूंढ पाएंगे। अगर आपको मंजूर है तो बोलिए..? वैसे भी मैं एक टूरिस्ट गाइड हूं और मेरा फर्ज बनता है कि सब यात्रियों को अच्छे से हर जगह की सैर कराना और उन्हें उनके जगह वापस छोड़ आना। इसी बहाने आपका भी उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की सैर हो जाएगी। और तो और आपके पास तो वीडियो भी है तो फिर आप को डरने की जरूरत नहीं है। "

तभी अचानक दामिनी का नजर पीछे पड़ता है। वह देखती है कि कुछ दूर में वह गुंडे पीछे ही अपनी कार के पास खड़े थे ।

दामिनी बस के अंदर झुकते हुए ऋषि से फुसफुसाते हुए कहने लगी - "वह देखिए, वें वही गुंडे हैं। देखिए मुझे आपकी बातें मंजूर है। बस इन लोगों से मुझे बचा लीजिए। मुझे यह सबूत पुलिस वालों को देना बहुत ही जरूरी है। मैं एक सोशल वर्कर हूं।"

उसके बाद ऋषि अपने मालिक के पास जाकर कहने लगा - " संजय सर , अभी-अभी मेरी एक दोस्त आई है। वह भी उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहती है। आप उसका टिकट कटवा दीजिए।"

ट्रैवल एजेंसी के मालिक संजय ने कहा - " अरे! यह तो बहुत ही अच्छी बात है। क्या नाम है उसका? उसे यहां बुलाइए। "

ऋषि दामिनी के पास जाकर उससे कहने लगा- " आप चलिए मेरे मालिक आपको बुला रहे हैं।"

दामिनी उन गुंडों से छुप-छुप कर ट्रैवल एजेंसी के अंदर चली गई और महावीर ट्रैवल एजेंसी के मालिक से कहने लगी - " मैं उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहती हूं। ऋषि मेरा दोस्त है। मेरा नाम यहां लिख लीजिए।"

उसके बाद दामिनी का उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर जाने का टिकट बन जाता है।वह छुप-छुप कर टूरिस्ट बस में बैठ जाती है।

वह गुंडे अपने कार में थे और उन लोगों के हाथों में पिस्तौल था और वह टूरिस्ट बस के आगे आकर खड़े हो गए और चारों तरफ देख रहे थे कि वह लड़की कहां है। दामिनी उन गुंडों को बस के आगे देखकर कांपने लगी। दामिनी उन लोगों की बातें सुन रही थी। वह गुंडे कह रहे थे कि लगता है हमें आगे जाकर देखना होगा कि वह लड़की कहां है। उस लड़की को मारना तो जरूरी है। सारे इलाके में अपने आदमी को फैला दो। उसके बाद वह कार लेकर आगे चले जाते हैं।

दामिनी ऋषि से कहने लगी - "अच्छा हुआ उन गुंडों की नजर मुझ पर नहीं पड़ी।"

उसके बाद टूरिस्ट बस का ड्राइवर आ जाता है और रात के 8:00 बजे उत्तराखंड जाने के लिए रवाना हो जाता हैं। धीरे-धीरे करके ऋषि हर जगह से लोगों को टूरिस्ट बस में बैठाने लगा। धीरे-धीरे करके टूरिस्ट बस लोगों से भर गया।

ऋषि दामिनी को इशारों से कहने लगा - " तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूं।"

# अब यहां से दामिनी का उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की यात्रा शुरू#


दामिनी मन ही मन सोचने लगी कि ऋषि गाइड कितने अच्छे हैं। बस यह यात्रा खत्म होने के बाद में पुलिस स्टेशन चली जाऊंगी। हे भगवान! उन गुंडों से मेरा सामना ना हो।

कुछ देर के बाद टूरिस्ट बस लाल किले के पास रुकी। वहां से दो लंबे और हट्टे -कट्टे कद वाले लोग भी बस में चढ़ने लगे। थोड़ी देर के लिए दामिनी उनको देखकर डर गई और मन ही मन सोचने लगी कि कहीं यह उन्हीं गुंडे के आदमी तो नहीं है..? "

ऋषि ने कहा - " इस बस के यात्रियों से डरियेगा मत। यह सब उत्तराखंड में ऋषिकेश और हरिद्वार घूमने जा रहे हैं। अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपको आपका नाम लेकर पुकार सकता हूं?"

दामिनी बोली - "हां, क्यों नहीं। आप मेरी मदद कर रहे हैं, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।"

उसके बाद ऋषि दामिनी से अपना हाथ मिलाते हुए कहने लगा- " ठीक है, अब हम दोस्त बन गए।"

इतना सुनने पर दामिनी के चेहरे में हल्की सी मुस्कुराहट आने लगी। उसको मुस्कुराता हुआ देख ऋषि को भी अच्छा लगा और उससे कहने लगा- "चलो कम से कम आप मुस्कुराई तो। "

दामिनी कहने लगी - " वह गुंडे मुझे अब भी ढूंढ रहे होंगे। "

ऋषि ने सांत्वना देते हुए कहा- "चिंता मत करिए आप हमारे टूरिस्ट बस में बिलकुल सेफ है। यहाँ पर बस आधे घंटे तक रुकेगी। यहां पास ही में ढाबा है, मैं आपके लिए खाना पैक करवा कर ला देता हूं। आप बस से बाहर मत निकालिएगा। कहीं वह गुंडे आपको देख ना ले।"

दामिनी कहने लगी- " जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। "

उसके बाद ऋषि सभी यात्रियों के नाम लिस्ट में लिखने लगा।

उसके बाद ऋषि दामिनी के लिए खाना लाने के लिए चला जाता है। ऋषि ने देखा कि ढाबा के पास में कई सारे कपड़े की दुकानें थी। ऋषि बड़ा दयालु लड़का था। वह मन ही मन सोचने लगा - " उस बेचारी के तो कपड़े भी गंदे हो गए हैं। मैं उसके लिए एक सेट कपड़ा खरीद लेता हूँ।"

उसके बाद ऋषि ने दामिनी के हाथों में खाना पकड़ा दिया और कपड़े भी।

दामिनी कहने लगी - " अरे! यह क्या..? खानों के साथ तो यह कुछ कपड़े भी हैं। "

ऋषि कहने लगा - "मैंने देखा कि आपके कपड़े गंदे हो गए हैं। अगर लोग आप को देखेंगे तो क्या सोचेंगे इसलिए मैंने आपके लिए कपड़े खरीद लिए। अगले स्टॉपज में आप चाहो तो कपड़े चेंज कर सकती हो। हम कल सुबह तक ऋषिकेश पहुंच जाएंगे। कुछ लोग मंदिरों के भी दर्शन करेंगे तो मैंने सोचा कि आपके लिए भी कपड़े ले लूँ।"

दामिनी कहने लगी - "आप बहुत अच्छे इंसान हैं। आपका जैसा इंसान नहीं देखा। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं आपके पैसे लौटा दूंगी। शायद मेरे भाग में लिखा हुआ है वहां की पर्यटन स्थलों की सैर करना।"

ऋषि दामिनी की बातों को सुनकर मुस्कुराने लगा।

उस टूरिस्ट बस में अलग-अलग राज्यों से भी लोग आकर बैठे थे। अगली सुबह 5:00 बजे टूरिस्ट बस ऋषिकेश पहुंच गई। उसके बाद टूरिस्ट बस ऋषिकेश रुकी। वहां से सारे यात्री निकल कर घूमना शुरू कर दिए।ऋषि सारे यात्रियों को लेकर घूमने लगा।

ऋषि सारे यात्रियों को कहने लगा - "आप लोग फ्रेश हो जाइए। उसके बाद आप लोगों को जहां - जहां घूमना है, मैं आपको वहां लेकर जाऊंगा।"

कुछ देर के बाद दामिनी फ्रेश होने के लिए वॉशरूम चली गई और उसने अपने कपड़े बदल लिए।

ऋषि कहने लगा - "दामिनी आप मेरे साथ ही रहना।अब आपको इस जगह कोई खतरा नहीं है। आप सुरक्षित हैं।जैसे ही यह ट्रिप खत्म होगा, मैं आपके साथ पुलिस स्टेशन चलूंगा।"

उसके बाद ऋषि सब पर्यटको को उस जगह की सैर कराने लगा। बस के कुछ यात्री दामिनी से बात करने लगे। दामिनी भी उनके साथ बातें करते हुए घूमने लगी।

टूरिस्ट बस के सभी यात्रियों से ऋषि चलते हुए कहने लगा - " उत्तराखंड बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। उत्तराखंड के लोकप्रिय पर्यटन स्थल ऋषिकेश को भारत के एडवेंचर स्पोर्ट्स के केंद्र के रूप में भी विकसित किया गया है। आपको यह बात पता है कि नहीं? "

दामिनी कहने लगी - "हां, मुझे पता है। मैं इन सब के बारे में पढ़ा करती हूं।"

ऋषि गाइड दामिनी से कहने लगा - "वह देखो, वहां का नजारा कितना सुंदर लग रहा है!"

दामिनी कहने लगी - "मुझे उगता हुआ सूरज का नजारा देखना बहुत पसंद है।"


उसके बाद ऋषि सब यात्रियों से कहने लगा - " यह जगह प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर विदेशों से भी बहुत सारे लोग घूमने आते हैं। आइए, अब मैं आपको लक्ष्मण झूला की सैर करवाता हूं। "

कुछ क्षणों के लिए दामिनी को वहां के चारों तरफ का नजारा देख कर बहुत अच्छा लगने लगा और वह बीते दिन की बातें भूल गई। उसे धीरे-धीरे घूम कर अच्छा लगने लगा। वह खुशी से सारे जगहों की यात्रा करने लगी।

दामिनी ऋषि से कहने लगी - "क्या मैं कुछ देर के लिए यहां पर खड़ी हो सकती हूं?"

ऋषि कहने लगा - " हां...हां.., क्यों नहीं..? "

कुछ देर तक दामिनी नदी में जाकर खड़े होकर चारों तरफ का नजारा देखने लगी। मानो वह जगह दामिनी को अपनी तरफ आकर्षित कर रही हो।


दामिनी ऋषि गाइड से कहने लगी - "मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी यात्रा आज यहां के पर्यटन स्थलों की होगी। कल का दिन बड़ा बुरा था मेरे लिए और आज यहां,बड़ा अजीब लग रहा है। ऐसा पहली बार मेरे साथ हुआ है। मैं सोचती थी कि यहां पर आकर यहां के पर्यटन स्थलों की सैर करूंगी पर इस तरह से आना होगा, यह मैंने कभी नहीं सोचा था।"

ऋषि यात्रियों से कहने लगा- " चलिए अब मैं आपको लक्ष्मण झूला की सैर करवाता हूं। "

जब भी दामिनी रह-रहकर उन दो लोगों को देख रही थी तो उसे अजीब महसूस हो रहा था।

दामिनी चलते हुए मन ही मन सोच रही थी कि कहां से कहां आ गई मैं। पता नहीं जब दोबारा दिल्ली जाऊंगी तो मेरा क्या होगा? बस जैसे भी करके में पुलिस स्टेशन पहुंच जाऊं। दामिनी को लक्ष्मण झूला घूम कर बहुत ही अच्छा लग रहा था।


कुछ देर के बाद ऋषि गाइड सभी पर्यटन स्थलों पर आए हुए यात्रियों से कहने लगा- " चलो अगर आप लोगों को भूख लगी है तो कुछ खा लो। उसके बाद हम राम झूला चलेंगे। उसके बाद हरिद्वार के लिए निकल जाएंगे। वहाँ से घूमने के बाद हम दिल्ली जाने के लिए रवाना हो जाएंगे।"

उसके बाद ऋषि ने दामिनी से कहा - " चलो तुम भी कुछ खा लो, तुम्हें भी तो भूख लगी होगी? "

दामिनी ने कहा - "ठीक है ।पर मेरे पास पर्स में कुछ पैसे हैं। मैं खाने के पैसे दे दूंगी। आप चिंता मत करिए।"

ऋषि ने कहा - "ठीक है।"

उस टूरिस्ट बस के कुछ यात्रियों से दामिनी की दोस्ती हो गई। न जाने वहां उन दो लोगों को देखकर दामिनी अजीब महसूस कर रही थी।

ऋषि गाइड सबसे कहने लगे -" अब हमें आगे बोटिंग के द्वारा नदी को पार करना होगा। उसके बाद हम हरिद्वार जाएंगे।"

दामिनी जैसे ही बोट पर पैर रखने जा रही थी तो वह फिसलने लगी तभी ऋषि ने उसके हाथ पकड़ते हुए उसे गिरने से बचा लिया। उसके बाद वह बोट में बैठ गई। बाकी सब भी बोट में बैठ चुके थे।

दामिनी वहां के तस्वीरें लेने लगी। मन ही मन सोच रही थी चलो इसी बहाने यहां का नजारा अपने कैमरे में कैद कर लूं।

घूमते हुए भी दामिनी की आंखों में आंसू आ रहे थे। ऋषि भी देख रहा था की दामिनी आंखों में आंसू।

नदी पार होने के बाद वह ल

कुछ देर के बाद वह लोग हरिद्वार पहुंचते हैं। उसके बाद ऋषि वहां के पर्यटन स्थलों पर सबको सैर करवाता हैं।

ऋषि सभी यात्रियों को उस जगह के बारे में बताने लगे- "हरिद्वार का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत हैं। यहाँ का शांत वातावरण देखकर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जातें हैं। यह जगह सब लोगों को बहुत ही आकर्षित करती है।"

सारे पर् बहुत ही अच्छा लगा। दामिनी भी खुश थी इस जगह को देखकर पर कहीं ना कहीं अब भी उसके मन में डर था।

अब भी दामिनी मन ही मन सोच रही थी की अब तक तो मैं बची हुई हूं, पर जैसे ही दिल्ली जाऊंगी तो पता नहीं मेरा क्या होगा? वह तो भला हो ऋषि गाइड का जो मुझे यहां लेकर आ गया। पता नहीं मैं दिल्ली पुलिस स्टेशन पहुंच पाऊंगी भी या नहीं?कहीं वह गुंडे मुझे मार ना दे। "

ऋषि गाइड सबको कहने लगा - " खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारे के साथ भक्ति का मेल अद्भुत है। शाम को यहां का नजारा देखने में बहुत ही अच्छा लगता है। आप लोग आगे चलिए मैं आप लोगों को हर की पौड़ी दिखाऊंगा। यहाँ बहुत सारे सुंदर - सुंदर घाट भी है। इस घाट के पहले गंगा जी पहाड़ियों से नीचे आती हुई ही दिखाई देती है, ये पहला मैदानी स्थान है, जहाँ गंगा जी आती है। "


ऋषि रह-रहकर दामिनी को देख रहा था कि कहीं वह उदास तो नहीं है। वह अपने मन ही मन यह सोच रहा था कि पता नहीं दामिनी जब दिल्ली जाएगी तो कहीं वह गुंडे उसे पकड़ ना ले।

सभी पर्यटकों को हर की पौड़ी के दर्शन कराने के बाद वह लोग उन लोगों को लेकर मनसा देवी मंदिर चला जाता हैं।

ऋषि गाइड उनको कहने लगा - "यह मंदिर बिलवा शिवालिक पहाड़ियों में आता है। आओ, दामिनी हम रोपवे के द्वारा मंदिर चलते हैं। वहाँ चल कर तुम मन से प्रार्थना करना। देखना तुम्हारी सारी मनोकामना पूरी हो जाएगी।"

उसके बाद वह लोग रोपवे के द्वारा ऊपर जाने लगे।


दामिनी बोली - " हां, मैंने भी इस मंदिर के बारे में सुना है। बहुत ही प्रचलित है। चलो इसी बहाने माता के दर्शन हो जाएंगे। मैं पहली बार इधर आई हूं। बहुत अच्छा लग रहा है मुझे।"

वहां के मंदिर पहुंचने के बाद दामीनी प्रार्थना करने लग जाती है कि उसे उन गुंडों से छुटकारा मिल जाए। उसकी सारी समस्याएं सुलझ जाए।

दामिनी मन ही मन सोच रही थी कि यहां का नजारा कितना सुंदर और अद्भुत है। काश! मेरा घर भी यहीं होता। पता नहीं कैसे-कैसे मैं यहां तक आ गई। सच मैं यह नजारा मन को छू लेने वाला है।

उसके बाद दामिनी ऋषि के साथ रोपवे के द्वारा नीचे आ जाती है। शाम होने वाला था।


दामिनी ऋषि से कहने लगी - "पता नहीं मैं यहां कैसे - कैसे आ गई।"

ऋषि कहने लगा - "माता का बुलावा आएगा तो कैसे भी करके आना ही पड़ेगा।"

दामिनी कहने लगी - "हां, तुमने यह बिल्कुल सही कहा। शायद मेरा आज यहां आना लिखा हुआ था। पता हैं, हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है।"

ऋषि कहने लगा - " इन स्थलों के अतिरिक्त भी हरिद्वार में अनेक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं। पर समय कम होने की वजह से मैं और जगह पर नहीं ले जा सकता।"

उसके बाद ऋषि गाइड उस बस में आए सभी पर्यटकों से कहने लगा - " अब हमारा घूमने का समय खत्म हुआ। अब हमें अपने टूरिस्ट बस में चलना चाहिए क्योंकि समय हो चुका है। हमें समय से दिल्ली पहुंचना होगा।"

इतना सुनते ही दामिनी डर के मारे ऋषि का हाथ पकड़ लेती है। ऋषि समझ जाता है कि दामिनी अंदर ही अंदर डर रही है।

ऋषि दुबारा दामिनी से कहने लगा - " तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे साथ पुलिस स्टेशन जरूर जाऊंगा। मैं तुमसे वादा करता हूं। "

इतना सुनकर दामिनी खुश हो गई।

सारे लोग (जो उस टूरिस्ट बस में आए थे) वह भी टूरिस्ट बस में जाकर बैठ जाते हैं। दामिनी भी अपनी सीट में जाकर बैठ जाती है। तभी अचानक ऋषि दूसरी जगह मुड़कर देखता है कि वह दो लोग अपनी सीट पर नहीं थे। ऋषि टूरिस्ट बस से उतर कर उन लोगों को ढूंढने लगा। जब ऋषि पीछे मुड़ा तो वह दोनों व्यक्ति मिल गए।

ऋषि उन लोगों से कहने लगा - "सर, आप दोनों जल्दी आइए। हमारा समय पार हो रहा है।"

उन दोनों में से एक व्यक्ति ने कहा - "क्या करें भाई साहब, इतने सालों के बाद तो हम यहां आए हैं इसलिए यहां से जाने का मन ही नहीं कर रहा है। इतनी सुंदर और आकर्षित है यह जगह कि पूछिए मत। मन करता है कि यही बस जाऊं। और यहां की प्राकृतिक सुंदरता को हमेशा निहारते रहूँ।"

ऋषि उनसे कहने लगा - "जी, यह बात तो है। अच्छा आप दोनों अब जल्दी से अंदर आ जाइए।"

इतना कहकर ऋषि टूरिस्ट बस के अंदर चला जाता है। वह दोनों व्यक्ति भागते हुए बस में चढ़ते हैं। अचानक उनके पॉकेट से उनका पर्स दामिनी के पैरो के पास गिर गया।

जैसे ही दामिनी की नजर उनके पर्स में पड़ी तो वह चौक कर खड़ी हो गई और वह टूरिस्ट बस में चिल्ला कर कहने लगी - "अरे! आप तो दिल्ली पुलिस वाले हैं।"

वह दोनों अनजान व्यक्ति एक दूसरे को आश्चर्य से देखने लगे।

उसमें से एक व्यक्ति ने कहा - " हां, हम दोनों तो दिल्ली पुलिस से हैं। क्यों... क्या बात है? आप इस तरह से मेरे पर्स को देखकर क्यों चौक गई? "

दामिनी उन दोनों पुलिस वालों के सामने रोने लग जाती है। ऋषि दामिनी को चुप कराने लगा। सारे टूरिस्ट बस के यात्री दामिनी को आश्चर्य से देखने लगे। ड्राइवर भी पीछे मुड़ कर देखने लगा कि अचानक यह लड़की रोने क्यों लग गई?

दोनों पुलिस में से एक पुलिस वाले ने कहा - "देखिए मेरा नाम राज राठौर है और इनका नाम विनय रावत। हम दोनों दिल्ली पुलिस से हैं। यह देखिए मेरा आईडी। आप रो क्यों रही है..?क्या आप हमें अपनी समस्या बताएंगी?"

दामिनी रोते हुए दोनों पुलिस से कहने लगी - "मैं कल , जब अपनी ड्यूटी करके घर लौट रही थी तो मैंने सुनसान रास्ते में देखा कि कुछ गुंडे एक व्यक्ति के पेट में चाकू मारकर उसके पैसे ले रहे थे और ड्रग्स की बातें कर रहे थे। जब मुझे सुनसान रास्ते में उस व्यक्ति की चीज सुनाई दी तो मैं पास के गोदाम के पीछे खड़े होकर उनकी वीडियो रिकॉर्ड करने लगी। तभी उन गुंडों ने मुझे देख लिया। मैं वहां से भागते-भागते, जैसे-तैसे अपनी जान बचाते हुए ऋषि जी के टूरिस्ट बस में आकर छुप गई।मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं?"

इतना कहते ही दामिनी रोने लगी। दामिनी को ऋषि चुप कराने लगा।

दामिनी की बात को सुनकर दोनों पुलिस चौक गए।

ऋषि पुलिस वालों से कहने लगा - " दामिनी ने मुझे यह बात उसी वक्त बता दिया था। दामिनी के पास मोबाइल में उस मर्डर का रिकॉर्डिंग है। रुकिए सर, मैं अभी आपको वह रिकॉर्डिंग दिखाता हूं।"

टूरिस्ट बस के सभी यात्री यह बात सुनकर चौक गए।

दामिनी उन्हें अपने मोबाइल में सारे रिकॉर्डिंग्स दिखा देती है। वीडियो देखकर पुलिस वाले भी चौक गए।

राज राठोर कहने लगे - "ओ माय गॉड! वीडियो के द्वारा तो हम उन गुंडों को पकड़ सकते हैं। यह तो बहुत बड़ा सबूत है। लगता हैं आप सुरक्षित नहीं है। अगर आप दिल्ली जाएंगी तो दोबारा वह आप पर हमला कर सकते हैं।"

दामिनी बोली - "वह तो अच्छा हुआ कि मेरी नजर आपके पर्स पर पड़ी,वरना न जाने दिल्ली जाकर क्या मेरा क्या होता? शायद वों गुंडे मुझे पुलिस तक पहुंचने नहीं देते। यह तो अच्छा हुआ की ऋषि जी का जो मुझे यहां लेकर आ गए। अब भी वह गुंडे मुझे ढूंढ ही रहे होंगे। प्लीज आप मेरी मदद करिए।आप जैसे भी करके उन गुंडों को पकड़ लीजिए।नहीं तो वह मुझे मार देंगे।"

टूरिस्ट बस का ड्राइवर भी यह सुनकर दंग रह गया।

पुलिस वालों ने ड्राइवर से कहा - " तुम गाड़ी चलाओ। समय निकलते जा रहा है।"

राज राठौर दामिनी से कहने लगे - " तुम्हें कुछ नहीं होगा। ऋषि, आपने बहुत अच्छा किया कि इस लड़की को अपने साथ यहां लेकर आ गए नहीं तो अभी तक वह गुंडे इसे मार चुके होते। वेल डन। और मिस दामिनी आपने खून होते हुए जो वीडियो किया हैं, वह मेरे मोबाइल में सेंड कर दीजिए। मैं अभी आपको अपना नंबर दे देता हूं। "

ड्राइवर बस चलाने लगा।


दामिनी को मन में अब राहत मिली।

विनय रावत चलते हुए बस में कहने लगे - "हमें कुछ दिनों के लिए छुट्टी मिली थी इसलिए हम दोनों यहां पर्यटन स्थल की सैर करने के लिए आ गए। पर आपसे इस तरह से मुलाकात होगा नहीं सोचा था। देखिए आप डरिए मत। जब तक हम उन गुंडों को नहीं पकड़ लेते आप हमारी निगरानी में ही रहेंगे।"

पुलिस वालों की बातें सुनकर ऋषि खुश हो गया।

ऋषि खुश होते हुए दामिनी से कहने लगा -"देखना दामिनी, अब तुम्हारा सारा समस्या का हल हो जाएगा। "

दामिनी मन ही मन सोचने लगी - "मैंने तो मनसा माता के सामने यहीं प्रार्थना की थी और मेरी प्रार्थना भी स्वीकार हो गई। यहां की पर्यटन स्थलों की सैर करना मेरे लिए अच्छा रहा। यह यात्रा मुझे जिंदगी भर याद रहेगा।"

दोनों दिल्ली पुलिस फटाफट आई.पी.एस ऑफिसर के पास फोन लगाकर सारी बातें बता देते हैं।

राज राठौड़ कहने लगे - " देखिए मिस दामिनी, आप चिंता मत करिए। आप जहां रहती है, मैं वहां पूरी टाइट सिक्योरिटी लगवा दूंगा। जब तक वह गुंडे न मिल जाए। "

अगले दिन टूरिस्ट बस दिल्ली पहुंच जाती है।

ट्रैवल एजेंसी के मालिक संजय ने कहा - " ऋषि, यह मैं क्या सुन रहा हूं ड्राइवर से? "

ऋषि अपने मालिक संजय से कहने लगा - "सर उस लड़की की जान बचाना बहुत जरूरी था।"

ट्रैवल एजेंसी के मालिक संजय कहने लगे - "तुम्हारा विचार बिल्कुल सही था। नहीं तो ना जाने उस लड़की के साथ क्या हादसा हो जाता। आई एम प्राउड ऑफ यू।"

ऋषि कहने लगा - "अच्छा सर,अब मैं चलता हूं।

ऑफिस से निकलने के बाद,ऋषि दामिनी से कहने लगा - " चलिए मैं आपको आपके घर तक पहुंचा देता हूं। पुलिस भी हमारे साथ ही रहेगी।"

राज राठौड़ ने कहा - " ऋषि जी बिल्कुल सही कह रहे हैं। देखिए मिस दामिनी, आप बिल्कुल भी चिंता न करें ।जैसे ही हम उन गुंडों को पकड़ेंगे तो आपको खबर जरुर बता देंगे। "

दामिनी पुलिस वालो से कहने लगी - "थैंक यू सो मच सर। मुझे आप पर पूरा भरोसा है कि आप उन गुंडों को बहुत जल्द पकड़ लेंगे।"

उसके बाद दामिनी ऋषि के साथ अपने घर चली जाती हैं। ऋषि हर दिन दामिनी के घर जाकर उससे मिला करता था।

1 हफ्ते के बाद, विनय रावत ने दामिनी को फोन किया।

विनय रावत फोन पर दामिनी से कहने लगे - "मिस दामिनी, कांग्रेचुलेशन। हमने उन गुंडों का पता लगा लिया है। उनको हमारे पुलिस फोर्स ने पकड़ लिया। अब आपको किसी भी चीज का खतरा नहीं है। उनका अड्डा कहां-कहां तक फैला हुआ था हमने यह भी पता लगा लिया। अब आप बेहिचक कहीं भी आना - जाना कर सकती हैं। आपकी वजह से हमने ड्रग डीलर वालों को पकड़ लिया। वे गुंडे ड्रग्स बेचा करते थे। यह तो बहुत बड़ा केस हमारे हाथ लगा है। थैंक यू सो मच दामिनी जी।"

दामिनी खुशी से बोली - " वेलकम सर।"

दामिनी यह बात ऋषि को फोन करके बता देती है। ऋषि भी इस खबर से खुश था।

अगले दिन ऋषि दामिनी से मिलने उसके घर गया।

ऋषि ने दरवाजे की घंटी बजाई, जब दामिनी दरवाजा खोली तो ऋषि को देखकर खुश हो गई। दामिनी ने उसे अंदर आने के लिए कहा। कुछ देर के बाद दामिनी ऋषि को चाय-नाश्ता कराने लगी।

ऋषि बोला - "अच्छा, तो तुम्हारे अंकल कहां है, दिख नहीं रहे हैं? "

दामिनी बोली - "वह तो अब इस दुनिया में नहीं रहे। मैं अकेली रह गई। वैसे, अब जब हम दोस्त बन ही गए हैं तो मैं सोच रही थी कि कुछ दिनों के बाद मैं ताजमहल घूमने जाऊं। क्या आप मुझे वहां का नजारा दिखाना पसंद करेंगे? "

ऋषि खुशी से बोला - "हां , क्यों नहीं। मेरा तो काम ही है लोगों को हर पर्यटन स्थलों की सैर कराना।

उसके बाद दामिनी ऋषि को उनके पैसे दे देती है जो ऋषि ने दामिनी के ऊपर खर्च किए थे।

ऋषि कहने लगा - " ठीक है, आप तैयार रहना। मैं आपको जरूर ताजमहल घुमाऊंगा ।अच्छा तो मैं अब चलता हूं। "

दामिनी खुशी से कहने लगी - " हां, बिल्कुल। "

कुछ दिनों के बाद दामिनी ऋषि गाइड के साथ ताजमहल जाने के लिए निकल जाती है। ताजमहल पहुंचने के बाद वह दोनों घूमने लगते हैं।



***** समाप्त ******



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