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Sonam Sharma

Children Stories Inspirational

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Sonam Sharma

Children Stories Inspirational

दोस्ती पेड़-पौधों से

दोस्ती पेड़-पौधों से

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एक समय की बात है। किशनपुर गाँव में भोला नाम का आठ वर्षीय लड़का अपने परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहता था।भोला अपने माता - पिता का इकलौता था।एक दिन, उसके माता-पिता पास के मंदिर में हो रहे कीर्तन में गए । वहां पर लोगों की भीड़ ज्यादा थी। उस दिन भोला को कीर्तन में जाने मन नहीं हुआ इसलिए उसने अपने माता पिता के साथ कीर्तन में जाने से इंकार कर दिया और घर पर ही ठहर गया ।घर पर अकेला होने की वजह से उसे बोरियत महसूस होने लगी जिस वजह से वह घर से बाहर सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए आस-पास आँगन में टहलने लगा।तभी अचानक उसके मन में ख्याल आया और वह मन ही मन बोला " जब तक मेरे माता-पिता घर नहीं आ जाते क्यों न मैं मटकी में जल भर लूँ। माँ देखेगी तो ख़ुश हो जाएंगी।"




उसके बाद, वह अपने घर से मटकी लेते हुए, टहलते - टहलते एक जंगल की ओर चल पड़ा। जंगल में पहुंचने के बाद वह चारों तरफ के प्राकृतिक नजारों को देख आनंद उठाने लगा। साथ ही साथ उसके कानों में चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देने लगी।परन्तु गर्मी की मौसम होने की वजह से भोला पसीने से भीग गया। उसने आसमान की ओर चमचमाती धूप को देखा और मन ही मन बोला " आज तो बहुत ही गर्मी है। ऊपर से प्यास भी लग गई। " उस वक्त वहां कोई भी व्यक्ति नजर नहीं आ रहा था। कुछ दूर आगे बढ़ने पर जंगल के पास ही उसे बहती हुई एक नदी दिखाई पड़ी।नदी के पानी को देख उसने मन ही मन कहा " अरे वाह..! यहां का जल दिखने में तो काफी स्वच्छ लग रहा है।"




उसने नदी का जल अपने हाथों में लिया और अपने चेहरे को धोने लगा। उसके बाद उसने फ़िर से हाथो में जल लिया और पानी पीने लगा। पानी पीते ही उसे मन मे एक संतुष्टि का अनुभव हुआ।




फ़िर भोला ने नदी के पानी में उस मटकी को धोया और फ़िर उसमें गाने गुनगुनाते हुए पानी भर लिया। अपने मन में गाने गुनगुनाते हुए वह जैसे ही जंगल की ओर निकला, तभी अचानक मटके का जल छलक कर एक केले के पेड़ पर जैसे ही पड़ा, तभी एक आवाज आई " और पानी पिलाओ...। "


आवाज को सुनते ही भोला ने इधर उधर देखा और बोला " अरे....! कौन है यहां पर ? "


तभी अचानक उसके सामने खड़ा एक केले के पेड़ ने उससे कहा " मैं बोल रहा हूं। " और फिर केले का पेड़ जोर-जोर से हिलने लगा।केले के पेड़ की आवाज सुन भोला आंखें बड़ी करते हुए केले के पेड़ को देखने लगा। केले के पेड़ ने फिर से भोला से कहा " बड़ी प्यास लगी है, थोड़ा पानी पिला दो। "




भोला को कुछ समझ नहीं आया और उसने मटके के पानी को फिर से केले के पेड़ में डाला। पेड़ में जल डालते ही केले के पेड़ का रंग ताज़ा हरा हो गया। यह देख भोला मुस्कुराया और बोला " तो क्या सच में तुमने मुझसे बात की है?"केले के पेड़ ने हिलते हुए भोला से कहा " बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे जल पिलाने के लिए। देखो मेरा हरा रंग बिल्कुल ताजा हो गया। "आश्चर्य से भोला ने केले की पेड़ की ओर देखा और फिर से सारे मटके का जल उस पेड़ में डाल दिया। तभी अचानक उसमें कुछ केले निकल आए।




केले के पेड़ ने मुस्कुराते हुए भोला से कहा " जल मिलते ही मुझमें ताजगी आ गया और मेरी प्यास बुझ गई और देखो मेरे पेड़ में केले भी निकल आए। मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ।तुम मेरे पेड़ से कुछ केले तोड़ कर ले लो। "




भोला ने मुस्कुराते हुए कहा " यह तो चमत्कार हो गया। अगर ऐसा ही है तो मैं तुम्हें हमेशा आकर पानी पिलाऊंगा।" और फ़िर भोला ने उस पेड़ से कुछ केले तोड़ कर खाया और फिर वहां से नदी की तरफ जा कर वहां से दोबारा अपने मटकी में पानी भरा और जंगल से आगे की ओर चल दिया।




 भोला केले के पेड़ के बारे में सोचते हुए थोड़ा दूर आगे बढ़ा ही था कि अचानक उसे बड़े पत्थर से ठोकर लगा और और फिर से उसके मटके का पानी एक फूल के पौधे पर जा गिरा। तभी फूल के पौधे में से एक आवाज आई " आह कितना ठंडा हैं। जरा फिर से पानी पिला दो।"आवाज सुनते ही भोला ने फूल के पौधे की तरफ देखा और उसमें फिर से मटके का जल डाला। फूल के पौधे अचानक से भोला के सामने हरे भरे हो गए।यह देख भोला ने फिर से फूल के पौधे में जैसे ही जल डाला उस पौधे में से एक कली निकल आया।फूल के पौधे ने मुस्कुराते हुए भोला से कहा " इसका मतलब कुछ समझे भोला? "




भोला बोला " हां मुझे इतना तो पता चल चुका है कि तुम पेड़ पौधों को पानी देने से इसमें फल और फूल आते है। यह तो चमत्कार हो गया। "




फूल के पौधे ने भोला से कहा " कई दिनों से यहां बारिश नहीं हुई इसलिए हम सब सुख गए थे। पर जैसे ही तुमने हमें जल दिया हम फिर से हरे भरे हो गए।"सब कुछ समझने के बाद, भोला ने फिर से उस फूल के पौधे को पानी दिया, तब जितनी भी कलियाँ थीं वह खिलते हुए फूल बन गए।भोला सब कुछ समझ चुका था कि जल ही पेड़ पौधों का भोजन/जीवन है।फूल के पौधे ने भोला से कहा " तुम चाहो तो मुझ में से एक फूल तोड़ सकते हो। "




भोला ने मुस्कुराते हुए फूल तोड़ा और मन ही बोला " कड़ी धूप में जैसे ही मैंने नदी का जल पिया तो मेरी प्यास बुझी। वैसा भी अनुभव इन पेड़ - पौधों को भी होता होगा। "




तभी सारे जंगल के पेड़-पौधों ने भोला से कहा " हमारे लिए जल ही हमारा भोजन है। अगर तुम यूं ही हमें जल दोगे तो हममे ताजे ताजे पत्ते आएंगे जिससे तुम्हे छाँव के साथ फल, फूल भी मिलेंगे।




उसके बाद मुस्कुराते हुए भोला ने सभी पेड़ पौधों से कहा " मैं हमेशा सभी पेड़ पौधों को जल दूंगा साथ ही साथ अपने दोस्तों को भी कहूंगा की पेड़ -पौधों के लिए जल अनिवार्य है। आज मुझे एक नया ज्ञान मिला है और यह ज्ञान में सबको दूंगा। "इतना कहते हुए भोला मुस्कुराया अपने घर को चल दिया।




उसके बाद से भोला अपने घर के आंगन में फूल के पौधों को लगाना शुरू किया साथ ही साथ उन्हें समय के अनुसार जल देना भी शुरू कर दिया। जिस वजह से उसका आंगन हरे भरे होने के साथ ही साथ रंग बिरंगे फूलों से भी खिल उठा। भोला को पेड़ - पौधों की सेवा करते देख उसके माता-पिता उस पर प्रसन्न थे। धीरे-धीरे वह प्राकृतिक प्रेमी बन गया।




जब कभी भी भोला को पेड़ पौधों से बात करना होता, तब वह नदी किनारे जाकर पेड़ पौधों को देखता अर्थात प्रकृति के नजारों को देख, आनंद हो उठता ।




सोनम शर्मा 


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