Indar Ramchandani

Comedy Children

4.5  

Indar Ramchandani

Comedy Children

टग ऑफ वॉर

टग ऑफ वॉर

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आज कल के माता-पिता अपने बच्चों के नाम कितने प्यारे और आकर्षक रखते हैं। जैसे की आरव, ईशान, चैतन्य, अन्विता, प्रांजल। मेरे स्कूल में दोस्तों के नाम क्या होते थे, पता है? बाबू, बब्बन, ढेंगा, ढक्कन, केला, काजू, कुबड़ा और भुखड़। वो आखरी नाम मैं था। मतलब नाम से हमारे व्यक्तितव की पहचान हो जाती थी। और सिर्फ नाम ही नहीं, हम लोगों के टैगलाइन भी होते थे। जैसे एक हमारा दोस्त था बबला, उसे हमने टैगलाइन दिया था, 'बबला: 6 उंगली वाला'। इसलिए नहीं की उसके हृतिक रोशन की तरह 2 अंघूठे थे, बल्कि इसलिए क्यूंकी उसका एक हाथ, हमेशा पैंट के अंदर ही रहता था। नॉर्मल लोग जब स्ट्रेस में होते हैं तो अपना सर खुजाते हैं या नाख़ून चबाते हैं, हमारे बबला भाईसाहब जब भी गहन चिंतन में होते थे, तो उनका हाथ खुद ब खुद पैंट के अंदर सरक जाता था, अपनी छोटे भाई को सहलाने के लिए। 

हमारा स्कूल एक काफ़ी साधारण सा हिन्दी मीडियम स्कूल था, और अक्सर ऐसा पाया गया है कि साधारण इलाकों पे असाधारण शक्सियतों का जन्म होता है। हमारे बबला भाईसाहब भी असाधारण प्रतिभाओं के धनी थे। उनका एक अलग ही रुबाब, एक अलग ही रुतबा था पूरे स्कूल में।  अगरबत्ती के टाइमबम बनाने से लेकर ब्लॅकबोर्ड पे अंडे फोड़ने तक, क्लास में ऐसा कोई हुड़दंग नहीं है जो बबला जी ने ना मचाया हो। उनके डर से प्रिन्सिपल महाशय भी अपना स्कूटर अपने प्राइवेट कैबिन में छुपाके रखते थे, कि कहीं बबला टायर पंचर ना कर दे। कम शब्दों में कहूँ तो बबला हमारे स्कूल का बाहुबली थे।  

बबला को कमल के फूल से बड़ा प्यार था। स्कूल की कोई ऐसी क्लास नहीं थी, जिसका पंखा, बबला ने लोटस शेप का ना बना दिया हो। हमारे यहाँ रिसेस में एक चूइंगम वाला साईकल पर आता था, वो चूइंगम इतनी बड़ी होती थी की आप उससे किसी भी वस्तु का आकार बनवा सकते थे। तो कोई चूइंगम का मोर बनवाता था, कोई बाइक बनवाता था. बबला भाईसाहब हमेशा उससे कमल का फूल बनवाते थे और उसे लेके हमेशा साइन्स डिवीज़न के सामने खड़े रहते थे। हमें लगता था की शायद उसे भारतीय जनता पार्टी पसंद थी, लेकिन माजरा कुछ और ही निकला। बबला साइन्स की टॉपर कमला के दीवाने थे, जिसे रिझाने के लिए वो हमेशा कमल का फूल लिए फिरते थे।  

पर इस फूल के भी दो माली थे, और दूसरे माली का नाम था जॉनी, जो साइन्स डिवीज़न का लीडर था और काफ़ी हट्टाकट्टा और बलवान था। और हमारे बबला थे बेचारे दुबले पतले, हालाँकि उसका जिगरा किसी से कम ना था। अब हुआ ये कि एक दिन कमला को लेके जॉनी और बबला में बहुत बड़ा झगड़ा हो गया। हम कॉमर्स के विद्यार्थी थे और साइन्स वालों के साथ हमारा वैसे भी 36 का आँकड़ा था। क्यूंकी साइन्स डिवीज़न में काफ़ी अमीर और पढ़ाकू बच्चे पड़ते थे और फर्राटेदार अंग्रेज़ी झाड़ते थे। मतलब यूँ समझिये कि हम 'जो जीता वही सिकदंर' के मॉडेल कॉलेज थे और वो राजपूत कॉलेज।

तो अब झगड़ा सुलझाने के लिए ये तय हुआ कि अगले हफ्ते स्पोर्ट्स डे पर साइन्स और कॉमर्स के बीच एक रस्साकस्सी यानी टग ऑफ वॉर का मुकाबला होगा, और जिसकी टीम जीतेगी, कमला उसकी! हालांकि कमला को दूर दूर तक ये अंदेशा नहीं था कि उसके लिए दोनो गुटों में धर्मयुद्ध हो रहा है। 

अब प्रॉब्लम यह थी की हम में से किसी को भी टग ऑफ वॉर का कोई एक्सपीरियंस नहीं था। और जॉनी और उसके बंदे तो पूरी शिद्दत से ग्राउंड में टग ऑफ वॉर की तैयारी कर रहे थे, सारे साइन्स की फंडे लगा रहे थे, किस एंगल से रस्सी पकड़नी है, एक दूसरे से कितनी दूर खड़े रहना है, आर्म और बॉडी को कितना स्ट्रेट रखना है, कैसे वजन को बैलेंस करना है। और हमें तो बबला प्रैक्टिस ही ना करने दे, ये कहके की साइन्स वाले हमें प्रैक्टिस करते देखेंगे तो हमारी विनिंग स्ट्रेटेजी समझ जाएँगे। तो हम तो बबला के भरोसे पुरे हफ्ते क्रिकेट खेलते रहे।

अब स्पोर्ट्स डे आया और पूरा ग्राउंड खचाखच भरा हुआ है, क्यूंकी सबको जानना था की कमला किसके गले में वरमाला डालती है। दोनो तरफ दुरंदरों ने रस्सी थामी। साइन्स वालों ने सबसे आगे जॉनी को खड़ा किया और हमारी साइड से बबला, जो डेढ़पसली के थे, आगे खड़े हुए थे। मतलब ऐसा लग रहा था जैसे कि गेल और चहल एक दूसरे के आमने सामने खड़े हैं। मैने धीरे से बबला के कान में बोला "बबला साले, अब तो विनिंग स्ट्रेटेजी बता दे!" बबला का जवाब था, "बस बजरंगबली का नाम लेंगे और लंका गिरा देंगे सालों को!" मैंने कहा, "कमबख्त, यह तेरी स्ट्रेटेजी थी? साले, बजरंगबली का नाम तो हम प्रैक्टिस करते हुए भी ले सकते थे!"

अब आप कल्पना कीजिये कि टग ऑफ वॉर बस शुरू होने ही वाला है और हम इधर हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं। 

मैंने फिर बबला के कान में फुसफुसाया, "बबला, हम बुरी तरह हारेंगे, उन लोगों ने भारी भरकम बन्दे आगे खड़े किए हैं, तो तू मुझे, बाबू और बब्बन को आगे आने दे और तू पीछे जा। पर वो तो पूरी अकड़ में था, कहने लगा "उनकी साइड से जॉनी आगे खड़ा है तो इधर से मैं खड़ा रहूँगा। मैंने फिर उसे समझाया "अबे तेरा एक हाथ तो पैंट से बाहर नहीं निकलता, तू हरवाएगा हमें।" वो बेबाक बोला, "तू चिंता न कर, मैं मर जाऊँगा लेकिन हाथ रस्सी से नहीं हटाऊँगा!" बबला की बात मानने के सिवा और कोई चारा न था।

अब टग ऑफ वॉर शुरू हुआ! बड़ी ही जबरदस्त फाइट चल रही है, वो उधर से अपना ज़ोर मार रहे है, हम इधर से अपनी सारी ताक़त झोंक रहे हैं। और कसम से, बबला भले ही डेढ़ पसली का था लेकिन उसने अपनी पूरी जान लगा दी। हम बस जीत से 2 इंच ही दूर थे की कमला ने ज़ोर से चिलाया, ‘’कम ऑन बबला, जीतना है तुम्हें!” बबला की नज़र कमला पे गयी जो पहली मर्तबा उसे स्माइल दे रही थी और बबला भाईजान स्ट्रेस में आ गए। उसका हाथ धीरे धीरे रस्सी से छूटने लगा। हम पीछे से चिल्लाते जा रहे थे, “अबे बबला, रस्सी पकड़”, लेकिन बबला जी तो किसी और ही चीज़ को पकड़ने में व्यस्त हो गए।

तो टग ऑफ वॉर भले ही उस दिन हम हार गए, और कमला भी दोनो में से किसी को नहीं मिली, लेकिन एक फ़ायदा ज़रूर हुआ, उस दिन के बाद बबला का हाथ कभी भी पैंट के अंदर नहीं गया।


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