टेक इट ईज़ी
टेक इट ईज़ी
गोकुलधाम सोसाइटी के पार्क में महफ़िल जमी हुई थी। माहौल किसी पिकनिक या किटी पार्टी से कम नहीं था। मास्किंग और सोशल डिस्टेंसिंग के बावजूद सब कुछ बढ़िया चल रहा था।
टप्पू सेना खेल-खेल में और उनके परिवारजन गपशप में अपने कोरोनाकालीन अनुभव साझा कर रहे थे।
"अनलॉक वन से लेकर फाइव तक तो सबसे ज़्यादा फ़ायदे में जेठालाल जी रहे हैं। उनकी दुकान का सारा माल मनचाहे दामों में बिक गया!" कृष्णन अय्यर ने तारक मेहता से कहा।
"अरे, आपको पता नहीं है। लॉकडाउन में भी टप्पू सेना की मदद से उनके बहुत से मोबाइल और लेपटॉप बिक गये थे ऑनलाइन कक्षाओं और शॉपिंग के चक्कर में!" माधवी बीच में बोल पड़ीं, " हमारा साइड बिजनेस तो चौपट ही हो गया इन आठ-नौ महीनों में!"
"क्यों, आप तो बेहतर कमाई कर सकतीं थीं इन दिनों में!" तारक मेहता ने माधवी से पूछा।
"भाईसाहब, आप तो जानते ही हैं इन आदर्शवादी सेक्रेटरी और ट्यूटर पतिश्री साहिब को! घर में भी कोरोना वॉरियर्स की तरह पूरी किट में रहे और लॉकडाउन खुलने पर भी बाज़ार से न तो पापड़-अचार वग़ैरह का ज़रूरी सामान ख़रीद कर लाये और न ही हमें कहीं जाने दिया।" माधवी ने तारक मेहता और कृष्णन अय्यर की तरफ़ देखते हुए कहा, "अब आप ही बताओ कृष्णन भैया, आप तो साइंटिस्ट हो, आपको कभी मास्क लगाये नहीं देखा और न ही आपके फ़्लैट से कोरोना गाइडलाइंस पर हायतौबा की आवाज़ें सुनायीं दीं। लेकिन मेरे पतिश्री ने तो हर रोज़ किसी न किसी बात पर बख़ैड़ा खड़ा किया!"
आत्माराम तुकाराम अपनी पत्नी को तिरछी निगाहों से घूर कर चुप होने का इशारा करते रह गये। तभी दूर से चीख सुनाई दी। डॉक्टर हंसराज हाथी के बहुत मोटे हो चुके बेटे गोली ने जेठालाल के बेटे टप्पू को धूल चटा दी थी पंजा लड़ाते-लड़ाते।
जेठालाल दहाड़ने लगे, "इन दिनों लोग पता नहीं क्या-क्या खाते-पीते रहे। बाप-बेटा दोनों हाथी-गेंडे से भी भारी-भरकम हो गये हैं!" फ़िर टप्पू के पास जाकर बोले, "हमारे बेटे को बाल बराबर भी फ्रैक्चर हुआ तो गोली के वो हाल करवाऊंगा.. वो हाल करवाऊंगा कि... !"
तभी टप्पू एक झटके में खड़ा होकर बोला, "नहीं पापा, उसकी नहीं, मेरी ग़लती थी मैंने चीटिंग की थी उसे हराने के लिए!"
"तो पहले बताना था ना!" इतना कहकर जेठालाल बुरा सा मुंह बना कर अपने मुंह से सरकता मास्क एडजस्ट करने लगे। फ़िर वापस दोस्तों के पास आकर बैठ गये।
"अब आप लोग बताइये.. किसको नया मोबाइल ख़रीदना है? होम डिलेवरी करवा दूंगा वाजिब दामों पर!" यह आग्रह कर जेठालाल तारक मेहता के हाथों से मोबाइल छीन कर बोले, "कितना पुराना मॉडल यूज़ करते हैं आप भी साहब! मैं हमेशा आपको 'फ़ायर बिग्रेड' कहता हूँ। आज आपकी मदद करने मैं तैयार हूँ। बोलिए कौन सा नया मोबाइल भिजवा दूँ?" यह कहकर जेठालाल ने तारक मेहता की फोन फाइल्स देखना शुरू कर दिया।
"अरे जेठालाल जी, आप भी! मेरे मोबाइल में आपके मतलब का कुछ नहीं मिलेगा। न कोई फैशनेबल बबीता जी जैसा आइटम और न ही वो सब कुछ!" तारक मेहता ने अगल-बगल झाँक कर धीमे स्वर में जेठालाल से मज़ाक में कहा।
"हाँ, हाँ ... कह लो जो कहना हो... लेकिन ये देखो आपके मोबाइल में ज़बरदस्त आइटम हैं... ये देखो... और ये देखो!" जेठालाल ने फोटो गैलरी के कुछ फोटोज और स्क्रीनशॉट दिखाते हुए कहा।
"ओ..हो.. ये तो सब वे बुज़ुर्ग लेखिकाएं, कवयित्रियाँ हैं जिन्होंने कवर फ़ोटो में, डीपी में अपनी जवानी की फ़ोटो लगाई हुई हैं। उनके फेसबुक लाइव की तस्वीरों को सहेज कर रखता हूँ जनाब। उनसे मुझे बेहतर लेखन की प्रेरणा मिलती है!"
ये बातें अंजली मेहता ने भी सुन लीं। वे उनके नज़दीक़ आकर बोलीं, "जेठालाल जी, इन्हें महिला साहित्यकारों की तस्वीरों से ही प्रेरणा मिलती है, मुझसे नहीं! मैं क्या किसी से कम लगती हूँ?"
अब दया भाभी जी भला कैसे चुप रहतीं! वे भी बोल पड़ीं, "हाँ अंजली भाभी, मैं भी अपने पतिदेव से यही कहती हूँ! मुझमें सौंदर्य की क्या कमी है इस उम्र में भी, जो पड़ौसी फैशनेबल पर नज़रें टिकाए रहते हैं या मोबाइल में नकली सी आभासी हुस्न परियों को डाउनलोड कर मोबाइल का पेट भरते रहते हैं और ख़ुद भूखे रह जाते हैं!... मैं तो मौक़ा मिलते ही सब में डिलीट मार देती हूँ।"
"टेक इट ईजी दया भाभी! ये तो घर-घर की कहानी है! लॉकडाउन के महीनों में लोग मोबाइल या इंटरनेट से चिपके रहे और गोल्डन अवसर मिलने पर भी घर में रहकर भी अपनों से दूर रहे!"
"हाँ, हाँ... कह तो ऐसे रहे हैं जैसे कि आप उनमें से न हों!" अंजली मेहता बीच में ही बोल पड़ीं, "ऑनलाइन मीटिंग्स, सेमीनार, वेबीनार और साहित्यिक लेखन में गुज़ार दिया पूरा वक़्त! ... मैं तो केवल पाठक और श्रोता बनकर रह गई, फ्रैंड्स!"
"टेक इट ईजी अंजली भाभीजी!" सब एक साथ बोले, "अब तो सब अनलॉक हो गये आज! अब नई शुरुआत करते हैं गोकुलधाम में रौनक लाते हैं सब मिलकर!" इसके साथ ही सबने तालियाँ बजायीं। टप्पू सेना दौड़ती सीटी बजाती आगे चल पड़ी अपने-अपने फ़्लैट्स की ओर .... पीछे-पीछे बाक़ी सब।