Priyanka Gupta

Inspirational

4.5  

Priyanka Gupta

Inspirational

तपस्या -2

तपस्या -2

3 mins
253


निर्मला के हाथों में अपने पसंद की साड़ी थी । शादी के बाद पहली बार वह अपने लिए अपनी पसंद का कुछ खरीद सकी थी ।शादी से पहले निर्मला की अम्मा अपनी बेटी के लिए तरह -तरह के कपड़े बनवाती थी । निर्मला एकलौती बेटी थी । निर्मला के पिताजी बहुत धनी नहीं थे;इसीलिए निर्मला की शादी में बहुत दहेज़ नहीं दे सकते थे । लेकिन गांव में  उनके पास बड़ी सी जमीन थी ;खेती-बाड़ी अच्छी हो जाती थी । घर में खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी ।


दूध-दही ,घी ,छाछ खूब छककर खाने को मिलता था ।निर्मला जी देखने में भी ख़ूबसूरत थी और घर के कामकाज में निपुण थी। पढाई में भी अच्छी ही थी ;लेकिन उनके गांव में आठवीं तक ही स्कूल था ।


उनके चाचा-चाची शहर में रहते थे ;एक साल उन्हें वहाँ पढ़ाई के लिए भेजा गया । चाची को उनका वहाँ रहना कुछ खास सुहाया नहीं;इसीलिए चाची उन्हें ठीक से खाना नहीं देती थी ;रात की बची हुई ठंडी रोटी ही अचार के साथ खाने को मिलती थी । निर्मला को जो भी रुखा-सूखा मिल रहा था ;वह उससे भी काम चला लेती । 


लेकिन चाची उन्हें स्कूल से आने के बाद पूरा दिन घर के कामकाज में लगाए रखती थी।निर्मला की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती थी। नतीजन अर्द्धवार्षिक परीक्षा में निर्मला अनुत्तीर्ण हो गयी थी।  अर्धवार्षिक परीक्षा के अंकों ने निर्मला को सोते से जगाया । उन्होंने रात-रात भर जाग-जाग कर पढ़ाई की और वह जैसे -तैसे कक्षा 9 में उत्तीर्ण हुई । 


चाची के रंग-ढंग उनकी अम्मा और पिताजी से छिपे हुए नहीं थे पिताजी यह कहते हुए निर्मला को वापस अपने घर ले आये कि ,"मेरी बेटी अनपढ़ ही रह जायेगी ,लेकिन इस घर में नहीं रहेगी । "


निर्मला ने दसवीं का प्राइवेट फॉर्म भर दिया और अपनी दूर के रिश्ते की एक दीदी के पास रहकर कुछ दिन कीपढ़ाई से एग्जाम दे दिए और उत्तीर्ण हो गयी । उसके बाद निर्मला घर में रहकर ही सिलाई-बुनाई आदि करने लगी । 18 वर्ष की होने के बाद निर्मला के अम्मा और पिताजी उसकी शादी के लिए लड़का देखने लगे । निर्मला की फोटो सभी को पसंद आ जाती ;लेकिन लेन-देन पर बात अटक जाती थी ।


 एक लड़का बहुत ही पैसे वाले घर का था ;घरवालों की कोई माँग भी नहीं थी; लेकिन लड़का कुछ नहीं करता था । निर्मला की अम्मा ने यह कहकर मना कर दिया कि ,"बैठे -बैठे तो डूँगर भी ख़त्म हो जाते हैं ;बाप के पैसे से कितने दिन चलेगा ?"फिर निर्मला के लिए रमेश का रिश्ता आया।


रमेश घर का सबसे बड़ा बेटा था। घर में कुछ नहीं था. लेकिन लड़का सरकारी नौकरी में है; यह सोचकर निर्मला के अम्मा औ रपिताजी बात आगे बढ़ाने लगे।लड़के पर ही घर की सारी जिम्मेदारी थी। निर्मला की अम्मा और पिताजी को लड़का जँच गया था ।लड़के और लड़की को एक -दूसरे से मिलवा दिया गया लड़के को लड़की पसंद आ गयी थी।


दान-दहेज़ को लेकर रमेश के घरवालों ने इस रिश्ते को ना करने की सोची थी ;लेकिन रमेश ने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि शादी तो इसी लड़की से करूँगा । अतः निर्मला का विवाह रमेश से तय हो गया था । निर्मला के अम्मा-पिताजी ने अपने सामर्थ्यानुसार निर्मला की शादी कर दी । निर्मला अपने ससुराल आ गयी थी । ससुराल में आते ही निर्मला के जीवन में संघर्ष का दौर प्रारम्भ हो गया था ;जो कि अब उसके बच्चों के अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद थमा । 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational