तन्हाई के साथ
तन्हाई के साथ
वो जब मुझसे जुदा हुआ, तो बस आंसू रोक न पाए,
दिल बेख़बर रहा, ज़मीर को छोड़ न पाए।
हर रात जब तारे उगते, तन्हाई के साथ,
उनकी यादों में दिल खोया, चैन को खो न पाए।
कश्ती जब ख़ुदा ने अलविदा कहा, साथ छोड़ दिया,
मेरी आंखों में उनका चेहरा, ख्वाबों में सो न पाए।
मेरे दिल के आगे उनकी यादों का मंज़र,
मुझे जीने न देता, उजाले को चोट न पाए।
ज़िंदगी की किताब में वो अधूरे पन्ने हैं,
जो मैंने तुड़वा दिए, वो सबको खो न पाए।
जब से वो चले गए, रातों की तन्हाई बढ़ गई,
दिल मेरा उनकी तलाश में, शाम ओ ग़म को ढोए।