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Pradeep Biswal

Abstract

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Pradeep Biswal

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तीन बहनें और एक भाई

तीन बहनें और एक भाई

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घँच जंगल समुंदर की किनारे सुन्दरपुर नाम का एक गांव था। इस गांवों में बसते था एक परिवार। एक परिवार था जहां मन की रूप में तीन बहनें और एक भाई थे। स्नेह, प्रेम, ममता तीन बहनें और भाई स्वार्थ। पहिले तो मन बास तीन बहनें स्नेह प्रेम ममता की रूप में थी। धीरे धीरे बढ़ने लगी। संसार मैं बढ़ती हुई आबादी मैं खुद को शामिल किया। दुनियां की हर सुख दुःख में खुदको आजमाया। लोगों को बीच तीन बहनें स्नेह प्रेम और ममता अपनी अपनी किरदारों कों निभाते हुऐ सबको अच्छे संस्कार सिखाने लगे। तीन बहनें मिलकर एक सुन्दर सा दुनियां बनाने केलिए आगे बढ़ रहे थे l धीरे धीरे आबदी बढ़ने लगी। अचानक स्थिति में परिर्वतन आने लगा। मन विचलित होने लगी। नई सुख नई चीज अजमाने केलिए मन विचलित होने लगी। फल स्वरूप मन से जन्म लिया उनकी चौथा रूप स्वार्थ। नई दुनिया नई रूप में खुदको आजमाया।भूल गया सगी संपर्क को। अपने स्वार्थ केलिए तीन बहनें स्नेह प्रेम ममता को। उनको अंखो मे आसूं बहा के उनकी खुशियां छीन लिया। रंगीन दुनियां मैं खुद को खो दिया। खुसियों की ऊंचे पहाड़ पर चढ़ के दुनियां

की हर खुशियां पाने केलिए सगी बहनें को दुःख देकर वो आगे निकल गया। पर खुशियों की पहाड़ पर चढ़ कर जब पीछे मोड़ के देखा तो उसके साथ कोई नहीं थे। सोने की बंगले में अकेला। अपने सगी बहनें स्नेह ममता और प्रेम को पाने केलिए बहुत ढूंढा। पर कोई नहीं थे वोहां स्नेह प्रेम और ममता बांटने केलिए। बहुत रोया। पागल येसे हो गया। पिछले दुनियाको वापस आने केलिए सोचा। पर सबने मुंह मोड़ लिएं। अब्सोस की बात स्वार्थ में भरा हुआ मन आखिर में वोही पे दम तोड़ दिया।

बिद्र: हर इंसान को स्वार्थ को ऊपर रहे कर अपना कार्य करना चाहिए। हर फल मीठा नहीं होता है। हर चीज सुन्दर नहीं होती है। बाहर से तो सब सुंदर और अच्छे लगेंगे। पर उसका अंदर कितना सुन्दर होता है उसको पहिले आजमाना चाहिए। इंसान की बिच स्नेह प्रेम और ममता होना जरूरी है। अपने ब्यबहार में हम सत्रू को भी अपने बना सकतें हैं।इंसान हैं भूल तो होगा, झूट तो बोलेंगे। पर ऐ भूल या झूट किसको दुःख या कष्ट नहीं पहुंचाए उसका ध्यान जरुर करें।

सुन्दर तो बास प्रेम की भावनाएं, स्नेह की डोरी और ममता की झोली होती है l



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