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Ekta Rishabh

Crime

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Ekta Rishabh

Crime

थप्पड़ की गूंज !

थप्पड़ की गूंज !

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टिंग टोंग... टिंग टोंग... !

दरवाज़े की घंटी बार बार बज रही थी ; बाथरूम में सीमा झुंझला उठी।

उफ़ ! क्या मुसीबत है शांति से नहा भी नहीं सकती। गीले बालों में टॉवल बांध बाथ गाउन लपेट हल्का सा दरवाजा खोला देखा तो सामने रोहन था।

"क्या काम है रोहन ?"

आंटी जी से कुछ काम था मुझे..।

"घर में कोई नहीं है अभी तुम बाद में आना ", इतना कह सीमा ने दरवाजा बंद कर दिया बिना रोहन का ज़वाब सुने। सीमा समझ गई थी की सबको एक साथ घर से जाता देख ही रोहन कोई बहाना ले यहाँ आया था।

सीमा का मूड ऑफ़ हो गया।

सीमा की शादी पिछले साल अमित से हुई थी। छोटा सा परिवार था माता पिता समान स्नेह देने वाले सास ससुर और जान झिड़कने वाला पति अमित। हर तरह से संपन्न ससुराल जिसकी कामना हर लड़की करती है।

सीमा बहुत ख़ुश थी अपने ससुराल में लेकिन सीमा की इस ख़ुशी में एक कांटा था और वो था रोहन। अमित के पापा और रोहन के पापा पक्के दोस्त थे एक साथ प्लाट ले दोनों ने घर बनाया था। आपस में बहुत ही पारिवारिक संबन्ध थे दोनों घरों में।

जब शादी कर सीमा ससुराल आयी तो अमित ने ये कह रोहन से मिलवाया, " सीमा ये है रोहन कहने को तो ये वर्मा अंकल का बेटा है लेकिन मेरे छोटे भाई की तरह है मेरा सगा तो कोई भाई बहन है नहीं इसलिए आज से रोहन ही तुम्हारा देवर है "।

अमित के इतना कहते ही रोहन सीमा के पैरों को छूने झुक गया रोहन के हाथों के उन स्पर्श से सीमा असहज सी हो गई वो चौंक के रोहन की ओर जब देखी तो रोहन मुस्कुरा रहा था रोहन की नज़रे सीमा पे जमीं हुई थी।

""एक स्त्री का सिक्स्थ सेन्स बड़ा कमाल का होता है वो चाहे छोटी बच्ची हो या बूढ़ी महिला वो पुरुषों के इरादे तुंरत समझ जाती है।" "सीमा को भी समझते देर ना लगी रोहन के इरादे कुछ ठीक नहीं। जैसा वो दिखाता है वैसा सभ्य इंसान वो बिलकुल नहीं है।

सीमा पूरा प्रयास करती की वो रोहन से दूरी बना के रहे लेकिन वो मौका ढूंढ ही लेता। दिन भर इसी ताक में रहता कब सीमा के पास जाने का उसे मौका मिले। नई नई शादी थी तो सीमा डरती की यदि वो रोहन की शिकायत करें तो कहीं सब उसे ही गलत ना समझ बैठे।

सीमा की चुप्पी रोहन की हिम्मत को बढ़ावा देती गई। पहले वो सिर्फ अपनी आँखो से सीमा को घूरता था अब मौका बेमौका सीमा को छू भी लेता। खून का घूंट पी सीमा रह जाती।

आज मम्मीजी के भाई की तबियत ख़राब थी तो उनसे मिलने अमित और मम्मीजी पापाजी गए थे। रात तक सब वापस आ जाते। सबको एक साथ घर से निकलता देख रोहन बहाने से घर पहुंच गया था।

थोड़ी देर बार सीमा से झांक कर देखा तो रोहन वापस चला गया था। सीमा से सबसे पहले घर के सारे खिड़की दरवाजो को बंद कर दिया।

आज पता नहीं क्यों उसका दिल बहुत घबरा रहा था अमित को फ़ोन किया तो पता चला मामाजी को icu में शिफ्ट किया गया है।

" देखो सीमा हमें देर हो जायेगी आते आते तुम खाना खा कर सो जाना "।

अमित मुझे डर लग रहा है। सीमा ने घबरा कर कहा।

""अरे ! इसमें डरने वाली क्या बात है अपने घर में हो तुम अगर कहो तो रोहन या आंटी को भेज दू तुम्हारे पास रुकने ""|

रोहन का नाम सुन सीमा डर गई ; नहीं अमित उसकी जरुरत नहीं वो मेरा सिर दर्द हो रहा था तो मैं दवा खा के कर सो जाऊंगी इतना कह सीमा ने फ़ोन रख दिया।

जैसे जैसे शाम हो रही थी सीमा का मन बेचैन हो रहा था।

अंधेरा होते ही फिर से दरवाज़े पे दस्तक हुई....,

"""भाभीजी भाभीजी, ये रोहन की आवाज़ थी सीमा बुरी तरह डर गई """|

पुरे घर की लाइट ऑफ कर एक कोने में बैठ गई। रोहन खिड़की से टोर्च की लाइट जला अंदर देखने की कोशिश करने लगा।

कोने में बैठी सीमा डर से थर थर कांपे जा रही थी पूरा शरीर पसीने पसीने हो रहा था।

""भाभीजी दरवाजा खोलो मैं रोहन आपने अंधेरा क्यों कर रखा है ""|

रोहन लगातार आवाज़े लगाता कभी इस खिड़की पे तो कभी उस खिड़की पे आ रहा था।

तभी गेट पे गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ आयी.., ये तो अमित की गाड़ी की आवाज़ है। सूखे पत्ते सी कांपती सीमा भाग के दरवाजे के पास आ गई।

घर पूरा अंधेरे में डूबा देख अमित भी चौंक गए ; तभी उनकी नज़र रोहन पे गई।

रोहन इस तरह यहाँ क्या कर रहे हो ?

रोहन अचानक अमित को देख डर गया उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था।

दरवाजे पे कान लगाई सीमा को जब अमित की आवाज़ आयी तो जल्दी से दरवाजा खोल अमित से लिपट जोर जोर से रोने लगी।

क्या हुआ सीमा तुम रो क्यों रही हो? और इतना अंधेरा क्यों कर रखा है?

अमित अमित..., और सीमा ने सारी बातें अमित को बता दी मौका देख तब तक रोहन वहाँ से भाग निकला था।

सारी बातें सुन अमित को विश्वास ही नहीं हुआ जिसको भाई जैसा माना उसने ही उसकी इज़्ज़त पे हाथ डाला।

अच्छा हुआ आप आ गए अमित नहीं तो...?? वो तो तुम्हारी तबियत ठीक नहीं थी तो मैं जल्दी वापस आ गया सीमा तुम डरो मत अंदर चलो।

सीमा को समझा कर अमित ने चुप कराया और तुंरत अपने पापा को फ़ोन कर सारी बातें बता दी।

मम्मीजी और पापजी ने वापस आते ही सबसे पहले रोहन के मम्मी पापा की सारी बातें बताई।

रोहन को माफ़ कर दो अमित अपना भाई समझ कर माफ़ कर दो। रोहन के मम्मी पापा, अमित और सीमा के सामने हाथ जोड़े खड़े थे लेकिन रोहन उसके चेहरे पे लेस मात्र का भी पछतावा नहीं था।

माफ़ी माँग रोहन, अपने पापा की डांट खा रोहन जैसे ही सीमा के पैरों पे झुका सीमा एक कदम पीछे हो गई और एक करारा चाँटा जड़ दिया रोहन के गालों पे।

"""ख़बरदार जो मेरे पास भी आने की कोशिश की तो...,, तुम्हारे जैसे लड़के थप्पड़ो से ठीक नहीं होते तुम जैसे लड़कों की असली जगह तो जेल ही होती है"""|

माफ़ कीजियेगा चाचा चाचीजी मैं आपके बेटे को माफ़ नहीं कर सकती। अमित मैं इसे एक पल भी बर्दाश्त नहीं कर सकती इसे ले जाओ मेरे नज़रो के सामने से और अमित ने रोहन के खिलाफ केस कर उसे पुलिस के हवाले कर दिया

""हमें माफ़ कर दो बेटा हम सबके रहते हुए भी रोहन की इतनी हिम्मत बढ़ी शर्मिंदा हो सीमा की सासूमाँ ने कहा""।

नहीं मम्मीजी, आप सब की क्या गलती जब एक लड़की चुप रह जाती है तभी इन जैसे लोगों का मनोबल बढ़ता है मेरे डर ने ही रोहन की हिम्मत को बढ़ावा दिया था। 


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