थकान तो तुम्हें भी होती है ना

थकान तो तुम्हें भी होती है ना

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"सुमन आज संडे है, तुम कहो तो मुवी के टिकट बुक कर दू। लंच भी बाहर ही करेंगे वैसे भी बहुत समय हुआ बाहर निकलकर संजय का भी फोन आया था। तो चारो साथ चलते है क्या कहती हो।"सुनिल ने पूछा

ठहरो एक बार शालू और अर्पित से पूछ लेती हूँ।उनका कोई प्लान तो नहीं है ना।

वाह !जब बहू थी तो सास से पूछना पडता और अब सास बन गई हो तो बहू से पर्मिशन लेनी पडती है।

ऐसी बात नही है सुनिल बच्चों का कोई प्लान हुआ तो खामखांं उनका मूड खराब हो जायेगा।

बच्चे तो हर रविवार जाते है एक संडे घर संभाल लेगे तो कौन सा पहाड़ टूट जायेगा।

समझने की कोशिश करो सुनिल बच्चे हमें पूछ कर जाते है ,तो हमारा भी तो फर्ज बनता है ना।

वैसे बच्चे हमे पूछकर नही बता कर जाते है ।पूछना तो उन्होंने कब का छोड दिया बडे क्या हुए जैसे खुद को समझदार समझने लग गये।

अरे,क्या फर्क पडता है पूछे या बताये।

फर्क तो पडता है सुमन पर तुम तो अपने बच्चों की ममता मे अंधी हो ।

इतने मे मोबाईल की घंटी बजी

ये लो तुम्हारी लाडली बेटी का फोन हैआज उसका भी संडे है

हेलो

हाँ रोमा बेटा कैसी हो ?

ठीक हूँ माँ आप कैसी हो, वैसे आज आपका कोई प्लान तो नही है ना ?

 क्या हुआ बेटा बताओ ना तुम आ रही हो क्या ?

नही माँ वो आज हमारा फूल डे आऊटिंग का प्रोग्राम है ।आप तो जानती हो तान्या इतनी छोटी है उसे साथ लेकर गये तो एन्जॉय नही कर पायेंगे ।तो क्या मै उसे आपके पास छोड दूँ ?

हाँ बेटा, ये भी कोई पूछने की बात है।

ठीक है माँ, थेंक यू,आई लव यू माँ, आप हो तो मुझे क्या फिक्र है।

सुनिल को अंदाजा लग गया था माँ बेटी के बीच क्या बात हुई होगी। उसने सुमन की ओर देखा

इतने मै अर्पित तैयार हो नीचे आया।

"कहा चले बेटा" सुनिल ने पूछा

माँ वो मेरे दोस्त की सालगिरह है तो आज उसनें आउटिंग का प्रोग्राम बनाया है। मै आपको रात को ही बता देना चाहता था पर आप सो रही थी। तो मैने सोचा डिस्टर्ब ना करू। वैसे शालिनी अभी तैयार होकर नीचे आती ही होगी।

 माँ हम लव कुश को साथ नही ले जा रहे है आप संभाल लोगी ना।हम शाम तक लौट आयेंगे। आपका तो कोई प्लान नही है ना।

नही बेटा तुम दोनों आराम से जाकर आओ बच्चों की चींता मत करो।

थेंक यू मम्मा यू आर ग्रेट ।

सुनिल ने फिर से गुस्से भरी नजरो से सुमन को देखा

अरे ,नाराज क्यों होते हो रोमा से हाँ कहा और इन्हें मना करती तो बहू को क्या लगता ।

सुमन का तो पूरा दिन अपने पोतो और नातिन के पीछे भागने मे ,कभी ये चाहिए कभी वो चाहिए फरमाइश पूरी करने मे बीत गया।लगभग ऐसा ही होता था उसका हर संडे।शाम हो गई बच्चे आने ही वाले थे। आज सुनिल ने ठान ली बच्चों को सबक सिखाना होगा।

जैसे ही उसनें बालकनी से बहू ,बेटे,और बेटी को लौटते देखा वो शुरू हो गया

अरे ,कब से बच्चों के पीछे भाग रही हो। कभी ये दो कभी वो दो तुम भी इंसान हो तुम्हें भी थकावट होती है बैठ जाओ थोड़ी देर

कभी हमारी जिंदगी मे तो छुट्टी है ही नहीं। पहले घर की जिम्मेदारी ,बच्चों की जिम्मेदारी ।बच्चे बडे हुये तो सोचा अब तो हमें भी छुट्टी मिलेगी। लेकिन नही हम तो अब बुढे हो गये हमारे लिए क्या संडे क्या मंडे। पहले बच्चों को संभाला अब बच्चों के बच्चों को संभालो। सोचा अब एक दूसरे के साथ वक्त बितायेंगे लेकिन नहीं नाता नातीन,पोतो को संभालने मे ही

 चिल्ला क्यों रहे हो बच्चे आ रहे होगे। सुनेंगे तो उन्हें बुरा लगेगा और वैसे भी घूमने फिरने की उम्र उनकी है हमारी नही।

सही बात है भाग्यवान हम तो सिर्फ बच्चे बडे करने के लिए

सोचा बच्चे बडे होगें तो हमारी ख्वाहिशों को समझेंगे ।पर उन्हें कहा फिक्र है उन्हें लगता है संडे तो सिर्फ उनके लिए है।

अर्पित, शालिनी और रोमा बाहर खडे पापा की बाते सुन रहे थे आज उन्हें अपनी गलती पर पछतावा भी हुआ और दुख भी।

बेल बजी, बस करो लगता है बच्चे आ गये हैकहते हुये सुमन ने दरवाजा खोला।

तुम तीनों साथ, हाँ माँ वो रास्ते मे भैया भाभी मिल गये थे ।वैसे भी तान्या यही थी और आपसे मिले भी बहुत दिन हो गये तो रोहन ने कहा मिल आओ तो मै भाई के साथ आ गई।

अच्छा बेटा कैसा रहा आप लोगों का दिन।

ऑसम माँ ,पर आज हम तीनों अपने किये पर बहुत शर्मिंदा है। हमें माफ कर दो माँ अपने स्वार्थ मे अंधे होकर आपके बारे मे सोचना ही भूल गये। कहते हुये तीनों बच्चे माँ के गले लग गये माँ हमें माफ कर दो।

तो दोस्तों अक्सर हम सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं पर ये भूल जाते हैं कि हमारे माता पिता सास ससुर उनका भी तो मन करता होगा कि उन्हें भी अपनी जिम्मेदारियों से छुट्टी मिले।


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