Kumari Aarti Sudhakar Sirsat

Abstract Romance Action

3.6  

Kumari Aarti Sudhakar Sirsat

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तेरी मेरी मुकम्मल दास्तां

तेरी मेरी मुकम्मल दास्तां

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आज आरती की खुशी सातवें आसमान पर है क्योंकि उसके हाथों में यश के नाम की मेहंदी जो लगने वाली है मानों उसे दुनिया की सारी खुशियाँ एक साथ मिल गई हो.....ओर आरती फिर उस दौर में चली जाती है जब उसनें यश को पहली बार देखा था ओर देखतें ही पहली नज़र में यश को वो अपना दिल दे बैठी थी। आरती कोलेज की लाईब्रेरी में रोज जाकर बैठ जाती थी ओर वहां रोज यश के आने का इंतजार करती थी। लेकिन कभी अपने मन की बात यश से वो नहीं कर पायीं। उसे तो यश के बारे में कुछ भी पता नहीं था ना ही वो यश का नाम जानती थी।

बस उसे यश को एक नज़र से देखना अच्छा लगता था। ओर आरती ने यश के बारे में जानने की कोशिश भी नहीं की। उसे डर था कि ये भी ना उसी के जैसा निकले जिसके दर्दो से मैं आज तक उभर नही पायीं हूँ....

बहुत सह चुकी हूं अब मैं ओर कुछ भी सहना नहीं चाहती मुझे यश को भुलना ही होगा। यही सोच सोच कर आरती ने यश को सोचना छोड़ दिया। ओर रोते रोते सो गई।

अगले दिन आरती कोलेज तो जाती है लेकिन लाईब्रेरी नहीं गई।

बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.....

एक दिन आरती को अनजानी आईडी से फेसबुक पर एक मैसेज आता है। ओर आरती भी उस मैसेज का जवाब बड़ी बदसलूकी से देती है.....

आरती:-  कौन है आप ओर क्यों बार बार मुझे मैसेज कियें जा रहे हो... मैने कहा न मैं आपको नहीं जानती तो आप क्यों नहीं समझते। प्लीज़ मुझे अब मैसेज न करें।

अरें.... आरती, मैं सार्थक हूँ मैं आपको बहुत अच्छे से जानता हूँ.... याद करो।

आरती कहती है.... अरें...पर मैं आपको नहीं जानती हूँ।

सार्थक कहता है.... आरती आप बहुत अच्छी हो बहुत प्यारी हो।

आरती:- आप ने मुझे कहा देख लिया कि मैं इतनी अच्छी हूँ।

सार्थक.... मैं आपको रोज देखता हूँ कोलेज की लाईब्रेरी में।

आरती.... अच्छा।

सार्थक:- लेकिन आजकल आपने लाईब्रेरी आना क्यों छोड़ दिया....?

आरती...................।

दिन पर दिन बीतते रहें.... आरती और सार्थक की बातचीत चलती रही....।

सार्थक:- आरती आपसे बात करना बहुत अच्छा लगता है दिन भर की थकान दूर हो जाती है आपसे बात करके...

कहों कब मिल रही हो आप हम से....

आरती... कल मिलतें है कोलेज की लाईब्रेरी में। देखों मैं सिर्फ आपको देखना चाहती हूँ.... कि आप कौन हो तो.... इसके आगे आप ओर कोई उम्मीद नहीं रखना... ठीक है।

सार्थक... जी, ठीक है।

अगले दिन....

आरती लाईब्रेरी आती है ओर सबसे पीछें वाली सीट पर जाकर बैठ जाती है। तभी यश वहां आता है ओर आरती की नज़र यश पर पडती है। यश आरती की ओर आता है ....ओर यश को अपनी ओर आते हुये देख आरती डर जाती है, आरती के दिल की धड़कन भी जोर जोर से चलने लग जाती है.....ओर आरती खडी हो जाती है .....तभी यश आरती के सामने घुटनों पर बैठ जाता है ओर आरती से कहने लगता है..... आरती मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ मैं अपनी सारी जिन्दगी आपके नाम करना चाहता हूँ क्या आप मेरा साथ दोगी....

क्या आप इस सार्थक की जीवनसंगिनी बनोगी....

      आरती हैरान थी....कि उसके सामने अचानक क्या हो रहा है। आरती को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।

वो खुद नहीं जानती थी कि वो खुश हैं या दुखी है।

आरती बीना कुछ कहें वहां से चली जाती है।

अगले दिन.... फिर आरती को सार्थक का मैसेज आता है। आरती जान चुकी है सार्थक ही यश है।

सार्थक/ यश:- आरती आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया।

आरती:- क्या आपको पता मैं रोज लाईब्रेरी आती थी सिर्फ आपको देखने के लिए। जब मैनें पहली बार आपको देखा था तब ही मैं आपके प्यार में पड गई थी।

लेकिन डर लगता था अपने दिल की बात आपसे कहने में। मैं आपको खोना नही चाहती और ना ही आपके करीब आना चाहती हूँ..... किसी अपने का खोने का डर मैं ओर एक बार नही सहना चाहती। मैं बहुत टुट गई हूँ, मैं और एक बार नहीं टूटना चाहती, ओर ना ही आपको खोना चाहती हूँ तो प्लीज़ आप मुझसे दूर ही रहो....

 इतना कहकर आरती अपना मोबाइल बंद कर देती है।

अगले दिन.....

      आरती कोलेज जाती है और यश आरती की किताब में एक लेटर (खत) रखकर वहां से चला जाता है।

...घर आकर आरती उस लेटर को पढ़ती है.......

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  लेटर(खत) में लिखा होता है,,,,,,,,

  आरती मुझे आपसे बहुत ज्यादा प्यार हो गया है और मैं जानता हूँ कि आप भी मुझसे बहुत प्यार करती है।

आरती मैं दुसरे लड़को की तरह नही हूँ यार.... मुझे सिर्फ आप से प्यार है मैं सिर्फ इतना ही जानता हूँ। बाकी कुछ भी मैं नही जानता। आरती आप मुझे सिर्फ एक मौका तो देकर देखो मैं आपको कभी भी टूटने नही दूगाँ मेरा विश्वास करो। मैं आपका हमेशा साथ दूगाँ हमेशा आपके साथ रहूँगा।

मैं जितना प्यार आपसे करता हूँ उतना ही प्यार मैं अपने परिवार से भी करता हूँ।....और मैं मेरे परिवार के खिलाफ भी नही जाऊंगा.... अपने परिवार को दुखी करके भलां कैसे मैं खुश रह पाऊंगा....लेकिन जब तक आपके साथ रहूंगा आपका ही बन के रहूंगा।   मैं पूरी कोशिश करूंगा कि हमारी शादी के लिए मेरे मम्मी पापा मान जाये।

आरती मैं आपके सारे सपने पूरे करना चाहता हूँ आपको दुनिया की सारी खुशियाँ को देना चाहता हूँ आपको खुश रखना चाहता हूँ। जब तक हम साथ है मैं आपके साथ ही जीना चाहता हूँ।

   यश.... ____________________________________________

लेटर में लिखी बातें आरती के मन में घर कर जाती है और आरती के आँखों में पानी भर जाता है।

आरती यश को अगले दिन हाँ... कह देती है।

दिन पर दिन बीतते चले गए...

आरती और यश की दोस्ती ओर गहरी होती गई।

और आज वो दिन आ ही गया। उनकी दोस्ती शादी में बदल गई। और दोनों बहुत खुश है।


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