तेरा साथ है इतना प्यारा

तेरा साथ है इतना प्यारा

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सागर के किनारे दो आकृतियां नज़र आ रही थी। इस ख़ामोशी शायद कुछ देर तक चलने वाली थी। ऋतु ने रवि की आंखों में देखा हाँ भीगी थी उसकी आंखें । आंखे देख कर लग रहा था जैसे दोनो कई रात से सोये नही थे।


ऋतु- क्या हुआ तुम कुछ दिन से देख रही हूँ कुछ बदल से गये हो।


रवि- मैं बदल गया हूं कि तुम बदल गयी हो कब तक ऐसे ही हम दोनों चुप रहेंगे।

मैं चाहता हूँ कि तुम शादी की बात करो अपनी माँ से।

और कह कर चुप हो गया।

ऋतु रवि को बहुत प्यार करती थी।मगर उसके माँ बाप शादी के लिये नही मानेगे।वो ये बात जानती थी।


सुनो! क्या है।


पता है प्यार तो दो आत्माओ का मिलन होता है।

हम भले ही कभी मिल सके या नही मुझे नही पता


मेरे दिल और मन मे सिर्फ तुम ही रहोगे।


कभी कभी हम जो चाहते हैं होता नही है।


रवि ऋतु को देखकर मुस्कुरा दिया।उसे शायद समझ आ गया था कि ऋतु उसकी जीवनसाथी है और वो उसको पाकर ही रहेगा।धीरे -धीरे दोनो आकृतियों ने एक ही रूप लिए। और अंधेरी रात में अगली रोशनी का इन्तजार था दोनो को।


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